रविवार, 12 जनवरी 2014

अंकज्योतिष क्या है? ( What is Numerology )

कई बार हमारे जीवन में ऐसी घटनाएँ घटती हैं जो पहले पूर्ण रूप से उसी स्वरूप में बन चुकी होती हैं इतना ही नहीं इन घटनाओं की तारीखें, मास और समय भी पूर्ण रूप से वही होता है। मात्र वर्ष परिवर्तन होता है, परंतु तारीख, मास, वर्ष और उसके अंकों का योग भी पूर्ण रूप से पहले के अनुसार ही होता है। कई बार उस घटना के साथ जुड़े हुए व्यक्ति या उसका नाम भी या तो वही होता है या तो उसका नामांक भी वही होता है। यह सब कुछ हमको अंक ज्योतिष के प्रति आकर्षित होने के लिए मजबूर बनाता है। फिर भी यह विषय भारत में इतना विकसित नहीं हुआ है परंतु प्रदेशों में इसका बोलबाला है जिसे अंक ज्योतिष या न्यूमरोलॉजी के नाम से पहचाना जाता है। वैसे तो अंक ज्योतिष हिब्रू लोगों का विषय है। इसके अनुसार इजिप्ट की जीप्सी विचरित जनजाति जो हमेशा रात को खुले आकाश के नियमित तारे गिनती रहती और दिन में उसके प्रत्याघात देखती रहती। इस शास्त्र को विकसित किए जाने का संपूर्ण योगदान इस जाति को दिया जाता है। अंक ज्योतिष शास्त्र में क, ख, ग, घ के अक्षरों और अंकों पर विचार किया जाता है। व्यक्ति के नाम के अक्षर अंग्रेजी में लिखकर प्रत्येक अक्षर की अंक ज्योतिषीय कीमत निश्चित करके नाम का नामांक प्राप्त किया जाता है। उसकी और जन्म तारीख, मास और वर्ष के अंकों का योग करके नामांक या जन्म तिथितांक प्राप्त किया जाता है और उसके ऊपर से भविष्यवाणी की जाती है।

इस शास्त्र में अंक 11, 22, 4, 2 आदि की जो नकारात्मक और विशेष असर देखने को मिलता है उसका सविस्तार अभ्यास भी क्रमशः किया गया है। उपरांत व्यक्ति के नामांक तिथितांक पर से भाग्यांक निकालकर भाग्यांक 1 से 11 और 22 के स्पेशल फल दिए गये हैं और उससे भविष्य जानने की जानकारी इस पुस्तक में उपलब्ध है। दूसरी ओर यदि किसी व्यक्ति की जन्म तारीख तो याद तो परंतु मास या वर्ष याद न हो तो उसका भविष्य देखने के लिए जन्म तारीख 1 से 31 तक में जन्मे व्यक्तियों का विशेष भविष्य भी अंक ज्योतिषीय विषयों का आगे बढ़ाकर नामांक अर्थात् नाम में उपयोग में लिए जाते अक्षरों के मूल्यों पर से निश्चित किया जाता एक अंक विशेष उसके ऊपर से भविष्य किस तरह से निश्चित करना, यह समझाया है। उपरांत नामांक में से स्वरांक और व्यंजनांक को भी भविष्य अलग-अलग करके उस पर से सचोट भविष्य करने की प्रचुर जानकारी इस पुस्तक में उपलब्ध करवाई है।

इस के अंत में जन्मांक पर विशद चर्चा की गई है जिसमें सभी अंकों अर्थात् 1 से 9 तक के सभी जन्मांक, भाग्यांक और नामांक की जानकारी उपलब्ध करवाई है। मेरे इस पुस्तक के पहले ज्योतिष शास्त्र के तथा अंक ज्योतिष शास्त्र के पुस्तकों को वाचकों ने बहुत ही प्रेम से स्वीकारा है उसे देखते हुए मुझे आशा है कि जो भूख और प्यास ज्योतिष शास्त्र के पुस्तकों द्वारा संतोष पाने में जो सफलता मिली है वैसी ही और शायद उससे विशेष सफलता संपूर्ण अंक ज्योतिष ग्रंथ के इस प्रकाशन द्वारा मुझे मिलेगी ऐसी मुझे आशा है। अंक और अंकशास्त्रअंकशास्त्र क्या है ? इसे समझने से पहले विचार करेंगे। अंक अर्थात् संख्याएँ, आँकड़े या नंबर। अंक के लिए अंग्रेजी शब्द Number या Figure है। अंक बहुत ही प्राचीन अर्थात् मानव जाति का इतिहास लिखने की शुरूआत से पहले के हैं। आदिमानव जब से एक-दूसरे के साथ विनिमय या आदान-प्रदान करने लगा तब से उसे गणना करने की आवश्यकता पड़ी होगी। यह गणना वह गुफाओं की दिवालों पर लीटीयाँ या रेखाएँ खींचकर पत्थर के टुकड़ों को गिनकर करता होगा। विद्वान मानते हैं कि मनुष्य की दस अंगुलियों पर से एक से दस की संख्याएँ तथा अंक गणित की दशांश पद्धति की शोध हुई होगी।
अंकों को संकेतों में लिखने की पद्धति प्राचीन समय के रसल्डीयनो, एसिरीयनो, सुमेरियनो, इजिप्सीयनो और चीनीओं के हिस्से में जाती है। वैदिक काल में हिन्दू भी यज्ञ की वेदी की रचना के लिए गणित और भूमिति का उपयोग करते थे। विद्वानों के मतानुसार वर्तमान समय में उपयोग में लिए जाने वाले अंकों के दस संकेतों का जन्म स्थान भारत को माना जाता है। संख्याओं की दशांश पद्धति कि जिसमें संख्याओं को उनके स्थान के अनुसार मूल्य दिया जाता है, उसकी उत्पत्ति भी भारत में ही हुई थी। संख्याओं के दसवें संकेत शून्य ‘0’ की शुरूआत भी भारत में ही हुई थी। शून्य के लिए अरब लोग Cifr का उपयोग करते थे। यह शब्द इटली में Zero (जीरो), उत्तर यूरोप तथा जर्मनी में यह Cifra और अंग्रेजी में Ciphre (साइफर) के रूप में उपयोग में आया। बीज गणित का प्रारंभ भी भारत में ही हुआ था। प्रसिद्ध ज्योतिषी भास्कराचार्य को एक भी पुत्र नहीं था। उनको केवल लीलावती नाम की एक पुत्री थी। उन्होंने गणित शास्त्र के एक उत्तम ग्रंथ की रचना करके लीलावती को अर्पण किया और उस ग्रंथ का नाम भी ‘लीलावती’ रखा था। इस ग्रंथ में बीजगणित, भूमिति, अंकगणित और त्रिकोणमिति का समावेश किया गया है।

आधुनिक युग में अंकों या संख्याओं के बिना क्या आप जीवन की कल्पना कर सकते हैं ? अंक अर्थात् गणना और गणना अर्थात् गणित। अंकों या गणित के बिना खेतीबाड़ी, बाग-बगीचा, शिक्षा, विज्ञान, खगोल शास्त्र, प्रवास वाहन व्यवहार, संदेश व्यवहार, व्यापार वाणिज्य, छोटे-बड़े व्यवसाय, रोजगार उद्योग, बांधकाम, यंत्र, कारखाने आदि कार्य कर सकते हैं संख्याओं के बिना कृत्रिम गृह, उपग्रह, आकाशयान, मिसाइल्स, अंतरिक्ष, प्रयोगशालाओं आदि का क्या शोध होता ? आप प्रतिदिन अपने जीवन के बारे में घड़ीभर विचार करोगे तो मालूम होगा कि हमारा कोई भी दिन अंकों के बिना नहीं बीतता है। सच, अंकों के बिना अपना जीवन जीने के योग्य ही नहीं लगेगा। मिस्र के महान गणित शास्त्र पायथागोरस ने सत्य ही कहा “ Number rules the universe’’ अंक विश्व पर हुकूमत (राज) करते हैं।
अंक शास्त्र को कुछ लोग संख्या-शास्त्र भी कहते हैं। अंक अर्थात् नंबर (Number) और उस पर से इस शास्त्र को अंग्रेजी में Numerology कहते हैं। इस शास्त्र के समान ही मिलता जुलता दूसरा आंकड़ा शास्त्र (Statistics) भी है। जिसमें तथ्यों, घटनाओं, हकीकतों, गुणधर्मों आदि अंकों की जानकारी एकत्र करके उसका वैज्ञानिक और गणित के रूप में उपयोग किया जाता है। परंतु यह अंकशास्त्र (Statistics) अपने अंकशास्त्र ज्योतिष से बिल्कुल अलग है।अति प्राचीन समय में अंकशास्त्र या संख्याशास्त्र का ज्ञान हिन्दुओं, ग्रीकों, खाल्डीओं, हिब्रुओं, इजिप्ट वासियों और चीनियों को था। अपने देश के प्रश्न विचार, स्वरोदम शास्त्र आदि प्राचीन ग्रंथों में अंकशास्त्र का अच्छा उपयोग हुआ है। अंकशास्त्र की व्याख्या देना बहुत ही कठिन है। इसके विषय में वोल्टर बी ग्रिब्सन द्वारा दी गई व्याख्या याद रखने जैसी है। “ The Science of Numerology is the practical application of the fundamental laws of mathematics to the material existance of a man.” ‘‘गणित शास्त्र के मूलभूत सिद्धांतों का मनुष्य के भौतिक अस्तित्व (या भौतिकी उत्कर्ष) के लिए होने वाला व्यवहारिक उपयोग ही अंकशास्त्र है।’’अंकशास्त्र विद्वानों का मानना है कि अंकशास्त्र का प्रारंभ हिब्रू मूलाक्षरों से हुआ है। हिब्रू में 22 (बाईस) मूलाक्षर हैं और उसके प्रत्येक अक्षर को क्रम अनुसार एक से बाईस अंक दिए गए हैं। प्रत्येक अक्षर और अंक विशिष्ट आंदोलन का संवादी होता है। उस समय हिब्रू लोग अक्षरों के स्थान पर अंक और अंकों के स्थान पर अक्षरों का उपयोग करते थे। तदुपरांत इन अक्षरों और अंकों के अधिपतियों के रूप में अलग-अलग राशियों तथा ग्रहों को निश्चित किया गया था। इसलिए हिब्रू लोगों के समय से ही अक्षरों, अंकों, राशियों और ग्रहों के बीच संबंध स्थापित हुआ मान सकते हैं और यह संबंध ही अंकशास्त्र के आधाररूप है।

पाश्चात्य देशों में सेफारीअल, डॉक्टर, क्रोस, मोन्ट्रोझ, मोरीस सी. गुडमेन, जेम्स ली, हेलन हिचकोक, टेयलर (Taylor) आदि अंक शास्त्रियों ने अलग-अलग पद्धतियाँ अपनाई हैं। उसमें से हीरो, डॉक्टर क्रोस, मोन्ट्रोझ, सेफारीअल आदि की पद्धति को हिब्रू या पुरानी पद्धति के रूप में पहचानेंगे क्योंकि उसमें अंग्रेजी मूलाक्षरों को जो नंबर दिए गए हैं वह हिब्रू मूलाक्षरों के क्रम अनुसार है जबकि जेम्स ली, हेलन, हिचकोक, टेयलर, मोरिस सी. गुडमेन आदि पश्चिम के आधुनिक अंक शास्त्रियों ने अंग्रेजी मूलाक्षरों के आधुनिक क्रम अनुसार नंबर दिए हैं और इसलिए हम उनकी पद्धति को आधुनिक अंकशास्त्र के रूप में पहचानेंगे।
अंकशास्त्र में जन्म के समय की जानकारी न हो तब भी चलता है। आपकी जन्म तारीख और आपका अभी का नाम ये दो वस्तुओं के ऊपर से आपके अच्छे-बुरे दिनों, महत्त्व के वर्षों, व्यवसायों, मित्रों, भागीदारों, प्रेम, विवाह, मुलाकातों, अन्य व्यक्तियों या वस्तुओं के साथ संबंध लाभदायक होंगे या नुकसानदायक होंगे आदि जान सकते हैं। अनुभव से हम जानते हैं कि कोई एक दिन या तारीख को किया गया कार्य निष्फल साबित होता है, जबकि दूसरी किसी तारीख या दिन को किया गया कार्य सफल होता है। ये सभी बातें हम अंकशास्त्र की मदद से जान सकते हैं। उसके लिए ज्योतिष शास्त्र जैसी कठिन गणना या असंख्य सिद्धांत याद रखने की आवश्यकता नहीं है। नाम लिखने जैसी अंग्रेजी का ज्ञान तथा गणित के सरल जोड़ या घटाव आते हों तो आप अवश्य ही अंकशास्त्र की ज्योतिष में निपुण बन सकोगे। प्राचीन और अर्वाचीन अंकशास्त्रप्राचीन अंकशास्त्र का प्रारंभ जॉन हेडन (John Haydon) के समय से हुआ मान सकते हैं। उसने अपनी पुस्तक Holy guide (होली गाइड) में अंतःप्रेरणा से अंकों और ग्रहों के बीच संबंध स्थापित किया। यह संबंध पुरानी हिब्रू पद्धति के किरो, मोन्ट्रोझ, डॉक्टर क्रोस जैसे विद्वानों ने स्वीकार्य किया था। यह संबंध निम्नानुसार हैं

1. सूर्य का धनात्मक अंक -1

सूर्य का ऋणात्मक अंक -4
2. चंद्रमा का धनात्मक अंक -7
चंद्रमा का ऋणात्मक अंक -2
3. मंगल का अंक -9
4. बुध का अंक -5
5. गुरु का अंक -3
6. शुक्र का अंक -6
7. शनि का अंक -8
8. युरेनस का अंक -4
9. नेपच्यून का अंक -7

जबकि आधुनिक अंकशास्त्री जैसे कि टेयलर, जेम्स ली, हेलन हिचकोक, गुडमेन आदि उपरोक्त संबंध रूप को स्वीकार नहीं करते, परंतु उसमें कुछ परिवर्तन करते हैं। उनके मतानुसार अलग-अलग ग्रहों के अंक निम्नानुसार हैं।

1. सूर्य का अंक -1
2. चंद्र का अंक -2
3. गुरु का अंक -3
4. शनि का अंक -4
5. बुध का अंक -5
6. शुक्र का अंक -6
7. युरेनस का अंक -7
8. मंगल का अंक -8
9. नेपच्यून का अंक -9
10. प्लूटो का अंक -0 या नहीं

कुछ आधुनिक अंकशास्त्री तो अंकों को ग्रहों के साथ संबंधित किए बिना ही उसके गुणधर्म आदि का वर्णन करते हैं। उपरोक्त अंतर के उपरांत अंग्रेजी मूलाक्षरों को अंकों-नंबरों के साथ में संबंधित करने में भी निम्मनानुसार का मतभेद है। हिब्रू या पुरानी पद्धति में मूलाक्षरों को निम्नानुसार के अंक दिए गए हैं। यह क्रम हिब्रू मूलाक्षर के क्रम अनुसार होने से अंग्रेजी मूलाक्षर के आधुनिक क्रम से सुसंगत नहीं है।
A, B, C, D, E, F, G, H, I, J, K, L, M
1, 2, 3, 4, 5, 8, 3, 5, 1, 1, 2, 3, 4,
N, O, P, Q, R, S, T, U, V, W, X, Y, Z,
5, 7, 8, 1, 2, 3, 4, 6, 6, 6, 5, 1, 7

इस पुरानी पद्धति में किसी भी अक्षर को 9 (नौ) का अंक नहीं दिया है तथा इसमें कोई निश्चित क्रम न होने से उसे याद रखना कठिन है। आधुनिक पद्धति नीचे दी गई है और उसमें अक्षरों को उनके क्रमानुसार ही अंक दिए गए होने से उन्हें याद रखना सरल पड़ता है। इसमें क्रमानुसार ही अक्षरों को 1 से 9 तक के अंक दिए गए हैं।
A, B, C, D, E, F, G, H, I,
1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9,
J, K, L, M, N, O, P, Q, R,
1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9,
S, T, U, V, W, X, Y, Z,
1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8,

अंकशास्त्र की पुरानी पद्धति में 11, 12 और 33 के अंकों को विशिष्ट स्थान नहीं दिया गया है। परंतु आधुनिक या अर्वाचीन पद्धति में 11, 22 और 33 के अंकों को मास्टर नंबर के रूप में विशिष्ट स्थान दिया गया है। हम यहाँ अर्वाचीन अंकशास्त्र की ज्योतिष पद्धति का क्रमशः अभ्यास करेंगे। इसके बाद मुख्य और मिश्र अंकों के बारे में देखेंगे। मुख्य और मिश्र अंकदुनिया के अधिकांशतः देशों में अंकों या संख्याओं को लिखने के लिए दशांश पद्धति का उपयोग किया जाता है। इस पद्धति में 1 से 9 और 0 (शून्य) इस प्रकार दस अंकों के संकेतों का उपयोग किया जाता है। 0 और 1 से 9 तक के अंकों को मुख्य या मूल अंक कहा जाता है। कुछ अंकशास्त्री 0 को अंक के रूप में स्वीकार नहीं करते। फिर भी उसके अंकशास्त्र में महत्त्व को स्वीकारते हैं। उपरोक्त नौ अंकों के अलावा अर्थात् दस से अनंत तक के अंकों का योग (जोड़) की क्रिया से मुख्य अंकों में बदल सकते हैं। इस प्रकार अंकों के दो प्रकार हैं। (1) 1 से 9 तक के मुख्य या मूल अंक और (2) 10 और उसके बाद के अनंत तक के मिश्र अंक।कई बार मिश्रांकों को मूलों या मूख्यांकों में बदलने की आवश्यकता पड़ती है। उसके लिए नीचे कुछ उदाहरण दिए हैं।
(1) 33 = 3+3 =6
(2) 854 = 8+5+4 = 1+7 = 8
(3) 2896 = 2+8+9+6 =25 = 2+5 =7
(4) 85797 = 8+5+7+9+7 = 36 = 3+6 = 9
उपरोक्त उदाहरण की पद्धति से आप भी आवश्यकता पड़ने पर मिश्रांकों को मुख्य अंकों में सरलता से बदल सकते हैं। कुछ मिश्रांकों के प्रतीकों टेरट कार्ड्स (Tarot cards) में मिश्र प्रतीकों के स्वरूप गूढ़ रूप से अंकित हुए मिलते हैं। बहुत ही प्राचीन चित्र होने से उनका प्रारंभ काल नहीं कहा जा सकता है। कीरो, सेफारीअल, मोन्ट्रोझ आदि इस शास्त्र के निष्णातो ने इन चित्रों के ऊपर से अंकों के जो अर्थ ढूंढ़ निकाले हैं वे मिश्र अंकों के पाठ में दिए जाएँगे।

आधुनिक अंकशास्त्री 11, 22 और 33 के मिश्र अंकों को विशेष महत्त्व देकर उन्हें (Master Numbers) सर्वोत्तम नंबर या सर्वोत्तम अंक मानते हैं। इन मास्टर नंबरों को (11, 22 और 33 को) पुरानी हिब्रू पद्धति में विशिष्ट स्थान नहीं दिया गया है। अधिकांशतः आधुनिक अंकशास्त्री 11 और 22 को ही मास्टर नंबर के रूप में नहीं स्वीकारते हैं। जीवन विकास के तीन अलग-अलग स्तरों या चरणों के साथ में इन तीन सर्वोत्तम अंकों को जोड़ा गया है। 1 से 11 वर्ष की आयु तक मनुष्य का शारीरिक विकास अधिक प्रमाण में होता है और इसलिए मिश्रांक 11 को मास्टर नंबर माना गया है। 21 वर्ष पूरे होने के बाद 22वें वर्ष में व्यक्ति को मत देने का अधिकार प्राप्त होता है। तदुपरांत 11 से 22 वर्ष तक में व्यक्ति का मानसिक विकास भी अधिक होता है और 22वें वर्ष तक में तो व्यक्ति सामान्य रूप से उच्च शिक्षा (कॉलेज शिक्षा) भी पूरी करता है और इस तरह से 22 के मिश्रांकों को सर्वोत्तम नंबर माना जाता है। 22वें वर्ष से 33 वें वर्ष तक में व्यक्ति की उच्च प्रकार की चेतना शक्ति का (Consciousness) विकास अधिक प्रमाण में होता है और इसलिए 33 को भी मास्टर नंबर माना गया है। (Florence Campbell) फ्लोरन्स केम्पबेल इन अंकों के बारे में निम्नानुसार लिखते हैं।
‘‘जिनके नाम या जन्म तारीख में ये मास्टर नंबर (11 और 22) आए हुए होते हैं वो जान लें कि नेतृत्व और अंतःप्रेरणा के गुण कि जो बहुतायत लोगों को नहीं मिले होते हैं, उससे वे संपन्न हैं।
ऊपर के मास्टर नंबरों के गुणधर्मों का वर्णन पूर्ण जन्मांक, जीवन चक्रांक, भाग्यांक, नामांक आदि की चर्चा में दिया जाएगा।
भाग्यांक-1भगवान ईशु ने कहा है कि “ Know they self” आप अपने आपको (अपनी आत्मा को) पहचानो’’ परंतु हम अपने आपको या अपनी आत्मा को पहचानने का सही प्रयत्न क्या करते हैं ? हम यदि वैसा करें तो हम अवश्य ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। अपना भविष्य जानने की किसी को इच्छा नहीं होती होगी ? अनासक्त, निर्लेप और निष्काम ऐसे योगियों को या पशु जैसे जड़ और बुद्धिहीनों को तथा सामान्य संसारी जन को अपना भावी जानने की इच्छा तो रहती ही है। अपने आपको अर्थात् कि अपने सच्चे स्वभाव को पहचानने के लिए तथा अपना भावी जानने के लिए सभी को अपनी पूर्ण जन्म तारीख जानना आवश्यक है। भाग्यांक-1 को जीवनचक्रांक (Life Cycle Number) जीवन-पथ (Life Path) या व्यक्तित्वांक (Individuality Number) भी कहा जाता है। अंकशास्त्र में मनुष्य के नाम से ज्यादा उसकी पूर्ण जन्म तारीख को नीचे के कारणों से महत्वपूर्ण माना जाता है।
(1) प्रत्येक मनुष्य की जन्म तारीख निश्चित अर्थात् कभी भी न बदली जा सके ऐसी वस्तु है, जबकि उसका नाम इच्छा हो तब अर्थात् जब चाहे बदल सकते हैं।
(2) कुछ व्यक्ति एक से अधिक नामों से पहचाने जाते हैं। ऐसी परिस्थितियों में कौन सा नाम नामांक के लिए लेना उसका निर्णय करना कठिन बनता है।

(3) मनुष्य की जन्म तारीख उसके जन्म समय के ग्रहों की स्थिति और असर दर्शाती है और यह असर जीवनभर रहता है। पूर्ण जन्म तारीख अर्थात् तारीख, मास और वर्ष के साथ वाली जन्म तारीख 1 जन्म तारीख पर से भाग्यांक, जीवनचक्रांक या जीवन पथ नीचे दर्शायी गई पद्धति से ढूंढ़ या निकाल सकते हैं। उसके लिए कुछ उदाहरण नीचे दर्शाए गए हैं।
(1) श्री लाल बहादुर शास्त्री की जन्म तारीख 2-10-1904 थी। उनका भाग्यांक 2+1+0+1+9+0+4 = 17 = 1+7 = 8
(2) डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जन्म तारीख 2-9-1888 थी। उनका भाग्यांक 2+9+1+8+8+8 = 36 = 3+6 = 9 है।
(3) भूतपूर्व वित्तमंत्री तथा गृहमंत्री श्री एच.एम.पटेल। जन्म तारीख 27-8-1904 है। उनका भाग्यांक 2+7+8+1 +9+0+4 = 31 = 3+1 =4 होता है।

अब सभी लोग अपनी पूर्ण जन्म तारीख से उपरोक्त तरीके से अपना भाग्यांक, जीवनचक्रांक या जीवन पथ ढूंढ़ सकेंगे। व्यक्ति के भाग्यांक का असर अर्थात् भाग्यांक के आंदोलन का असर उसके जन्म से या मृत्यु पर्यन्त अर्थात् कि पूरे जीवन पर्यंत रहती है। भाग्यांक की मदद से व्यक्ति अपने स्वभाव, चरित्र, व्यक्तित्व, विशिष्ट शक्तिओं और कमजोरियों, गुणों और अवगुणों, वृत्तिओं, अभिरूचियों आदि को जान सकता है। अंग्रेजी में एक सुभाषित है “CHARACTER IS DESTINY” ‘‘चरित्र ही भाग्य है।’’ मनुष्य अपने स्वभाव और चरित्रानुसार अपने भाग्य का निर्माण कर सकता है। भाग्यांक की मदद से अपना स्वभाव और चरित्र जानकर भी वह भाग्य का निर्माण कर सकता है। प्रत्येक भाग्यांक का अच्छा और बुरा दोनों ही प्रकार से दो बाजुएँ होती हैं। सभी को अपने भाग्यांक के अच्छे गुणों का विकास करने के लिए और उसके दुर्गुणों से दूर रहने का प्रयत्न करना चाहिए। शून्य भाग्यांक के रूप में नहीं आ सकता है। परंतु जन्म तारीख में शून्य आए तो वह उसके आगे और पीछे आए हुए अंकों का मूल्य अनेक गुणा घटा और बढ़ा देता है। गुजराती में कहावत है कि ‘‘ अंकों के बिना का शून्य बेकार।’’ इसके अनुसार शून्य जब किसी अंक के बाद आता है तब उस अंक का बल शून्य दस गुणा बढ़ा देता है। इसके बाद 1 से 9 तथा 11 और 22 भाग्यांकों के बारे में क्रमशः जानकारी दी जाएगी।
कैसे करें अंक ज्योतिष का प्रयोग?
विनय गर्ग
ड्रा कोई भी हो चाहे मकान के अलाटमेंट का या लाटरी का हर जगह हम अंकों में अपना भविष्यफल खोजने लगते हैं और खोजें भी क्यों नहीं, क्योंकि अंक विज्ञान भी तो ज्योतिष की ही एक शाखा है।

अंकों का हमारे जीवन में बहुत बड़ा योगदान है। आज हम कोई वाहन लेने जाते हैं तो सोचते हैं कि यदि गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर अपने अनुकूल मिल जाता तो ज्यादा अच्छा होता। यही नहीं जब हम मकान खरीदने जाते हैं, या मित्र बनाते हैं, नाम रखते हैं या परीक्षाओं में रोल नंबर देखते हैं तो गणना करने लगते हैं कि यह रोल नंबर हमारे अंक के अनुकूल है या नहीं। इसके अलावा ड्रा कोई भी हो चाहे वह मकान के अलाटमेंट का हो या लाटरी का हर जगह हम अंकों में अपना भविष्यफल खोजने लगते हैं और खोजें भी क्यों नहीं, क्योंकि अंक विज्ञान भी तो ज्योतिष की ही एक शाखा है। प्रत्येक अंक किसी न किसी ग्रह से अभिभूत होता है। यही नहीं आजकल आप देखेंगे कि बड़े-बड़े फिल्मी सितारें, बड़ी सफलतम हस्तियां भी अंक विज्ञान के प्रभाव से अछूती नहीं हैं और ऐसा वास्तव में देखा भी गया है कि नाम परिवर्तन करके लोगों ने ख्याति भी अर्जित की है।

अंक ज्योतिष' शब्द, अंक और ज्योतिष के योग से बना है। अर्थात् ऐसा विज्ञान जिसके द्वारा अंकों का प्रयोग ज्योतिष के साथ संबद्ध करके प्रयोग किया जा सके उसे अंक ज्योतिष कहेंगे। जैसा कि विदित है- अंक 1 से ९ तक होते हैं जबकि ज्योतिष में मूल रूप से तीन तत्व हैं- ग्रह, राशि और नक्षत्र। ग्रह ९ राशियां १२ और नक्षत्र २७ होते हैं। अर्थात् नौ अंकों का संबंध ९ ग्रहों १२ राशियों और २७ नक्षत्रों के साथ करना होता है। ज्योतिष का क्षेत्र तो काफी विस्तृत है। परंतु अंक शास्त्र का क्षेत्र ज्योतिष की तुलना में सीमित है। यदि कम प्रयास से अधिक गणना करनी हो या शुभ और अशुभ समय अर्थात शुभ वार, तिथि, मास, वर्ष, आयु, लग्न या होरा आदि जानना हो तो अंक शास्त्र का प्रयोग बखूबी किया जा सकता है। अंक ज्योतिष हेतु कुछ मुख्य सारणियों का प्रयोग आवश्यक होता है जो इस प्रकार हैं : अंक शास्त्री सैफेरियल के अनुसार वर्ण की संख्या का मान इस प्रकार है।

अंक ज्योतिष में ३ प्रकार के अंकों का प्रयोग किया जाता है वे हैं- १. मूलांक, २. भाग्यांक ३. नामांक

किसी जातक के बारे में जानने के लिये सर्वप्रथम जातक की जन्म तिथि और नाम मालूम होना चाहिए। जन्म तिथि के आधार पर जातक का मूलांक और भाग्यांक ज्ञात कर सकते हैं। जन्म तिथि में से यदि सिर्फ तिथि के अंकों को जोड़ दिया जाये तो मूलांक ज्ञात होगा जैसे ११-०७-१९६४ में मूलांक हेतु ÷११' में १+१ = २ अर्थात मूलांक ÷२' होगा। अब भाग्यांक निकालने के लिये जन्मतिथि को माह व वर्ष के साथ जोड़ना होगा। अर्थात् १+१+७+१+९+६+४ = २९ = २+९ = ११ = १+१ = २ अर्थात इस जातक का मूलांक एवं भाग्यांक ÷२' है। तथा ÷अंक' का अधिष्ठाता ग्रह चंद्र है। अतः अंक विज्ञान के अनुसार जातक का स्वभाव, शारीरिक गठन, भाग्य आदि सभी कुछ चंद्र के आधार पर निश्चित किया जायेगा।

यदि हम जानना चाहें कि जातक के लिये कौन सी तिथियां शुभ होंगी तो कहा जा सकता है कि २, ११, २० तिथियां प्रत्येक मास की शुभ होंगी, क्योंकि मूलांक ÷२' है। यदि यह तिथियां सोमवार के दिन पड़ जायें तो और अधिक शुभ हो जायेंगी। क्योंकि सोमवार के दिन का अंक ÷२' है। इसी क्रम से यदि यह तिथियां फरवरी के मास की होंगी तो और अधिक शुभ हो जायेंगी। यहां फरवरी मास का अंक ÷२' है। इसी प्रकार यदि जातक के शुभ वर्ष जानना हो तो इसको दो प्रकार से देखा जा सकता है। एक तो जातक की आयु के आधार पर और दूसरा वर्ष के अंकों के आधार पर जैसे २ अंक के लिये उसकी आयु के २, ११, २०, २९, ३८, ४७, ५६, ६५, ७४ वर्ष की आयु शुभ वर्ष होंगे यहां आयु के सभी अंकों का योग ÷२' है और दूसरे आधार पर हम देखेंगे कि वर्ष १९६४ का अंक होगा १+९+६+४ = २० २+० = ÷२' अर्थात अंक ÷२' का जातक के जीवन पर काफी प्रभाव रहेगा। इसी प्रकार शुभ वर्ष होंगे- १९६४, १९७३, १९८२, १९९१, २०००, २००९, २०१८, २०२७, २००२६, २०३५ आदि। क्योंकि वर्षों के अंकों का योग भी ÷२' है। आयु वर्ष उसे कहेंगे जो उसकी आयु के अंकों का जोड़ होगा। शुभ वर्ष वही होगा जो ईस्वी वर्ष के अंकों का जोड़ होगा, यही आधार अधिक सटीक है। अर्थात हम कह सकते हैं कि वर्ष २००९ जिसके वर्ष अंकों का अंक ÷२' है अधिक शुभ वर्ष रहा होगा बजाय इसके कि जब जातक ३८ वर्ष का होगा। भले ही ३८ वर्ष की आयु के अंकों का योग भी ÷२' ही होगा। यदि देखें तो आप पायेंगे कि जातक २००२ में ३८ वर्ष का हुआ होगा। अनुभव के आधार पर देखेंगे तो आप पायेंगे कि २००२ का वर्ष २००९ से कम शुभ रहा होगा, भले ही दोनों वर्षों में जातक के लिये ÷२' अंक का प्रभाव है एक आयु के आधार पर और दूसरा वर्ष अंक के आधार पर।

मूलांक, भाग्यांक और जन्म वर्ष सभी का अंक "२" हमें बताता है कि जातक का जीवन सामान्य तौर पर शुभ ही रहा होगा तथा जीवन में चंद्र से प्रभावित होने के कारण जातक भावुक व भ्रमणशील प्रवृत्ति का होगा। माता का सुख व स्वास्थ्य अच्छा होगा। ऐसे व्यक्ति के लिये सफेद रंग हमेशा शुभ रहेगा तथा अंक ÷२' वाला मकान नंबर का निवास शुभ रहेगा। अंक ÷२' का पंजीकृत वाहन शुभ रहेगा। सोमवार का दिन, फरवरी का महीना, २, ११, २० तिथियां हमेशा शुभ रहेंगी। अंक ÷२' वाले जातक के लिए अनुकूल व शुभ देवता चंद्र के देवता ÷शिव' जिन्होंने अपनी जटाओं में चंद्र को समाहित किया हुआ है, शुभ रहेंगे। इसी प्रकार अनुकूल रत्न मोती तथा अनुकूल धातु चांदी होगी। ऐसे जातक को चंद्र से संबंधित व्यवसाय जैसे द्रव पदार्थ, समुद्र यात्रा, चीनी, अन्न, दूध, दही, चावल, संपादन व अभिनय कार्य करना अधिक शुभ रहेगा। मंत्र जाप के लिये चंद्र का मंत्र"ओम श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः" का जाप अधिक शुभ होगा। इसी प्रकार अंक २ के मित्र अंकों के जातकों के साथ मित्रता शुभ रहेगी तथा अंक २ के मित्र अंकों के साथ मित्रता शुभ रहेगी एवं अंक ÷२' के शत्रु अंकों के साथ मित्रता अशुभ रहेगी। क्योंकि मित्र अंक के व्यक्तियों का स्वभाव समान व अनुकूल होगा जबकि शत्रु अंक वाले व्यक्तियों का स्वभाव प्रतिकूल होगा। जिसके कारण मित्रता में स्थायित्व नहीं रह पाता। 

मूलांक और भाग्यांक तो जन्म तिथि के आधार पर निश्चित हो जाते हैं जिनको जातक परिवर्तित नहीं कर सकता है। परंतु नामांक भी यदि इनसे मेल खाता हो तो जातक और अधिक सम्मानित, सफल सुखी एवं समृद्ध रहेगा। इसके लिये हमें ऊपर दी गयी सारणियों का प्रयोग करके उसके नाम को अनुकूल बनाना होगा। यही कारण है कि आज सभी लोग चाहे वह सामान्य व्यक्ति हो या कोई फिल्मी हस्ती, सभी लोग अपने नाम में परिवर्तन करके सफलता को प्राप्त कर रहे हैं। फिल्मी क्षेत्र में, औद्योगिक क्षेत्र या अन्य क्षेत्रों में कार्य करने वाले अनेक लोगों ने अंक शास्त्र के आधार पर अपने नाम की स्पैलिंग में परिवर्तन किया है और सफलता भी प्राप्त की है।

यदि जातक तारीख, मास, वर्ष, वार के साथ-साथ अनुकूल ग्रह की होरा में महत्वपूर्ण कार्य करे तो सफलता और भी अधिक आसानी से प्राप्त की जा सकती है। जैसा कि आप जानते ही होंगे कि सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक लगभग २४ घंटे के समय अंतराल में २४ होरायें होती हैं और प्रत्येक होरा की अवधि एक घंटा होती है और जिस दिन जो वार होता है उस दिन उसी वार के ग्रह की पहली होरा होती है जैसे बुधवार को पहली होरा ÷बुध' की होगी। जिसकी अवधि सूर्योदय से 1 घंटे तक रहेगी तत्पश्चात उल्टे क्रम में एक ग्रह छोड़कर दूसरे ग्रह अर्थात दूसरी होरा मंगल को छोड़कर चंद्र की होगी। इसी प्रकार अन्य होरायें होंगी और हर आठवीं होरा पुनः आ जायेगी। यानी बुधवार को आठवीं होरा पुनः बुध की ही होगी। इस प्रकार जातक अपने महत्वपूर्ण कार्यों के लिये अंक पर आधारित राशि और नक्षत्रों का भी प्रयोग कर सकते हैं। 

अंक व आकस्मिक दुर्घटनायें 
ज्योतिष एक कामधेनु गाय की भांति है, जिस से लोग अपने जीवन को समृद्ध करने की व अपने दुखों को कम करने की कामना करते हैं। ऐसे लोग कभी जन्मकुंडली दिखा कर, कभी हाथ की रेखायें दिखा कर व कभी अंक शास्त्र का सहारा लेकर अपनी जिज्ञासा को शान्त करने का प्रयास करते हैं। जीवन में दुख न हों, अशुभ न घटे व दुर्घटनायें न होने पायें - ऐसी उम्मीद सभी जन मानस ज्योतिष से रखते हैं।

अंक शास्त्र इसी विषय में सहायता कर सकता है। कैसे, आईये देखते हैं - किसी भी व्यक्ति के जीवन का संबंध अंकों व शब्दों से उतना ही है जितना की उसके रक्त, मांस व मज्जा से होता है। धनात्मक व ऋणात्मक अंको के प्रभाव से व्यक्ति के मन पर भी असर पडता है और वह व्यक्ति इसी असर के वशीभूत होकर जीवन में सुकर्म या कुकर्म कर अपने लिये शुभ या अशुभ फल प्राप्त करता है।

जिस तरह से वैज्ञानिक ÷कैलोरी' के माध्यम से यह बता देते हैं कि कोई विशेष भोजन व्यक्ति के लिये शक्ति वर्धक है या नहीं। 
इसी प्रकार से हमारे ऋषि मुनियों ने भी अपनी खोजों से यह बता दिया था कि कौन सा अंक किसी व्यक्ति के लिये कैलोरी की भांति उसके जीवन के लिये शक्तिशाली है या नहीं। शुभ अंक से संबंधित नाम, कारोबार आदि अपना कर व्यक्ति अपने जीवन को सुखी व समृद्ध बना सकता है तथा यदि वह अशुभ अंकों का साथ रखता है तो दुर्घटनाओं को आमंत्रित कर सकता है। 

भाग्यांक :
प्रत्येक व्यक्ति का एक शुभ अंक होता है जो उसके जीवन के लिये सुखदायी होता है, इसे भाग्यांक कहते हैं। इसी भाग्यांक को अगर व्यक्ति अपने जीवन में पहचान कर उससे जुडी वस्तुओं को अपने जीवन में स्थान देता है तो फिर उस व्यक्ति को प्रगति के पथ पर चलने से कोई नहीं रोक सकता।

जिस तरह से दाना डाल देने से कबूतर आते हैं, चीनी डाल देने से चींटियां आ जाती हैं, उसी तरह से किसी विशेष व्यक्ति के भाग्यांक से संबंधित वस्तुओं के प्रयोग से भाग्यशाली फल अपने आप ही उसे मिलने शुरू हो जाते हैं।

किसी भी व्यक्ति का भाग्यांक ज्ञात करने के लिये निम्न उदाहरण देखा जा सकता है : व्यक्ति की जन्म तिथि = ७/८/१९६६ सभी अंको का जोड = ७+८+१+९+६+६ = ३७ पुनः जोड = ३+७ = १० पुनः जोड = १+० = 1 अतः व्यक्ति का भाग्यांक 1 कहलायेगा। 

निम्न तालिका से देखा जा सकता है कि 1 अंक के शत्रु अंक ४, ७ व ८ हैं। यदि व्यक्ति 1 अंक से संबंधित वस्तुओं को अपनायेगा तो सुख व समृद्धि प्राप्त करेगा और यदि ४,७ या ८ अंकों की वस्तुओं को अपनायेगा तो दुख व दुर्घटनाओं को प्राप्त कर सकता है।

अंक शास्त्र के अनुसार कोई व्यक्ति अपने शत्रु अंकों के कारण ही आकस्मिक दुर्धटनाओं का शिकार होता है। ऐसी आकस्मिक दुर्घटनायें पांच प्रकार की हो सकती हैं जिनका विवरण उपरोक्त सारणी में दिया जा रहा है।

अतः अपने-अपने भाग्यांक को पहचान कर निम्नलिखित संभावित आकस्मिक दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है -
1 भू-दुर्घटना 

इसमें सडक दुर्घटना, रेल दुर्घटना, सीढियों से गिरना व भू-स्खलन आदि को लिया जाता है। इस दुर्घटना का कारक अंक ५ है। अतः यदि किसी व्यक्ति के भाग्यांक की शत्रुता ५ अंक से है तो उसे भू- दुर्घटना के प्रति सावधान रहना चाहिये। ९ भाग्यांक वाले अक्सर इसी दुर्घटना से प्रभावित रहते हैं।

२ जल दुर्घटना

इसमें पानी में डूबना, बरसात में अधिक भीग जाने पर न्यूमोनिया होना, डायरिया होना आदि को लिया जाता है। इस दुर्घटना के कारक अंक २ व ६ हैं। अतः ३,४,५,७ भाग्यांक वाले व्यक्तियों को जल दुर्घटना के प्रति सावधान रहना चाहिये।

३ अग्नि दुर्घटना

इसमें अग्नि से जलकर मरना, प्रचण्ड गर्मी से मरना, लू लगना आदि दुर्घटनाओं को लिया जाता है। इस दुर्घटना के कारक अंक केवल 1 व ९ है। अतः ४,६,७,८ भाग्यांक वाले व्यक्तियों को अग्नि से होने वाली दुर्घटनाओं के प्रति सावधान रहना चाहिये। 

४ वायु दुर्घटना 

इसमें वायु में होनी वाली दुर्घटना, किसी ऊंचाई से गिरना, वात रोग से पीडित होना आदि को लिया जाता है। इस दुर्घटना के कारक अंक ३ व ८ हैं। अतः १,२,६,९ भाग्यांक वाले व्यक्तियों को वायु दुर्घटना के प्रति सावधान रहना चाहिये।

५ अन्य दुर्घटनायें

इसमें बिजली से होने वाली दुर्घटनायें, शोक व दुख से होने वाले निधन, प्राणाघात आदि को लिया जाता है। इसके कारक अंक ४ व ७ हैं। अतः १, २, ३, ९ भाग्यांक वाले व्यक्तियों को इस प्रकार की दुर्घटनाओं के प्रति सावधान रहना चाहिये।

अतः भाग्यांक से संबंधित ऊपरलिखित वस्तुओं को जीवन में अपना कर तथा शत्रु अंक से संबंधित वस्तुओं का दानादि कर आकस्मिक दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है। जैसे कि ऊपर र्वणित उदाहरण के व्यक्ति को भाग्यांक 1 से संबंधित वस्तुओं जैसे कि सुनहरी रंग के वस्त्र पहनने चाहिये या पिता की सेवा करनी चाहिये या माणिक रत्न धारण करना चाहिये और शत्रु अंक ४, ७ व ८ की वस्तुओं जैसे कि तिल, तेल व कंबल आदि का दान करना चाहिये और होने वाली आकस्मिक दुर्घटनाओं से बचाव करना चाहिये। 
शुभ नाम का चयन कैसे करें ?

हमारे जीवन में ÷नाम' का बड़ा महत्व होता है नाम से ही हमारी पहचान होती है। नाम रखने की विधि को हमारे यहां संस्कार का दर्जा दिया गया है जिसमें जातक के जन्म नक्षत्र पर आधारित नाम रखने का चलन है। कभी-कभी यह भी देखने में आता है कि किसी जातक का नाम तो बड़ा अच्छा है, परंतु फिर भी सफलता उससे कोसों दूर होती है ऐसे में अंक ज्योतिष द्वारा उसके नाम में थोड़ा सा परिवर्तन करके उपयोग में लाने से लाभ प्राप्त होता है।

वैसे तो नाम के अंकों (नामांकों) को घटा बढ़ाकर लिखने से सही व उपयुक्त नाम रखा जा सकता है। परंतु इस विधि से नाम रखने पर भी अधिक लाभ नहीं मिलता कारण मूलांक व भाग्यांक का नामांक से मेल न रखना। यदि किसी जातक के नामांक का ग्रह उसके मूलांक, भाग्यांक का शत्रु होता है तो उसके नाम को बदलना चाहिए। नाम के आगे अथवा पीछे कुछ अक्षरों को जोड़ घटाकर नामांक को उसके भाग्यांक/मूलांक के साथ समायोजित कर लाभकारी बनाया जा सकता है।

स्पष्ट है कि कुछ अंक किसी निश्चित अंक के मित्र व कुछ शत्रु होते हैं। यदि नामांक, भाग्यांक व मूलांक के शत्रु अंक का होगा तो सफलता नहीं मिलेगी इसलिए नामांक का मूलांक व भाग्यांक से समायोजन होना जरूरी है।

मूलांक-
किसी भी जातक की जन्मतिथि का योग मूलांक कहलाता है जैसे १४, ५, २३ तारीखों को जन्मे जातकों का मूलांक ५ कहलाएगा।

भाग्यांक-
जन्म की तिथि, माह व वर्ष का योग भाग्यांक होता है जैसे 01 जनवरी १९८२ का भाग्यांक १+१+१+९+८+२=२२ =४ होगा। 
शुभ नाम चयन हेतु उदारण देखें-


किसी जातक का नाम Mahendra Singh व उसकी जन्मतिथि ११/०१/१९८० है। जातक का मूलांक = ११ = १+१ = २ है। जातक का भाग्यांक = ११/०१/१९०८ = १+१+१+१+९+८+० = २१ = ३ जातक का नामांक- M A H E N D R A S I N G H 4 1 5 5 5 4 2 1 + 3 1 5 3 5 = 27 + 17 = 44 = 8

अतः जातक का संबंध २, ३ व ८ अंकों से है चूंकि नामांक (८) २ व ३ का मित्र अंक नहीं है इसलिए जातक को इस नाम में कुछ फेर बदल करना पड़ेगा (क्योंकि मूलांक व भाग्यांक तो बदले नहीं जा सकते)।

यदि जातक अपना नाम केवल Mahendra कर ले जिससे नामांक २७ =९ हो जाएगा तो उसे लाभ होने लगेगा कारण अंक ९ मूलांक व भाग्यांक दोनों का मित्र है जिससे उसे हर काम में आसानी व अपेक्षित लाभ होने लगेगा।
वास्तु में अंकशास्त्र का उपयोग 

जब आप कोई मकान, जमीन, फ्लैट आदि खरीदने के बारे में सोचते हैं तो सबसे पहले आपके मन में यही प्रश्न उठता है कि अमुक अंक का मकान, प्लॉट, फ्लैट मेरे लिए शुभ होगा या नहीं? अमुक शहर में इसकी खरीदारी करके वहां रहना फलदायक होगा या नहीं? विभिन्न प्रकार के प्रश्न मन में आते हैं और शंकाएं पैदा होती हैं। अतः इन सभी समस्याओं का समाधान वास्तु और अंक ज्योतिष में मिलता है। 

कौन सा अंक किस ग्रह से जुड़ा हुआ है। यह इस प्रकार से है- 

वास्तु शास्त्र में इन अंकों और ग्रहों का महत्वपूर्ण स्थान है, इनके ज्ञान के अभाव में वास्तु अधूरा रह जाता है। आपकी जो जन्म तिथि होती है वह अंक आपका मूलांक कहलाता है। इस अंक का अधिपति ग्रह आपको हमेशा ही प्रभावित करता है। 

उदाहरण के लिए माना कि आपकी जन्म तारीख २६ है तो २+६=८ आपका जन्म अंक हुआ और अंक का अधिपति ग्रह शनि है। यह ग्रह आपके जीवन पर सबसे अधिक प्रभाव डालेगा क्योंकि शनि ग्रह आपके जन्म तिथि अंक ८ का अधिपति ग्रह है। 

विभिन्न तरंगें उत्पन्न करने के कारण अंक एक-दूसरे के मित्र, सम या शत्रु भी होते हैं। विभिन्न ग्रहों से जुड़े होने के कारण अंकों के विभिन्न शुभ रंग भी होते हैं। 

सूर्य के अंक-१ मित्र अंक २, ४, ७ हैं और इनका शुभ रंग सुनहरा, पीला, तांबाई सुनहरा भूरा है। 

चंद्र के अंक-२ के मित्र अंक १, ४, ७ हैं और इनका शुभ रंग हल्के से गहरा हरा, सफेद और क्रीम हैं। 

बृहस्पति के अंक ३ के मित्र अंक ६, ९ हैं और इनका शुभ रंग पीला, परपल, गुलाबी और जामुनी है। 

हर्षल के अंक-४ के मित्र अंक १, २, ७ हैं और इनका शुभ रंग स्लेटी, हल्का नीला है।

बुध के अंक ५ के सभी अंक मित्र हैं और इनका शुभ रंग सफेद स्लेटी और सभी रंगों के हल्के शेड हैं। 

शुक्र के अंक ६ के मित्र अंक ३, ६, ७, ९ हैं और इनका शुभ रंग हल्के से गहरा नीला और गुलाबी है। 

शनि के अंक ८ के मित्र अंक १, ३, ५, ६ हैं और इनका शुभ रंग गहरा स्लेटी, काला, गहरा नीला और जामुनी है। 

वरुण के अंक ७ के मित्र अंक २, १, ४ हैं और इनका शुभरंग हरा, पीला, सफेद है। 

आपके जन्म अंक की तरह ही भवन, फ्लैट के नंबर और जगह का नाम का अंक जानने के लिए सूची इस प्रकार से देखें- 

यदि आपकी जन्म तारीख १२ है तो आपका जन्म मूलांक १२ यानी कि १+२=३ होगा। और यदि आपका फ्लैट नं. ८७ है तो फ्लैट का नंबर अंक ८+७=१५ = १+५=६ होगा। 

देहरादून (DEHRADUN) में फ्लैट लेना है तो DEHRADUN का अंक होगा४५५२१४६५=४+५+५+२+१+४+६+५= ३२ =३+२=५। 

आपका मूलांक ३ है, फ्लैट नंबर ६ है और देहरादून का अंक ५ है तो क्रमशः फ्लैट और देहरादून के अंक ६, ५ आपके जन्म अंक ३ के मित्र हैं। क्योंकि बृहस्पति के अंक ३ के मित्र अंक ६ व ९ हैं तथा बुध के अंक ५ के सभी अंक मित्र होते हैं। इसलिए आपके लिए यह फ्लैट देहरादून में लेना शुभ होगा। 
अंक कुंडली 
अंकशास्त्र में अंक कुंडली का बड़ा महत्व है। अंक कुंडली से जातक के व्यक्तित्व, चरित्र तथा उसके भौतिक विकास एवं उन्नति का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है।

आजकल जो हम नाम में कोई भी अक्षर प्रयोग करके जीवन को अच्छा या सुखमय बनाने का प्रयास करते हैं, उसका आधार भी अंक कुंडली में यह देखकर किया जाता है कि जातक को किस ग्रह और योग की आवश्यकता है। अंक कुंडली वैवाहिक जीवन में भी बहुत महत्वपूर्ण है। जो योग लड़की की कुंडली में नहीं है वह योग अगर लड़के की कुंडली में हुआ तो वह जीवन में सामंजस्य बिठाने में सहायक होगा। दोनों मिलकर जीवन की हर स्थिति को सुधारने का प्रयास करेंगे।

अंक कुंडली स्थिर होती है जो इस प्रकार होगी।
अंक कुंडली को तीन भागों में बांटा गया है। ऊपर की पंक्ति में ३-१-९ जो आध्यात्मिक स्तर बताता है। बीच की पंक्ति ६-७-५ जो बौद्धिक एवं भावनात्मक है। आखिरी पंक्ति २-८-४ है जो भौतिक एवं सांसारिक अंक हैं। 

जन्मतिथि के आधार पर हम इसमें अंकों को बिठाते हैं जैसे यदि किसी की जन्मतिथि १२.०५.१९७६ है तो अंक कुंडली इस प्रकार होगी।

इस कुंडली के आधार पर यह जातक बौद्धिक तथा भावनात्मक स्तर पर परिपक्व है। सूर्य के होने से हर कार्य में दक्ष होता है। चंद्रमा से दिल से अच्छा और भावुक होगा।
अंक कुंडली के कुछ योग :

३-१-९ यह योग अगर जन्मतिथि से बन जाए तो जीवन में सब कुछ आसानी से मिल जाता है। परंतु अंक ८ का इस पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। ऐसा जातक तीक्ष्ण बुद्धि वाला, उत्तम विद्या प्राप्त करने वाला व दूसरे का भला करने वाला होता है। यह व्यक्ति अधिकारी, शासक होगा परंतु यह व्यक्ति शराब का सेवन करेगा। तो जीवन विवादों में गुजरेगा। 

३-६-२/६-२ का योग अशुभ भी है। परंतु ३ का होना बहुत शुभकारी माना गया है। यह हमें हर परेशानी से बचा लेगा। ६-२ के योग से जीवन में बाधाएं आती हैं तथा पर स्त्री से संबंध बनता है। संतान का सुख कम बनता है पर ३ होने से सब सुख मिलते हैं। जातक अगर संबंध बनाता है तो उस रिश्ते को नाम भी देता है, कोई अवैद्ध संबंध नहीं रखता है। विद्या अच्छी रहती है। जातक परिवार का सुख पाता है और जिम्मेदार होता है। 

१-७-८ / ७-८ से शारीरिक कष्ट, व्यापार में उतार चढ़ाव रहते हैं। परंतु नौकरी लाभदायक रहती है। ऐसे व्यक्ति का धन दूसरे के काम आता है। परंतु सूर्य (१) के होने से व्यक्ति सफल होता है। उसमें हर समस्या का सामना करने की हिम्मत रहती है। यह योग मध्यम उम्र के बाद आध्यात्मिकता को बढ़ाता है। वह अपनी आस्था एवं अपने विश्वास पर जीवन को सफल बनाता है व ईश्वरोन्मुख हो जाता है। 

९-५-४ यह योग साहस और बुद्धिमता का प्रतीक है ऐसा जातक तकनीकि शिक्षा, मेडिकल, इंजीनियरिंग, सेना, पुलिस, आदि में सफल होगा। ऐसा व्यक्ति आंदोलन करता है। समाज में गलत देखकर आंदोलन करने को तैयार रहता है। ऐसे जातक संघर्षमय जीवन जीते हैं। इस योग से प्लाट, भूमि, मकान व जमीन जायदाद के विवाद का संकेत बनता है। 

६-७-५ यह योग जीवन उन्नति के लिए बहुत अच्छा है। इससे यात्रा, विदेश यात्रा का योग बनता है। किसी विशेष ज्ञान एवं कला के कारण मान सम्मान मिलेगा। पत्नी मददगार रहती है। व्यापार में सफलता मिलेगी, वाहन का सुख मिलेगा परंतु साझेदारी में लाभ नहीं होगा। 

२-८-४ यह योग बहुत अशुभ है। शारीरिक कष्ट रहेगा। पूरा जीवन दुखों में जीना पड़ता है। परंतु इस अंक स्थिति में यदि जातक अपने विश्वास को बनाए रखे तो तरक्की करता है और शिखर पर पहुंचता है। यानी कि या तो उन्नति ही उन्नति या फिर परेशानी ही परेशानी। परंतु ऐसा व्यक्ति स्वार्थी होगा और केवल अपने भले के लिए ही सोचेगा।


अंक ज्योतिष और कर्म 
अंक ज्योतिष ऐसे अंकों की भी बात करता है जो हमारे पिछले जन्म के कर्मों का फल दर्शाते हैं, उन्हें कार्मिक अंक कहते हैं। कार्मिक अंक हमारे जीवन में तभी आते हैं जब हमने प्रकृति व मानवता के नियमों का पालन न किया हो, मुख्य अंकों में इनकी उपस्थिति का अर्थ है कि उस व्यक्ति को जीवन में बार-बार विफलताओं का सामना करना पड़ेगा।

अंक विज्ञान का महत्व हमें अपने जीवन, प्रतिभाओं, उद्देश्य और रुकावटों के बारे में जागरूक करना है। जन्म होते ही हमारे साथ कुछ अंक जुड़ जाते हैं। जैसे कि नाम, जन्म तिथि, समय आदि के रूप में। इन्हें जानकर हम अपने जीवन को सार्थक व सफल बनाने के लिए सही दिशा में उत्तम प्रयास कर सकते हैं। अंक विज्ञान बहुत ही सरल व सटीक दिशा निर्देश देने में समर्थ है।

अंक ज्योतिष ऐसे अंकों की भी बात करता है जो हमारे पिछले जन्म के कर्मों का फल दर्शाते हैं, उन्हें कार्मिक अंक कहते हैं। कार्मिक अंक हमारे जीवन में तभी आते हैं जब हमने प्रकृति व मानवता के नियमों का पालन न किया हो, मुख्य अंकों में इनकी उपस्थिति का अर्थ है कि उस व्यक्ति को जीवन में बार-बार विफलताओं का सामना करना पड़ेगा। यदि कार्मिक अंक केवल घटना अंक के रूप में आएं तो उसका प्रभाव केवल सीमित समय तक होता है। जब कर्मों का ऋण उतर जाता है, तब हम अपने जीवन को नई दिशा दे सकते हैं। यदि हम उन ऋणों को जानते हों, तो उन्हें जल्दी और सही तरीके से समाप्त कर सकते हैं। कार्मिक अंक हैं- १३, १४, १६, १० इनके अतिरिक्त ११ और २२ भी कार्मिक या मास्टर अंक कहलाते हैं। इन अंकों का होना भय की बात नहीं बल्कि जीवन को सार्थक बनाने का अवसर है। ये अंक रास्ता दिखाते हैं ताकि आपकी परेशानियां आपके लिए रुकावट न बन जाएं। 

कार्मिक अंक १३ 

१३ नामांक, मूलांक या जन्म तिथि वाले जातकों ने पूर्व जन्मों में अपनी जिम्मेदारियों को दूसरों पर डाला होता है। इसके फलस्वरूप उन्हें निरंतर रुकावटों व परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अत्यधिक काम करने के बावजूद भी उन्हें पूर्ण फल नहीं मिलता। इस कारण जातक अपने आपसे और अपनी परिस्थिति से भागने की कोशिश करता है। रास्ता ढूंढने के लिए भी अत्यंत कोशिश करनी पड़ती है। इसका उपचार यही है कि जातक अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरह से निभाए, १३ अंक कई देशों में अशुभ माना जाता है। कार्ड्स में १३ अंक का कार्ड् मृत्यु दर्शाता है। इस मृत्यु का अर्थ जीवन का समाप्त होना नहीं बल्कि परिवर्तन और रूपांतरण है। मृत्यु का अर्थ है नई शुरुआत। कई जातकों के लिए १३ अंक शुभ भी होता है। यह अंक यदि रुकावटें लाता है तो यकायक नए अवसर भी प्रदान करता है।

कार्मिक अंक १४

१४ नामांक, मूलांक या जन्म तिथि वाले जातक सांसारिक आनंद के इच्छुक होते हैं तथा व्यसनों से ग्रस्त होने की संभावना अधिक होती है जो विनाश की ओर ले जाती है। यह ५ अंक के नकारात्मक गुणों को दर्शाता है। जातक चंचल होने के कारण किसी कार्य में सिद्धि नहीं पाता और न ही किसी विषय की गहरायी तक जा पाता है। उसके लिए यही परामर्श है कि वह हर कार्य को पूर्णता तक करे तभी उसकी प्रतिभाओं का सदुपयोग होगा। विलंब या रुकावटों को दूर करने के लिए जातक मानवता की निष्काम भाव से सेवा करे।

कार्मिक अंक १६

१६ अंक आपदा, योजनाओं में रुकावट, अपयश, दुर्घटना, कपट, विपत्ति आदि से सावधान करता है। यह अंक पूर्व अवैध प्रेम संबंधों की ओर संकेत करता है। यह मूलतः आशावाद और विश्वास की परीक्षा लेता है। यदि यह अंक मूलांकों में से एक हो तो झूठी दोस्ती, धन, यश और प्रतिष्ठा की हानि का भी सूचक है। जातक ने अपना पूर्व जीवन अज्ञानता और स्वार्थ में नष्ट किया होता है। जातक अपने अहंकार के कारण सच्चे दोस्त खो देते हैं। इसलिए उनको चाहिए कि वह भौतिकवाद और अहंकार को छोड़कर मानवता की निष्काम भाव से सेवा करें किसी को अपने से कम न समझे, सबका सम्मान करे। तभी जातक का जीवन सफल होगा अन्यथा बार-बार मुश्किलों और अकेलेपन का सामना करना पड़ेगा। १९ अंक प्रतिभा और महत्वाकांक्षा के दुरूपयोग का सूचक है। इस कारण जातक को अवसर तो बहुत मिलेंगे लेकिन वह उनका लाभ नहीं उठा पायेगा और न ही अपनी प्रतिभाओं का अच्छा उपयोग कर पायेगा। वह परिस्थितियों, योजनाओं और षड्यंत्रों का शिकार बन सकता है। १९ अंक वाला जातक कर्म के बंधन को पूरी तरह पहचान पाता है। यह आपको अक्खड़पन से सावधान रहने को कहता है। आपने अपनी शक्तियों का दुरूपयोग किया है जिसका फल आपको इस जन्म में भुगतना पड़ेगा। यह अंक आपके धीरज व सहनशीलता की पूरी परीक्षा लेता है। इसका उपाय सही है कि आप अपनी और अपने आस पास के लोगों की आवश्यकताओं को समझें और गीता के सबसे महत्वपूर्ण उपदेश का पालन करें :
कर्म किये जा, फल की चिंता न कर। जैसे जैसे आपका ऋण उतरता जायेगा, आपका जीवन सुखमय हो जायेगा।

इन अंकों के अतिरिक्त दो और अंक ऐसे हैं जिन्हें मास्टर अंक बोला जाता है- ११ और २२। अंक शास्त्र में ९ से बड़े अंकों को आपस में जोड़कर एक अंक में बदल दिया जाता है। लेकिन यदि ११ और २२ अंक किसी स्थिति, नामांक या मूलांक के रूप में आते हैं तो इन्हें ११ और २२ के रूप में भी देखें। इनका अपना एक महत्व है।

अंक ११ :

११ अंक स्वार्थी महत्वकांक्षाओं का अंक है। इस अंक का जीवन पर बहुत ही गहरा असर पाया जाता है। यह घरेलू या भौतिक जीवन में संकट का भी सूचक हो सकता है। ११ नामांक, मूलांक या जन्म तिथि वाले जातक के जीवन में सब कुछ बहुत अचानक होता है। जैसे शादी, व्यवसाय, नौकरी, गलतफहमी, व्यापार या मान प्रतिष्ठा में हानि। किंतु यदि व्यक्ति का रुझान अध्यात्मिक जीवन की ओर हो जाये या सहनशील और दयालु हो जाये तो उसके जीवन को नई दिशा मिल जाती है। क्राइस्ट और गौतम बुद्ध ११ अंक के अध्यात्मिक पक्ष के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं, हिटलर और मुसोलिनी का अंक भी ११ था किंतु उन्होंने ११ के अध्यात्मिक पक्ष को नहीं ग्रहण किया। इस अंक वाले व्यक्ति बहुत संवेदनशील होते हैं। उनके जीवन में सफलता और शांति तब आती है जब वे अपनी ऊर्जा व प्रतिभाओं का उपयोग मानवता के उत्थान के लिए करते हैं।

अंक २२ :

२२ अंक वाले जातकों का कर्म के प्रति अधिक रूझान होता है। विशेषतः ऐसे कार्य जो समाज, देश और मानवता के हित में हों, किंतु ऐसे जातक अपनी कार्यक्षमता से अधिक कार्यों की जिम्मेदारी उठा लेते हैं और कार्य समय पर पूरा न होने पर निराशा व तिरस्कार का सामना करते हैं। इनके लिए यही संदेश है कि वे अपनी कार्यक्षमता को समझ कर ही कार्यों की जिम्मेदारी लें। २२ अंक वाले जातक भी अति संवेदनशील होते हैं और अपने आप को सही तरीके से व्यक्त करना इन्हें सीखना पड़ता है। कार्मिक अंकों की उपस्थिति कोई भय की बात नहीं, हर व्यक्ति के जीवन में किसी न किसी कार्मिक अंक की उपस्थिति अवश्य होती है क्योंकि मनुष्य धरती पर अपने कर्मों का लेन-देन पूरा करने के लिए ही आता है। जब यह लेन-देन पूरा हो जाता है और अपने जीवन के उद्देश्य को संपूर्ण कर लेता है तो मनुष्य जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है। कार्मिक अंक इस लेन-देन को पूरा करने के उत्तम अवसर प्रदान करते हैं। 

अंक व वनस्पति चिकित्सा
जन्मांक-१ वाले व्यक्ति अर्थात् ऐसे लोग जिनकी जन्म तारीख १, १०, १९ या २८ होती है। उन्हें हृदय शूल, हृदयाघात, रक्त के प्रवाह में गड़बड़ी, रक्त चाप की अनियमितता (घर-बढ़) और नेत्र जनित रोगों से कष्ट हो सकता है। नेत्र पीड़ा ग्रस्त लोगों को और विशेषकर ऐसे लोगों को जिनकी दृष्टि कमजोर हो उन्हें समय-समय पर आंख की जांच करानी चाहिए तथा नेत्र व्याधि शमन हेतु सोते वक्त एक बूंद शहद अपनी आखों में आंजना चाहिए, परंतु शहद पूर्ण रूप से शुद्ध होना चाहिए। स्वास्थ्य रक्षा हेतु ऐसे लोग एक कप पानी में एक चम्मच शहद घोलकर नित्य शयन के पूर्व भी उसका पान कर सकते हैं। अंक एक वालों को जनवरी, अक्तूबर और दिसंबर के महीनों में अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिए। लौंग, केसर, कस्तूरी, किशमिश, कालीमिर्च, अदरक, आजवाइन, सौंठ, नींबू, जायफल जौ या जौ का पानी, खजूर, गेहूं के आटे से बनी रोटियां। संतरा, सीताफल इत्यादि वनस्पतियां अंक-१ वालों के लिए लाभदायक हैं जिनका उन्हें उचित रूप में सेवन करते रहना चाहिए। 

जन्मांक-२ वाले स्त्री-पुरुष जिनकी जन्म तारीख २, ११, २०, २९ होती हैं, उन्हें प्रायः उदर से संबंधित व्याधियां, पाचन तंत्र की गड़बड़ियों से उत्पन्न रोगों की संभावना रहती है। आंतों में ंजलन, सूजन, गैस बनना, अल्सर, ट्यूमर, पेट में जलन, जी मिचलाना आदि बीमारियां परेशानी का सबब बन जाती हैं। इन्हें जनवरी, फरवरी और जुलाई के महीनों में स्वास्थ्य व खान-पान आदि में सावधानी बरतना चाहिए। केला, ककड़ी, कलींदा, कुम्हड़ा, पत्ता गोभी, सिंघाड़ा, सलाद उपयोग में लाना लाभकारी माना गया है। 

जन्मांक-३ वाले जातक जिनकी जन्म तारीख ३, १२, २१ या ३० रहती है उन्हें कंधों का दर्द, त्वचा के रोग जैसे दाद, खुजली, फोड़ा, फुंसी, तंत्रिकाओं में तड़फन, सूजन, कोहनी, कलाई, अंगुलियों में दर्द आदि की शिकायत होने की आशंका बनी रहती है क्योंकि ऐसे लोग घोर परिश्रमी होते हैं। कार्य-भार के आधिक्य से उनके स्नायु तंत्र पर काफी बोझ पड़ता है। ऐसे लोग अपने कार्य के प्रति कभी भी लापरवाह नहीं रहते, पूर्णरूप से सजग रहते हुए कड़ी मेहनत से अपने कार्य का संपादन करते हैं। इन्हें फरवरी, जून, सिंतबर और दिसंबर में अपनी सेहत का विशेष रूप से ख्याल रखना चाहिए। इनके लिए अनार, अंगूर अनानास, शहतूत, सेब, शतावर, नाशपाती, पुदीना, बादाम, केशर, लौंग, अंजीर एवं चुकंदर, स्वास्थ्य रक्षक जड़ी बूटियां मानी गई हैं, जिनके सेवन से स्नायुतंत्र की गड़बड़ी से उत्पन्न रोगों का शमन होता है। 

जन्मांक-४ किसी भी माह की ४, १३, २२ या ३१ तारीख को पैदा होने वाले लोगों का होता है। इन तारीखों में जन्म लेने वाले जातकों को सदा घबड़ाहट सी होती रह सकती है और इस बात का भय बना रह सकता है कि कोई जटिल रोग न हो जावे। सिर में पीड़ा, अप्रत्याशित भय, रक्ताल्पता, भूख की कमी, मूत्र-कृच्छ, गुर्दों की बीमारी, कटि-शूल, मनोरोग, तनावग्रस्तता, मानसिक संतुलन, विकृति, उन्माद आदि रोग जन्मांक ४ वालों को कष्ट पहुंचा सकते हैं। पालक, मेथी, सलाद, प्याज, हरी तरकारियां, करेला, नीम, मीठे फल, अंक ४ वालों के लिए गुणकारी होते हैं। ऐसे जातकों को पान, बीड़ी, सिगरेट, भांग, मांस मदिरा, चटपटे मसालेदार भोजन, लाल मिर्च आदि से परहेज रखना चाहिए। इन जातकों के लिए जनवरी, फरवरी, जुलाई, अगस्त व सितंबर इन पांच महीनों में अपने स्वास्थ्य पर विशेष गौर करना चाहिए। 

जन्मांक-५ वाले लोगों को अर्थात् अंक शास्त्र के अनुसार जिनकी जन्म तारीख ५, १४ या २३ होती हैं उन्हें मानसिक तनाव में जीने की आदत पड़ सकती है। उन्हें अनिद्रा की बीमारी खल सकती है। नैसर्गिक रूप से देखा जाए तो अंक ५ के स्त्री-पुरुष अत्यधिक मानसिक तनाव से ग्रस्त होते हैं। उनके स्नायु भी हरदम दबाव में ही होते हैं। यदि वे दर्पण देखते हैं तो उन्हें इस बात का भय बना रहता है कि कहीं उनकी आंखें, चेहरा और हाथ आदि टेढ़े तो नहीं हो गये हैं। ऐसे लोगों के लिए शांत चित्त और प्रसन्न रहना, यथोचित विश्राम करना और निद्रा लेना (भरपूर नींद लेना) ही स्वास्थ्यवर्धक होता है। मूलांक ५ वाले लोगों को प्रतिवर्ष जून, सिंतबर और दिसंबर के महीनों में अपने स्वास्थ्य के बारे में सावधानी बरतना चाहिए। अंक ५ से प्रभावित लोगों को अनिद्रा की बीमारी और तनाव से बचने के लिए बादाम, अखरोट और नारियल की गिरि, चुकंदर और जई की रोटियों का सेवन करना चाहिए। अंक ५ के लोगों के लिए बादाम और अखरोट ही विशेष रूप से लाभकारी हैं। 

जन्मांक-६ वाले जातकों को अर्थात् जिनकी जन्म तारीख ६, १५ या २४ होती है नाक, कान, गला और फेफड़ों के ऊपरी हिस्से में रोग होने की आशंका रह सकती है। अंक ६ वाली महिलाओं को वक्षस्थल में पीड़ा, प्रजनन के पश्चात् फीवर, अधेड़ावस्था में हृदय रोग और वृद्धावस्था में रक्त संचार संबंधी विकार की आशंका रहती है। ऐसे लोगों को ख्ुाले वातावरण में रहना चाहिए जहां उन्हें शुद्ध वायु पर्याप्त रूप में मिलती रहे। मई, अक्तूबर एवं नवंबर के महीने अंक ६ के स्त्री-पुरुषों के लिए स्वास्थ्य की दृष्टि से बाधक रह सकते हैं, अतः इन महीनों में उन्हें सावधानी रखनी चाहिए। अनार, अंजीर, अखरोट सभी प्रकार की फलियां, चुकंदर, तरबूज, नाशपाती, सेब एवं बादाम आदि का सेवन स्वास्थ्यवर्द्धक होता है। 

जन्मांक-७ किसी भी माह की ७, १६ या २५ तारीख को जन्म लेने वाले स्त्री-पुरुषों को प्रभावित करता है। इन तारीखों को पैदा होने वाले जातक सामान्य लोगों की अपेक्षा अधिक चिंतातुर पाए जाते हैं। चारों ओर से उन्हें मन मस्तिष्क या तनमन पर उनके निकट का वातावरण असर डालता है और वे निराशाजन्य वातावरण में भी अपने कार्य का सही रूप में मूल्यांकन करते हैं। ऐसे लोग शरीर से निर्बल होते हुए भी मन-मस्तिष्क से सबल होते हैं। उनकी त्वचा जो कोमल होती है उसमें दाने-दाने से निकल आते हैं। जन्मांक ७ वालों को जनवरी-फरवरी और जुलाई-अगस्त के चार महीनों में अपने स्वास्थ्य के प्रति पूर्ण सावधानी रखनी चाहिए। जन्मांक सात वाले लोगों के लिए हर प्रकार के फलों का रस, ककड़ी, ÷प्याज, टमाटर, मूली, नींबू आदि' का सलाद, सेब, संतरा, गोभी व अंगूर का सेवन तनाव और चिंता जनित रोगों का निवारण करने में लाभकारी माना जाता है। 

जन्मांक-८ के अंतर्गत ऐसे स्त्री-पुरुष आते हैं जिनकी जन्म की तारीख ८, १७ या २६ होती है। अंक शास्त्रियों ने ऐसे लोगों को वर्ष के जनवरी, फरवरी, जुलाई और दिसंबर के महीनों में पूर्ण रूप से सावधान रहने का संकेत दिया है एवं लिखा है कि अंक-८ के लोग यथासंभव अपने भोजन में ताजी हरी सब्जियां और पके फलों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। ऐसे लोगों को गठिया, वात,् मल-उत्सर्जन पीड़ा, शिरोशूल, पित्ताशय की गड़बड़ी, रक्त दोष, जिगर और आंतों से संबंधित रोगों के उत्पन्न होने की आशंका रहती है। इन्हें वाहनों, भट्टियों आदि के धुएं से होने वाले रोग भी सता सकते हैं। इन्हें धनियां, पोदीना, लहसुन, प्याज, पालक की भाजी, गाजर व केला का उपयोग स्वास्थ्य रक्षक होता है। 

जन्मांक ९ के अंतर्गत ऐसे जातक आते हैं जिनकी जन्म तारीख ९, १८, या २७ होती है। इन तारीखों में जन्म लेने वाले लोगों को ज्वर, खसरा, माता निकलना, कफ रोग, कर्णस्राव, चक्कर आना आदि रोग होने का भय बना रहता है। इन्हें पूरे वर्ष अपनी सेहत का ख्याल रखना चाहिए। स्वास्थ्य रक्षा के लिए अदरक, लहसुन, प्याज, लाल एवं हरी मिर्च, कालीमिर्च, तोरई, मीठे फल एवं मजीठ का प्रयोग करना लाभ प्रद होता है। गरिष्ठ भोजन, मदिरा का सेवन एवं नशीली वस्तुओं का सेवन करने से इन्हें परहेज करना चाहिए। 


आपका वाहन नम्बर (your vehicle number)

आज के भागमभाग दौर को सुविधाजनक और आसान बनाने के लिये, वाहन जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है. जीवन का यह अभिन्न अंग अगर हमें सुविधा देता है तो दुर्घटनाओं से ह्रदयविदारक कष्ट भी पहुंचाता है. कुछ समझदार लोगों का मानना होता है कि अगर गाड़ी चालाते समय सावधानी रखें तो जीवन मे दुर्घटनायें नही होगी. परंतु बहुत से जगहों पे ये देखने को मिलता है कि फलां आदमी बहुत ही आराम से गाड़ी चलाता है लेकिन फिर भी दुर्घटना घट गई और फलां आदमी बहुत ही गलत और बेढ़ंगे वाहन चलाता है फिर भी कभी कुछ नही होता है. 

अगर हुम अंक ज्योतिष की मानें तो ये आदमी के मुलांक या भाग्यांक और गाड़ी नम्बर के मुलांक के कारण होता है.मान लें कि आपका मुलांक 1 है और गाड़ी नम्बर का कुल योग 6 या 8 आ रहा है तो दुर्घटनाओं की सम्भावना ज्यादा होती है और अगर 7 आता है तो इसकी सम्भावना कम हो जाती है. इसका कारण यह है कि 6 नम्बर मुलांक 1 के साथ शत्रु भाव रखता है जब कि 7 मित्र भाव रखता है. इसी प्रकार हर एक नम्बर का मित्र नम्बर और शत्रु नम्बर होता है जिसका वर्णन नीचे किया जा रहा है. इसकी मदद से आप बहुत हद तक ऐसे अनहोनी से बच सकते है. 

अगर आपका मुलांक या भाग्यांक 1 आता है तो आपको गाड़ी नम्बर का कुल योग 1, 2, 4 या 7 रखना चाहिये. 6 या 8 नम्बर वाला वाहन ना रखें तो बेहतर होगा. आप पीले, सुनहरे, अथवा क्रीम रंग का वाहन खरीदें. नीले,भुरे, बैगनी या काले रंग की वाहन क्रय करने से बचें. 

अगर आपका मुलांक या भाग्यांक 2 आता है तो आपको गाड़ी नम्बर का कुल योग 1, 2, 4 या 7 रखना चाहिये. 9 नम्बर वाला वाहन ना रखें तो बेहतर होगा. आप सफेद अथवा हल्के रंग का वाहन खरीदें. लाल अथवा गुलाबी रंग की वाहन क्रय करने से बचें. 

अगर आपका मुलांक या भाग्यांक 3 आता है तो आपको गाड़ी नम्बर का कुल योग 3,6, या 9 रखना चाहिये. 5 या 8 नम्बर वाला वाहन ना रखें तो बेहतर होगा. आप पीले, बैंगनी , अथवा गुलाबी रंग का वाहन खरीदें. हल्के हरे सफेद ,भुरे रंग की वाहन क्रय करने से बचें. 

अगर आपका मुलांक या भाग्यांक 4 आता है तो आपको गाड़ी नम्बर का कुल योग 1, 2, 4 या 7 रखना चाहिये. 9, 6 या 8 नम्बर वाला वाहन ना रखें तो बेहतर होगा. आप नीले अथवा भुरे रंग का वाहन खरीदें. गुलाबी या काले रंग की वाहन क्रय करने से बचें. 

अगर आपका मुलांक या भाग्यांक 5 आता है तो आपको गाड़ी नम्बर का कुल योग 5 रखना चाहिये. 3, 9 या 8 नम्बर वाला वाहन ना रखें तो बेहतर होगा. आप हल्के हरे, सफेद अथवा भुरे रंग का वाहन खरीदें. पीले, गुलाबी या काले रंग की वाहन क्रय करने से बचें. 

अगर आपका मुलांक या भाग्यांक 6 आता है तो आपको गाड़ी नम्बर का कुल योग 3, 6, या 9 रखना चाहिये. 4 या 8 नम्बर वाला वाहन ना रखें तो बेहतर होगा. आप हल्के नीले , गुलबी , अथवा पीले रंग का वाहन खरीदें. कले रंग की वाहन क्रय करने से बचें. 

अगर आपका मुलांक या भाग्यांक 7 आता है तो आपको गाड़ी नम्बर का कुल योग 1, 2, 4 या 7 रखना चाहिये. 9 या 8 नम्बर वाला वाहन ना रखें तो बेहतर होगा. आप नीले , अथवा सफेद रंग का वाहन खरीदें. 

अगर आपका मुलांक या भाग्यांक 8 आता है तो आपको गाड़ी नम्बर का कुल योग 8 रखना चाहिये. 1 या 4 नम्बर वाला वाहन ना रखें तो बेहतर होगा. आप काले, नीले, अथवा बैगनी रंग का वाहन खरीदें. 

अगर आपका मुलांक या भाग्यांक 9 आता है तो आपको गाड़ी नम्बर का कुल योग 9, 3, या 6 रखना चाहिये. 5 या 7 नम्बर वाला वाहन ना रखें तो बेहतर होगा. आप लाल , अथवा गुलाबी रंग का वाहन खरीदें. 

चेतावनी :- उपरोक्त वर्णित बातों से ये कतई मतलब ना निकालें कि आप बेढ़ंगे तरीके या गलत तरीके से गाड़ी चलायें. वाहन चलाते समय अपनी और दुसरो की ज़िन्दगी का ध्यान रखें 

कैसा हो आपका गाड़ी नंबर और रंग?

यदि आप अपनी गाड़ी का नंबर और रंग, अंक ज्योतिष के अनुसार रखें तो भविष्य में होने वाली दुर्घटनाएं टल जाती है। जानिए अंक ज्यातिष के अनुसार कैसा होना चाहिए आपका गाड़ी नंबर और रंग.. 

अंक- 1 आपको अपने वाहन के नंबर का कुल योग 1, 2, 4 या 7 रखना चाहिये। पीले, सुनहरे, अथवा हल्के रंग के वाहन खरीदना चाहिए। आप 6 या 8 नंबर वाला वाहन न रखें साथ ही नीले, भूरे, बैंगनी या काले रंग के वाहन न खरीदें।
अंक- 2 आपके लिए वो वाहन अनुकूल है जिनका कुल योग 1, 2, 4 या 7 हो। 9 नंबर वाले वाहन ना रखें। आप सफेद अथवा हल्के रंग का वाहन खरीदें। लाल अथवा गुलाबी रंग की वाहन न लें।
अंक-3 आपकी गाड़ी नंबर का कुल योग 3,6, या 9 होना चाहिये। 5 या 8 नंबर वाला वाहन आपके लिए अच्छा नही रहेगा। पीले, बैंगनी, या गुलाबी रंग का वाहन खरीदें। हल्के हरे, सफेद ,भुरे रंग के वाहनों से बचें।
अंक-4 इस अंक वालों की गाड़ी नंबर का कुल योग 1, 2, 4 या 7 होना चाहिये। इनको 9, 6 या 8 नंबर वाले वाहन से हानि हो सकती है। नीले या भूरे रंग के वाहन खरीदें और गुलाबी या काले रंग की वाहन न खरीदें।
अंक-5 अगर आपका मूलांक 5 है तो आपको गाड़ी नंबर का कुल योग 5 रखना चाहिये। 3, 9 या 8 नंबर वाला वाहन ना रखें। हल्के हरे, सफेद अथवा भुरे रंग का वाहन खरीदें। पीले, गुलाबी या काले रंग की वाहन से हानि हो सकती है। 
अंक-6 मूलांक 6 वालों को गाड़ी नंबर का कुल योग 3, 6, या 9 रखना चाहिये। 4 या 8 नंबर से बचें। आपको हल्के नीले, गुलाबी, अथवा पीले रंग का वाहन खरीदना चाहिए। काले रंग का वाहन क्रय करने से बचें।
अंक -7 आपकी गाड़ी नंबर का कुल योग 1, 2, 4 या 7 होना चाहिए। 9 या 8 नंबर वाला वाहन नही होना चाहिए। नीले, या सफेद रंग का वाहन खरीदें।
अंक-8 इस अंक वालों को अपना गाड़ी नंबर का कुल योग 8 रखना चाहिये। 1 या 4 नंबर वाला वाहन ना रखें तो बेहतर होगा. आपका अंक शनि का अंक है। इसलिए आप काले, नीले, अथवा बैगनी रंग के वाहन खरीदें।
अंक-9 मूलांक 9 वाले लोग आपनी गाड़ी नंबर का कुल योग 9, 3, या 6 रखे तो उन्हे अच्छा लाभ मिलता है। 5 या 7 नंबर वाले वाहन से नुकसान हो सकता है। बेहतर होगा आप लाल, या गुलाबी रंग का वाहन खरीदें।

शुभाशुभ जन्मांक अनुसार

1. जन्मांक वालों के लिए 19वें, 28वें, 37वें और 55वें वर्ष में स्वास्थ्य संबंधी परिवर्तन होना संभव है। जनवरी अक्टूबर और दिसंबर इत्यादि माह में स्वास्थ्य के प्रति सतर्कता बरतें।

2. जन्मांक वालों के लिए 20वां, 25वां, 29वां, 43वां, 47वां, 52वां वर्ष स्वास्थ्य की दृष्टि से परिवर्तनशील है। जनवरी, फरवरी एवं जुलाई माह पीड़ादायक हो सकते हैं।

3. जन्मांक वाले फरवरी, जून, सितंबर और दिसंबर माह में अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। 12वां, 21वां, 39वां, 48वां और 57 वर्ष स्वास्थ्य की दृष्टि से महžवपूर्ण है।

4. जन्मांक वालों के लिए 13वां, 22वां, 31वां, 40वां, 49वां और 58वां वर्ष महžवपूर्ण होता है। जनवरी, फरवरी, जुलाई और सितंबर माह में मूलांक चार वाले सतर्क रहें।

5. जन्मांक वाले आयु के 14वां, 23वां, 41वां और 50वां वर्ष परिवर्तनकारी होता है। मई, जून, सितंबर व दिसंबर माह में स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहें।

6. जन्मांक वालों के लिए फरवरी, मई, अक्टूबर व नवंबर माह पीड़ादायक होते हैं। जीवन के 15वें, 24वें, 51वें एवं 60वें वर्ष में स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें।

7. जन्मांक के लिए जनवरी, फरवरी, जुलाई व अगस्त महत्तवपूर्ण वर्ष हैं। उम्र का 16वां, 25वां, 34वां, 43वां, 52वां एवं 61वां वर्ष परिवर्तनशील होता है।

8. जन्मांक के लिए महत्तवपूर्ण वर्ष हैं- 17वां, 26वां, 35वां, 44वां, 53वां और 62वां वष्ाü परिवर्तनशील है। फरवरी, जुलाई और दिसंबर में अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

9. जन्मांक के लिए अप्रेल, मई व नवंबर नेष्ट माह हैं। जीवन के महžवपूर्ण वर्ष 18वां, 27वां, 36वां, 45वां व 63वां।

साभार -पुरूषोत्तम जोशी



अंक ज्योतिष की सत्यता को परखने के कुछ आसान तरीके

कोई अंकशास्त्र की सत्यता को परखना चाहता है तो उसे थोड़ी गहराई से अंक 4 (जन्म तिथि 4,13,22,31) तथा अंक 8 (जन्म तिथि 8,17,26) वाले लोगों के जीवन का अध्ययन करना पड़ेगा। वैसे तो सभी मनुष्यों के जीवन पर उनकी जन्म तिथि या जन्मतिथि से संबंधित अंकों का प्रभाव हमेशा होता है परंतु अंक 4 और 8 वाले इस मामले में कुछ अधिक ही प्रभावित होते हैं। हालांकि अंकशास्त्र में इन अंकों को अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता, इन अंकों से प्रभावित व्यक्तियों को भी अंकशास्त्री हमेशा इनसे बचने की सलाह देते हैं परंतु जमीन से आसमान की बुलंदियों पर पहुंचाने की शक्ति भी इन अंकों में ही होती है और यही विरोधाभास इन अंकों कों अंकशास्त्रियों के शोध पत्रों में अधिक जगह दिलाता है।


आप किसी का नाम अंक जोिड़ये यदि उसका अंक 4 या 8 आये तो उसकी जन्मतिथि पूछ लीजिये अक्सर वो इन्हीं अंकों से संबंधित होती है। 

एक उदाहरण देखिये : अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बराक ओवामा का जन्म 4 अगस्त 1961 को हुआ। 


जन्म तिथि 4

1961 को आपस में जोड़ने से 17 आता है और 17 को फिर आपस में जोड़ने पर अंक 8 आ जाता है। अगस्त माह का क्रमांक 8 है। 


इनका प्रचलित नाम अंक 


Barack Obama (212132 72141) 


ऊपर दिये अंकों को आपस में जोड़ने पर अंक 26 आता है जिसे फिर आपस में जोड़ने पर अंक 8 आ जाता है। 


अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिये चुनाव नवम्बर में होने वाले हैं और वो दिन बराक ओबामा के जीवन का सबसे बड़ा दिन होगा। और वो तिथि भी 4 है। 


बराक ओबामा के जीवन में अंक 4 और अंक 8 का बहुत योगदान है। उनके जीवन की लगभग हर घटना से यह अंक जुड़ा हुआ है जिसकी चर्चा हम बाद में कभी करेंगे। 

दूसरा उदाहरण देखिये 

हिलेरी िक्लंटन का जन्म 26 अक्टूबर 1947 को हुआ।

जन्म तिथि 26 को आपस में जोड़ने पर अंक 8 आता है।

हिलेरी िक्लंटन का प्रचलित नाम अंक
Hillary Clinton (5133121 3315475)


ऊपर दिये अंकों को आपस में जोड़ने पर अंक 44 आता है और फिर इन्हें आपस में जोड़ने पर अंक 8 आ जाता है। 

दुनिया में अंक 4 और 8 की तिथियों में जन्मा शायद ही कोई मनुष्य हो जो अपने जीवन में इन अंकों के अच्छे और बुरे प्रभाव से इंकार करेगा। आश्चर्य की बात ये है कि अधिकतर दुघZटनायें भी इन्हीं अंकों से जुड़ी होती हैं और बड़ी सफलतायें भी इन्हीं अंकों से जुड़ी होती हैं। अंक 4 और 8 वालों के नाम अंक अक्सर इन्हीं अंकों पर रखे जाते हैं या प्रचलित हो जाते हैं 

(नाम अंक निकालने के लिये नीचे दी गई तालिका देखें)। 

4 या 8 अंक के कुछ मनुष्यों को छोड़कर अधिकतर इन अंकों की तिथियों में जन्मे लोगों के नाम प्राकृतिक व्यवस्था के अनुसार इन्हीं अंकों पर रख दिये जाते हैं या उनका कोई ऐसा उपनाम प्रचलन में आ जाता है जो उनके असली नाम को दबा देता है और प्रचलन में आये नाम का अंक 4 या 8 ही होता है। और एक कारण ये भी है जो अंकशास्त्र की सत्यता पर विश्वास दिलाता है।

अंक 4 और 8 से संबंधित व्यक्तियों के मकान नम्बर का योग अक्सर 4 या 8 होता है। 

आप किसी का नाम अंक जोिड़ये यदि उसका अंक ४ या 8 आये तो उसकी जन्मतिथि पूछ लीजिये अक्सर वो इन्हीं अंकों से संबंधित होती है। 

अब जमीन से उठकर आसमान की बुलंदियां छूने वाले किसी व्यक्ति की जन्मतिथि पता कीजिये और उसके नाम अंक जोिड़ये अक्सर समान होते हैं। 


उदाहरण देखिये 

Shahrukh (35152625) 

शाहरूख के नाम अंक जोड़ें तो 29 का अंक प्राप्त होता है जिसे आपस में जोड़ने पर 11 और फिर जोड़ने पर 2 आता है। और उनकी जन्म तिथि भी 2 है। 

बहुत घनिष्ठ मित्र की जन्मतिथि और नाम अंक पता कीजिये आपकी जन्मतिथि या आपका नाम अंक उसकी जन्मतिथि या नाम अंक से मेल खाते हुये मिलेंगे। 

आपकी जन्मतिथि से संबंधित तिथि (उदाहरण : जन्मतिथि 1 तिथि 1,10,19,28) में आपका मन प्रसन्न रहेगा। आपके काम आसानी से निपट जायेंगे और आपको जीवन बहुत आसान लगेगा। 

ये थीं कुछ ऐसी बातें जो ये बताती हैं कि पूरी दुनिया में अंकों की तरफ लोगों का झुकाव क्यों होता है। आप भी चाहें तो अपने जीवन की मुख्य घटनाओं से अपने नाम अंक या अपनी जन्मतिथि से मिलान कर देखें बहुत कुछ समान मिलेगा।

अपना भाग्यांक जानें 
अंक ज्योतिष का प्रमाण 

जन्म तिथि के अनुसार अंक प्राप्त कर मूलांक या नामांक बता देना बहुत आसान है, लेकिन क्या हमारा जीवन सत्य में इन अंकों से प्रभावित है - कहना कठिन है। इस बात की सत्यता को बताने के लिए नीचे एक प्रश्नावली दी गई है। आप जिस वर्ग में आते हैं उसे टिक कर दें। यदि आप अपने को एक से अधिक वर्ग में पाते हैं तो सभी में टिक मार्क लगाएं। फिर सभी टिक की हुई पंक्तियों के सामने दिए अंकों को लिख लें। और 1 से ९ अंक जितनी बार आए लिख लें। सर्वाधिक बार जो अंक आया है, वही आपका भाग्यांक है एवं उसके बाद का सह-भाग्यांक है। इस प्रकार आप बिना जन्म दिनांक जाने अपना या किसी का भी भाग्यांक जान सकते हैं। प्रायः यह भाग्यांक मूलांक (जन्म तारीख के योगांक) या भाग्यांक (जन्म तारीख, माह व वर्ष के योगांक) के बराबर ही होता है। यही भाग्यांक आपके जीवन में बारम्बार प्रमुखता प्राप्त करता है। 
१. स्वभाव 

(क) क्रोधी १, ९ (ख) रूखा ७ (ग) मृदु ६, २, (घ) सौम्य ५, ३ (ड़) उदास ४, ८ 
२. स्वास्थ्य 

(क) रक्त संबंधी समस्या १, ४, ९ (ख) हड्डी ८, ७ (ग) त्वचा ५, ७, ६ (घ) श्वास रोग २, ५ (ड़) गुर्दा, मधुमेह, थाइराइड ३, २, ६ 
३. आहार 

(क) मीठा ४, ९ (ख) नमकीन ५, २ 1 (ग) सादा ३, ८ (घ) मसालेदार (चटपटा) ७, ६ 
४. सफाई 

(क) अति 1 , ६, ३ (ख) मध्यम (सामान्य) ५, ७, ९ (ग) गंदा (मलिन) ४, ८, ७ 
५. समय पाबंदी 

(क) अनुशासित ८, १, ९ (ख) सामान्य ३, ७, ५ (ग) नहीं ४, ६, २ 
६. धन संबंधी 

(क) कंजूस ८, ४, ३ (ख) खर्चीला ९, ६, ७ (ग) सामान्य ५, २, 1 
७. सक्रियता 

(क) अति ९, १, ५ (ख) सामान्य ८, ४, ७ (ग) सुस्त ६, २, ३ 
८. विचार 

(क) सात्विक ४, ८, ३ (ख) तामसिक ६, २, ५ (ग) राजसिक १, ७, ९ 
९. घूमने की प्रवृत्ति (भ्रमण) 

(क) अति भ्रमणशील ६, २, ४ (ख) सामान्य ५, ७, ९ (ग) निम्न ३, १, ८ 
१०. व्यवहार 

(क) व्यवहारिक ३, ९, ५ (ख) अव्यवहारिक ४, ८, २ (ग) अपने काम से काम १, ५, ७ 
११. आचरण 

(क) चुगलखोर २, ७ (ख) पाखंडी १, ३, ९ (ग) चापलूस ५, ६ (घ) सभ्य ४, ८ 
१२. पहनावा 

(क) सभ्य १, ३, ९ (ख) साधारण ४, ८ (ग) फैशनपरस्त ६, २ (घ) अजीबोगरीब ५, ७ 
(13) आदत 

(क) अतिशौकीन ६, २, ९ (ख) उदासीन ८, ४, ३ (ग) सामान्य ५, ७, 1 
(14) सिर के बाल 

(क) घने ३, ९, ५ (ख) घने व घुंघराले ६, २, ७ (ग) कम ४, ८, 1 
(15) प्रकृति 

(क) गंभीर स्वभाव वाला ३, 1 (ख) गुप्त एवं कुटनीतिज्ञ ८, ४ (ग) सीधी बात कहने वाला ६, ५, ७, २, ९ 
(16) शिक्षा 

(क) तीव्र बुद्धि (जीनियस) ८, ४ (ख) बुद्धिमान १, ५, ३ (ग) सामान्य २, ७ (घ) सामान्य से कम ६, ९ 
(17) आध्यात्मिक/बौद्धिक/भावनात्मक पक्ष 

(क) आध्यात्मिक तौर पर मजबूत ४, ८ (ख) बौद्धिक एवं भावनात्मक रूप से मजबूत ७, ५, ३, 1 (ग) उत्कृष्ट भौतिक संसाधानों से युक्त ६, २, ९ 
(18) व्यवसाय 

(क) वाणिज्य, सी. ए., फाइनांस व बैंकिंग ३, ५ (ख) कला ६, २, ७ (ग) इंजीनियरिंग, तकनीकी शिक्षा व चिकित्सा १, ८, ९, ५, ७ (घ) डॉक्टर ९, ५, 1 (ड़) प्रशासन १, ९, ३ (च) कंप्यूटर/ यंत्रिकी ७, ६, ५, ८ (छ) वकालत ५, ३, ८, ६ (ज) राजनीति ८, ४ (झ) खेल ९, ५, ६ (ञ) पुलिस/सेना ९, ४, 1 (ट) लेखन ५, ३, २, ६ (ठ) ज्योतिष ७, ३, ४, ८, ५ (ड) पत्रकारिता ३, ५, ९ (ढ) जनकल्याण कार्य ९, ६, ८, ३, ७

उपरोक्त विपरीत क्रिया द्वारा भाग्यांक प्राप्त कर लेना ही अंक ज्योतिष का प्रमाण है।

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