रविवार, 12 जनवरी 2014

श्रीकृष्ण-पूतनावध:

पूराणिक कथा के अनुशार जब कंस को आकाशवाणी द्वारा पता चला कि वासुदेव और देवकी के
आठवें पुत्र से उसका विनाशक होगा। तब कंस ने वसुदेव तथा देवकी को कारागार में डाल दिया।
कारागार में देवकी ने सात पुत्रों को जन्म दिया जिसे कंस ने मार दिया। देवकी के गर्भ में
आठवें पुत्र के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ।

वासुदेव ने रात में ही श्रीकृष्ण को गोकुल में नंद और यशोदा के यहां पहुंचा दिया और उनकी
नवजात कन्या को अपने साथ लेते आए। कंस उस कन्या को मार नहीं सका। तब आकाशवाणी हुई
कि कंस को मारने वाले तो गोकुल में जन्म ले चुका है। अब कंस ने उस दिन गोकुल में जन्मे सभी
शिशुओं की हत्या करने का काम राक्षसी पूतना को सौंपा। वह सुंदर नारी का रूप बनाकर
शिशुओं को विष का स्तनपान कराने गई। लेकिन श्रीकृष्ण ने राक्षसी पूतना का वध कर दिया।
यह फाल्गुन पूर्णिमा का दिन था अत: पूतनावध की खुशी में होली मनाई जाने लगी।
राधा और श्रीकृष्ण:
होली का त्यौहार राधा और श्रीकृष्ण की पवित्र प्रेम के रुप में भी मनाया जाता है।
प्राचिन काल से श्रीकृष्ण की लीला में एक-दूसरे पर रंग डालने की प्रथा चली आरही हैं। इस
लिये आज भी मथुरा और वृन्दावन की होली राधा और श्रीकृष्ण के प्रेम रंग में डूबी हुई प्रतित

होती है। आज भी बरसाने और नंदगाँव में लठमार होली होती हैं जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं।

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