रविवार, 12 जनवरी 2014

घरेलू नुस्खे

आया केसर का मौसम

चन्दन को केसर के साथ घिसकर इसका लेप माथे पर लगाने से, सिर, नेत्र और मस्तिष्क को शीतलता, शान्ति और ऊर्जा मिलती है, नाक से रक्त गिरना बन्द हो जाता है और सिर दर्द दूर होता है। शिशु को सर्दी हो तो केसर की 1-2 पखड़ी 2-4 बूंद दूध के साथ अच्छी तरह घोंटें, ताकि केसर दूध में घुल-मिल जाए। इसे एक चम्मच दूध में मिलाकर सुबह-शाम पिलाएँ। माथे, नाक, छाती व पीठ पर लगाने के लिए केसर जायफल व लौंग का लेप (पानी में) बनाएँ और रात को सोते समय लेप करें। कृमि नष्ट करने के लिए केसर व कपूर आधी-आधी रत्ती खरल में डालकर 2-4 बूंद दूध टपकाकर घोंटें और एक चम्मच दूध में मिलाकर बच्चे को 2-3 दिन तक पिलाएं। बच्चों को बार-बार पतले दस्त लगने को अतिसार होना कहते हैं। बच्चों को पतले दस्त लगने पर केसर की 1-2 पँखुड़ी खरल में डालकर 2-3 बूंद पानी टपकाकर घोंटें। अलग पत्थर पर पानी के साथ जायफल, आम की गुठली, सौंठ और बच बराबर बार घिसें और इस लेप को केसर में मिला लें। इसे एक चम्मच पानी में मिलाकर शिशु को पिला दें। यह सुबह शाम दें।


ब्यूटी के सरल घरेलू नुस्खे

शहद रू यह त्वचा की झुर्रियां मिटाने में बड़ा सहायक है। यह खुश्क त्वचा को मुलायम कर रेशमी व चमकदार बनाता है। चेहरे पर शहद की एक पतली तह चढ़ा लें। इसे 15-20 मिनट लगा रहने दें, फिर कॉटनवूल भिगोकर इसे पोंछ लें। तैलीय त्वचा वाले शहद में चार-पांच बूंद नीबू का रस डालकर उपयोग करें। नीम रू यह त्वचा में रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाता है। इसके प्रयोग से मुंहासे में जादू जैसा लाभ होता है। चार-पांच नीम की पत्तियों को पीसकर मुलतानी मिट्टी में मिलाकर लगाएं, सूखने पर गरम पानी से धो लें। केला रू यह त्वचा में कसाव लाता है तथा झुर्रियों को मिटाता है। पका केला मैश कर चेहरे पर लगाएं। आधा घंटे बाद ठंडे पानी से धो लें।

चावल के घरेलू नुस्खे

चावल, दाल (खासकर मूंग की), नमक, मिर्च, हींग, अदरक, मसाले मिलाकर बनाई गई खिचड़ी में घी मिलाकर सेवन करने से शरीर को बल मिलता है, बुद्धि विकास होता है व पाचन ठीक रहता है। अतिसार में चावल का आटा लेई की भांति पकाकर उसमें गाय का दूध मिलाकर रोगी को सेवन कराएं। पेट साफ न हो तो भात में दूध व शकर मिलाकर सेवन करने से दस्त के साथ पेट साफ हो जाता है। इसी के विपरीत भात को दही के साथ मिलाकर खाने से यदि दस्त लगे हों तो बंद हो जाते हैं। यदि भांग का नशा ज्यादा हो गया हो तो चावल धोकर निकाले पानी में खाने का सोडा दो चुटकी व शकर मिलाकर पिलाने से नशा उतर जाता है। यही पेय मूत्र विकार में भी काम आता है। सूर्याेदय से पूर्व चावल की खील 25 ग्राम लेकर शहद मिलाकर खाकर सो जाएं। सप्ताहभर में आधासीसी सिर दर्द दूर हो जाएगा। यदि आप गर्भ निरोधक प्रयोग नहीं करना चाहते या गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन नहीं करना चाहते हों तो चावल धुले पानी में चावल के पौधे की जड़ पीसकर छान लें और इसमें शहद मिलाकर पिला दें। यह हानिरहित सुरक्षित गर्भनिरोधक उपाय है।


पुदीना - ठंडा-ठंडा, कूल-कूल
पुदीना, काली मिर्च, हींग, सेंधा नमक, मुनक्का, जीरा, छुहारा सबको मिलाकर चटनी पीस लें। यह चटनी पेट के कई रोगों से बचाव करती है व खाने में भी स्वादिष्ट होती है। भूख न लगने या खाने से अरुचि होने पर भी यह चटनी भूख को खोलती है। खाँसी होने पर पुदीने व अदरक का रस थोड़े से शहद में मिलाकर चाटने से खांसी ठीक हो जाती है। यदि लगातार हिचकी चल रही हो तो पुदीने में चीनी मिलाकर धीरे-धीरे चबाएँ। कुछ ही देर में आप हिचकी से निजात पा लेंगे। यदि आपको टॉंसिल की शिकायत रहती है, जिनमें अक्सर सूजन हो जाती हो तो ऐसे में पुदीने के रस में सादा पानी मिलाकर गरारा करना चाहिए। दिनभर बाहर रहने वाले लोगों को तलुओं में जलन की शिकायत रहती है, ऐसे में उन्हें फ्रिज में रखे हुए पिसे पुदीने को तुलओं पर लगाना चाहिए, राहत मिलती है। सूखा या गीला पुदीना छाछ, दही, कच्चे आम के पने में पिया जाए तो पेट में होने वाली जलन दूर होकर ठंडक मिलती है। लू से भी बचाव होता है। जहरीले कीट के काटने पर उस जगह पिसा पुदीना लगाना शीघ्र लाभ पहुंचाता है। पुदीने की पत्तियां धीरे-धीरे चबाने से भी रोगी को राहत मिलती है।


हल्दी : गुणकारी उपयोगी नुस्खे

पेट में कीड़े होने पर 1 चम्मच हल्दी पाउडर रोज सुबह खाली पेट एक सप्ताह तक ताजा पानी के साथ लेने से कीड़े खत्म हो सकते हैं। चाहें तो इस मिश्रण में थोड़ा नमक भी मिला सकते हैं। इससे भी फायदा होगा। चेहरे के दाग-धब्बे और झाइयां हटाने के लिए हल्दी और काले तिल को बराबर मात्रा में पीसकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं। हल्दी-दूध का पेस्ट लगाने से त्वचा का रंग निखरता है और आपका चेहरा खिला-खिला लगता है। खांसी होने पर हल्दी की छोटी गांठ मुंह में रख कर चूसें। इससे खांसी नहीं उठती। त्वचा से अनचाहे बाल हटाने के लिए हल्दी पाउडर को गुनगुने नारियल तेल में मिलाकर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को हाथ-पैरों पर लगाएँ। इसे त्वचा मुलायम रहती है और शरीर के अनचाहे बाल भी धीरे-धीरे हट जाते हैं। सनबर्न की वजह से त्वचा झुलसने या काली पड़ने पर हल्दी पाउडर, बादाम चूर्ण और दही मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाएं। इससे त्वचा का रंग निखर जाता है और सनबर्न की वजह से काली पड़ी त्वचा भी ठीक हो जाती है। यह एक तरह से सनस्क्रीन लोशन की तरह काम करता है। मुंह में छाले होने पर गुनगुने पानी में हल्दी पाउडर मिलाकर कुल्ला करें।

जुकाम के घरेलू नुस्खे

जुकाम के इलाज में हल्दी काफी फायदेमंद है। बहती नाक के इलाज के लिए हल्दी को जलाकर इसका धुआं लें, इससे नाक से पानी बहना तेज हो जाएगा व तत्काल आराम मिलेगा। यदि नाक बंद है तो दालचीनी, कालीमिर्च, इलायची और जीरे के बीजों को बराबर मात्रा में लेकर एक सूती कपड़े में बांध लें और इन्हें सूंघें जिससे छींक आएगी। 10 ग्राम गेहूं की भूसी, पांच लौंग और कुछ नमक लेकर पानी में मिलाकर इसे उबाल लें और काढ़ा बनाएं। एक कप काढ़ा पीने से लाभ मिलेगा। हालांकि जुकाम आमतौर पर हल्का-फुल्का ही होता है जिसके लक्षण एक हफ्ते या इससे कम समय के लिए रहते हैं, लेकिन खान-पान की आदतों को लेकर हमें काफी सतर्क रहना चाहिए और यदि जुकाम वगैरह के लक्षण दिखाई दे तो समुचित दवाओं आदि से इलाज कराना चाहिए। डिप्थीरिया होने पर अमलतास के काढ़े से गरारा करने पर जबर्दस्त आराम मिलता है। तुलसी और अदरक इस मौसम में लाभदायक होते हैं। तुलसी में काफी उपचारी गुण समाए होते हैं, जो जुकाम और फ्लू आदि से बचाव में कारगर हैं। तुलसी की पत्तियां चबाने से कोल्ड और फ्लू दूर रहता है।

स्वादिष्ट बादाम की शक्तियां

बादाम तेल का इस्तेमाल बाहर से किया जाए या फिर इसका सेवन किया जाए, यह हर लिहाज से उपचारी और उपयोगी साबित होता है। यह पेट की तकलीफों को दूर करने के साथ आंत की कैंसर में भी उपचारी है। बादाम तेल के नियमित सेवन से कोलेस्ट्रॉल कम होता है। यानी यह दिल की सेहत के लिए भी अच्छा है। बादाम में मस्तिष्क और स्नायु प्रणालियों के लिए पोषक तत्व है। यह बौद्धिक ऊर्जा बढ़ाने वाला, दीर्घायु बनाने वाला है। मीठे बादाम तेल के सेवन से मांसपेशियों में दर्द जैसी तकलीफ से तत्काल आराम मिलता है। बादाम तेल का प्रयोग रंगत में निखार लाता है और बेजान त्वचा को रौनक प्रदान करता है। त्वचा की खोई नमी लौटाने में भी बादाम तेल सर्वाेत्तम माना गया है। शुद्ध बादाम तेल तनाव को दूर करता है। दृष्टि पैनी करता है और स्नायु के दर्द में भी राहत दिलाता है। विटामिन डी से भरपूर बादाम तेल बच्चों की हड्डियों के विकास में भी योगदान करता है। बादाम तेल से रूसी दूर होती है और बालों की साज-संभाल में भी यह कारगर है। इसमें मौजूद विटामिन तथा खनिज पदार्थ बालों को चमकदार और सेहतमंद बनाते हैं।

गुणकारी है तीखी मिर्च

छोटी-छोटी फुन्सियां उठने पर हरी मिर्च का लेप लगाने से फुन्सियां बैठ जाती है। खाज-खुजली के लिए मिर्च को तेल मे जलाकर मालिश करने से आराम मिलता है। जोड़ों का दर्द होने पर भी यह तेल फायदेमंद होता है। कुत्ते के काट लेने पर या ततैया के के डंक मारने पर मिर्च को पीस कर लगाने से विषैले असर से छुटकारा मिलता है। मकड़ी त्वचा पर चल जाती है, तब छोटे-छोटे दाने उभर आते हैं। उन पर भी मिर्च पीसकर लगाने से फायदा होता है। हरी मिर्च अधिक मात्रा में नहीं ली जानी चाहिए, अन्यथा अम्ल-पित्त की शिकायत हो सकती है। और शायद आपको पढ़कर आश्चर्य हो कि कई बुजुर्ग तीनों प्रकार की मिर्च काली, लाल और हरी को मिलाकर बनाए घोल से लंबे समय से चले आ रहे छालों का इलाज करते हैं। लेकिन बिना विशेषज्ञ की सलाह के आप ऐसा ना करें क्योंकि इसके लिए तीनों मिर्च की सुनिश्चित मात्रा लेकर कटोरी में घोल बनाया जाता है और जी कड़ा करके उसे एक साथ पी लिया जाता है। यह हर किसी पर कारगर हो आवश्यक नहीं।

दिल के रोगों के लिए लाभकारी सब्जियां

हमारे भोजन में अनेक ऐसी सब्जियां हैं, जिन्हें प्रतिदिन प्रयोग करके हार्ट की सभी बीमारियों से बचा जा सकता है। ये हैं- प्याज- इसका प्रयोग सलाद के रूप में कर सकते हैं। इसके प्रयोग से रक्त का प्रवाह ठीक रहता है। कमजोर हृदय होने पर जिनको घबराहट होती है या हृदय की धड़कन बढ़ जाती है उनके लिए प्याज बहुत ही लाभदायक है। टमाटर- इसमें विटामिन सी, बीटाकेरोटीन, लाइकोपीन, विटामिन ए व पोटेशियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिससे दिल की बीमारी का खतरा कम हो जाता है। लौकी- इसे घिया भी कहते हैं। इसके प्रयोग से कोलोस्ट्रॉल का स्तर सामान्य अवस्था में आना शुरू हो जाता है। ताजी लौकी का रस निकालकर पोदीना पत्ती-4 व तुलसी के 2 पत्ते डालकर दिन में दो बार पीना चाहिए। लहसुन- भोजन में इसका प्रयोग करें। खाली पेट सुबह के समय दो कलियां पानी के साथ भी निगलने से फायदा मिलता है। गाजर- बढ़ी हुई धड़कन को कम करने के लिए गाजर बहुत ही लाभदायक है। गाजर का रस पिएं, सब्जी खाएं व सलाद के रूप में प्रयोग करें।

हींग शक्तिशाली घरेलू औषधि

दांतों में कीड़ा लग जाने पर रात्रि को दांत में हींग दबाकर सोएं। कीड़े खुद-ब-खुद निकल जाएंगे। यदि शरीर के किसी हिस्से में कांटा चुभ गया हो तो उस स्थान पर हींग का घोल भर दें। कुछ समय में कांटा स्वतः निकल आएगा। हींग में रोग-प्रतिरोधक क्षमता होती है। दाद, खाज, खुजली व अन्य चर्म रोगों में इसको पानी में घिसकर उन स्थानों पर लगाने से लाभ होता है। हींग का लेप बवासीर, तिल्ली व उदरशोथ में लाभप्रद है। कब्जियत की शिकायत होने पर हींग के चूर्ण में थोड़ा सा मीठा सोड़ा मिलाकर रात्रि को फांक लें, सबेरे शौच साफ होगा। पेट के दर्द, अफारे, ऐंठन आदि में अजवाइन और नमक के साथ हींग का सेवन करें तो लाभ होगा। पेट में कीड़े हो जाने पर हींग को पानी में घोलकर एनिमा लेने से पेट के कीड़े शीघ्र निकल आते हैं। जख्म यदि कुछ समय तक खुला रहे तो उसमें छोटे-छोटे रोगाणु पनप जाते हैं। जख्म पर हींग का चूर्ण डालने से रोगाणु नष्ट हो जाते हैं। प्रतिदिन के भोजन में दाल, कढ़ी व कुछ सब्जियों में हींग का उपयोग करने से भोजन को पचाने में सहायक होती है।

मिट्टी-चिकित्सा से निखरे सेहत

शुद्ध, साफ कपड़े से छनी हुई मिट्टी को रातभर पानी से गलाकर लेई (पेस्ट) जैसा बना लीजिए और पूरे शरीर पर लगाकर रगड़िए तथा धूप में 20-30 मिनट के लिए बैठ जाएं। जब मिट्टी पूरी तरह से सूख जाए तब ठंडे पानी से पूरे शरीर का नेपकीन से घर्षण करते हुए स्नान कर लें। फायदे मिट्टी के - विभिन्न रोगों जैसे कब्ज, स्नायु-दुर्बलता, तनावजन्य सिरदर्द, उच्च रक्तचाप, मोटापा तथा विशेष रूप से सभी प्रकार के चर्म रोगों आदि में सफलतापूर्वक इसका उपयोग कर जीवन शक्ति का संचार एवं शरीर को कांतिमय बनाया जा सकता है। रोग चाहे शरीर के भीतर हो या बाहर- मिट्टी उसके विष और गर्मी को धीरे-धीरे चूसकर उस जड़-मूल से नष्ट करके ही दम लेगी। यह मिट्टी की खासियत है।एक बार उपयोग में लाई गई मिट्टी को दुबारा उपयोग में न लें। अगर मिट्टी बहुत ज्यादा चिपकने वाली हो तो उसमें थोड़ी-सी बालू रेत मिला लें। शरीर को शीतलता प्रदान करने के लिए मिट्टी-चिकित्सा का उपयोग किया जाता है। मिट्टी, शरीर के दूषित पदार्थों को घोलकर व अवशोषित कर अंततः शरीर के बाहर निकाल देती है।

मीठे सेब खाएं, हर रोग भगाएं

जिन्हें सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, बेहोशी, उन्माद या भूलने की शिकायत हो उन्हें भोजन से पहले दो ताजा मीठे सेबों का सेवन करना चाहिए। ऐसे रोगी को साधारण चाय-कॉफी छोड़कर केवल सेब की चाय ही पीनी चाहिए। दिल कमजोर हो या दिल की धड़कन कम या ज्यादा हो तो चाँदी का वर्क लगाकर सेब के मुरब्बे का सेवन करना चाहिए। इससे मोटापा दूर होता है। अनिद्रा के उपचार में भी सेब बहुत उपयोगी है। नींद न आती हो या एक-दो बजे नींद खुलने पर दुबारा नींद न आती हो तो रोगी को सोने से पहले एक मीठे सेब का मुरब्बा खिलाइए तथा ऊपर से गुनगुना दूध पीने को दें। इससे अच्छी नींद आएगी। पेट के कीड़ों के निदान के लिए रोगी को प्रतिदिन दो मीठे सेब दें या प्रतिदिन एक गिलास ताजा सेब का रस दें। इससे कीड़े मर जाते हैं और मल के रास्ते निकल जाते हैं। कब्ज दूर करने के लिए प्रतिदिन सुबह उठकर खाली पेट दो सेब चबा-चबाकर खाएँ। इससे अग्निमांद्य दूर होता है और भूख भी बढ़ जाती है।

सफेद बालों से कैसे पाएं छुटकारा
पिसी हुई सूखी मेहंदी एक कप, कॉफी पावडर पिसा हुआ 1 चम्मच, दही 1 चम्मच, नीबू का रस 1 चम्मच, पिसा कत्था 1 चम्मच, ब्राह्मी बूटी का चूर्ण 1 चम्मच, आंवला चूर्ण 1 चम्मच और सूखे पोदीने का चूर्ण 1 चम्मच। इतनी मात्रा एक बार प्रयोग करने की है। इसे एक सप्ताह में एक बार या दो सप्ताह में एक बार अवकाश के दिन प्रयोग करना चाहिए। सभी सामग्री पर्याप्त मात्रा में पानी लेकर भिगो दें और दो घंटे तक रखा रहने दें। पानी इतना लें कि लेप गाढ़ा रहे, ताकि बालों में लगा रह सके। यदि बालों में रंग न लाना हो तो इस नुस्खे से कॉफी और कत्था हटा दें। पानी में दो घंटे तक गलाने के बाद इस लेप को सिर के बालों में खूब अच्छी तरह, जड़ों तक लगाएं और घंटे भर तक सूखने दें। इसके बाद बालों को पानी से धो डालें। बालों को धोने के लिए किसी भी प्रकार के साबुन का प्रयोग न करके, खेत या बाग की साफ मिट्टी, जो कि गहराई से ली गई हो, पानी में गलाकर, कपड़े से पानी छानकर, इस पानी से बालों को धोना चाहिए। मिट्टी के पानी से बाल धोने पर एक-एक बाल खिल जाता है जैसे शैम्पू से धोए हों।

केसर : महकती औषधि


केसर का उत्पत्ति स्थान दक्षिणी यूरोप का स्पेन देश है, जहां से केसर मुम्बई आई है और मुम्बई से पूरे भारत के बाजारों में पहुंचती है, लेकिन स्पेन के अलावा केसर की पैदावार ईरान, फ्रांस, इटली, ग्रीस, तुर्की, फारस और चीन में भी की जाती है। भारत में, कश्मीर के पम्पूर नामक स्थान पर और जम्मू के किश्तवाड़ नामक स्थान पर केसर की खेती की जाती है। केसर का उपयोग रू आयुर्वेदिक नुस्खों में, खाद्य व्यंजनों में और देव पूजा आदि में तो इसका उपयोग होता ही था पर अब पान मसालों और गुटकों में भी इसका उपयोग होने लगा है। केसर बहुत ही उपयोगी गुणों से युक्त होती है। यह उत्तेजक, वाजीकारक, यौनशक्ति बनाए रखने वाली होती है। कामोत्तेजक, त्रिदोष नाशक, रुचिकर, मासिक धर्म साफ लाने वाली, गर्भाशय व योनि संकोचन जैसे रोगों को भी दूर करती है। त्वचा का रंग उज्ज्वल करने वाली, रक्तशोधक, धातु पौष्टिक, प्रदर और निम्न रक्तचाप को ठीक करने वाली, कफ नाशक, मन को प्रसन्न करने वाली, स्तन (दूध) वर्द्धक, मस्तिष्क को बल देने वाली, हृदय और रक्त के लिए हितकारी, तथा खाद्य पदार्थ और पेय (जैसे दूध) को रंगीन और सुगन्धित करने वाली होती है।

प्याज के प्रभावी घरेलू नुस्खे

रक्त विकार को दूर करने के लिए 50 ग्राम प्याज के रस में 10 ग्राम मिश्री तथा 1 ग्राम भूना हुआ सफेद जीरा मिला लें। कब्ज के इलाज के लिए भोजन के साथ प्रतिदिन एक कच्चा प्याज जरूर खाएं। यदि अजीर्ण की शिकायत हो तो प्याज के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर उसमें एक नीबू निचोड़ लें या सिरका डाल लें तथा भोजन के साथ इसका सेवन करें। बच्चों को बदहजमी होने पर उन्हें प्याज के रस की तीन-चार बूंदें चटाने से लाभ होता है। अतिसार के पतले दस्तों के इलाज के लिए एक प्याज पीसकर रोगी की नाभि पर लेप करें या इसे किसी कपड़े पर फैलाकर नाभि पर बांध दें। हैजे में उल्टी-दस्त हो रहे हों तो घंटे-घंटे बाद रोगी को प्याज के रस में जरा सा नमक डालकर पिलाने से आराम मिलता है। प्रत्येक 15-15 मिनट बाद 10 बूंद प्याज का रस या 10-10 मिनट बाद प्याज और पुदीने के रस का एक-एक चम्मच पिलाने से भी हैजे से राहत मिलती है।

याददाश्त बढ़ाती है सौंफ
अगर आप चाहते हैं कि आपका कोलेस्ट्रॉल स्तर न बढ़े तो खाने के लगभग 30 मिनट बाद एक चम्मच सौंफ खा लें। सूखी, रोस्टेड और कच्ची सौंफ को बराबर मात्रा में मिला लें। इसे खाने के बाद खाएं। इससे पाचनक्रिया बेहतर रहेगी और आप हल्का महसूस करेंगे। अगर आप एक चम्मच सौंफ 2 कप पानी में उबाल लें और इस मिश्रण को दिन में दो-तीन बार लें तो आपकी आंतें अच्छा महसूस करेंगी और खांसी भी लापता हो जाएगी। सौंफ की पत्तियों में खांसी संबंधी परेशानियां जैसे दमा व ब्रोन्काइटिस को दूर रखने की भी क्षमता होती है। सौंफ को अंजीर के साथ खाएं और खांसी व ब्रोन्काइटिस को दूर भगाएं। मासिक चक्र को नियमित बनाने के लिए सौंफ को गुड़ के साथ खाएं। दिलचस्प बात यह है कि सौंफ आपकी याददाश्त बढ़ाती है, निगाह तेज करती है, खांसी भगाती है और कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रण में रखती है। भोजन के बाद रोजाना 30 मिनट बाद सौंफ लेने से कॉलेस्ट्रोल काबू में रहता है। 5-6 ग्राम सौंफ लेने से लीवर और आँखों की ज्योति ठीक रहती है। अपच संबंधी विकारों में सौंफ बेहद उपयोगी है। बिना तेल के तवे पर तली हुई सौंफ और बिना तली सौंफ के मिक्चर से अपच में लाभ होता है।

सामान्य रोगों में अजवाइन आजमाएं
सर्दी, गर्मी के प्रभाव के कारण गला बैठ जाता है। बेर के पत्तों और अजवाइन को पानी में उबालकर, छानकर उस पानी से गरारे करने पर लाभ होता है। आधे सिर में दर्द होने पर एक चम्मच अजवायन आधा लीटर पानी में डालकर उबालें। पानी को छानकर रखें एवं दिन में दो-तीन बार थोड़ा-थोड़ा लेते रहने से काफी लाभ होगा। सरसों के तेल में अजवायन डालकर अच्छी तरह गरम करें। इससे जोड़ों की मालिश करने पर जोड़ों के दर्द में आराम होता है। खीरे के रस में अजवायन पीसकर चेहरे की झाइयों पर लगाने से लाभ होता है। चोट लगने पर नीले-लाल दाग पड़ने पर अजवायन एवं हल्दी की पुल्टिस चोट पर बांधने पर दर्द व सूजन कम होती है। मुख से दुर्गंध आने पर थोड़ी सी अजवायन को पानी में उबालकर रख लें, फिर इस पानी से दिन में दो-तीन बार कुल्ला करने पर दो-तीन दिन में दुर्गंध खत्म हो जाती है।

यौन शक्ति बढ़ाने के अचूक घरेलू उपाय

तुलसी: 15 ग्राम तुलसी के बीज और 30 ग्राम सफेद मुसली लेकर चूर्ण बनाएं, फिर उसमें 60 ग्राम मिश्री पीसकर मिला दें। और शीशी में भरकर रख दें। 5 ग्राम की मात्रा में यह चूर्ण सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन करें इससे यौन दुर्बलता दूर होती है। लहसुन रू 200 ग्राम लहसुन पीसकर उसमें 60 मिली शहद मिलाकर एक साफ-सुथरी शीशी में भरकर ढक्कन लगाएं और किसी भी अनाज में 31 दिन के लिए रख दें। 31 दिनों के बाद 10 ग्राम की मात्रा में 40 दिनों तक इसको लें। इससे यौन शक्ति बढ़ती है। जायफल रू एक ग्राम जायफल का चूर्ण प्रातः ताजे जल के साथ सेवन रने से कुछ दिनों में ही यौन दुर्बलता दूर होती है। दालचीनी रू दो ग्राम दालचीनी का चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से वीर्य बढ़ता है और यौन दुर्बलता दूर होती है। खजूर रू शीतकाल में सुबह दो-तीन खजूर को घी में भूनकर नियमित खाएं, ऊपर से इलायची तथा शक्कर डालकर उबला हुआ दूध पीजिए। यह उत्तम यौन शक्तिवर्धक है।

सरल उपाय, एलर्जी से बचाए


धूल मिट्टी से नाक में एलर्जी हो जाती है। उपरोक्त परेशानियों में निम्नलिखित नुस्खे आजमाएं - सोंठ, काली मिर्च, छोटी पीकर और मिश्री सभी द्रव्यों का चूर्ण 10-10 ग्राम, बीज निकाला हुआ मुनक्का 50 ग्राम, गोदंती हरताल भस्म 10 ग्राम तथा तुलसी के दस पत्ते सभी को मिलाकर खूब घोंटकर पीस लें और 3-3 रत्ती की गोलियाँ बनाकर छाया में सुखा लें। 2 गोली सुबह व 2 गोली शाम को गर्म पानी के साथ तीन माह तक सेवन करें। ठंडे पदार्थ, बर्फ, दही, ठंडे पेय से परहेज करें। नाक की एलर्जी दूर हो जाएगी।

अजवाइन एक बहुउपयोगी औषधि

अजवाइन रुचिकारक एवं पाचक होती है। पेट संबंधी अनेक रोगों को दूर करने में सहायक होती है, जैसे- वायु विकार, कृमि, अपच, कब्ज आदि। अजवाइन में स्वास्थ्य सौंदर्य, सुगंध तथा ऊर्जा प्रदान करने वाले तत्व होते हैं। यह बहुत ही उपयोगी होती है। बरसात के मौसम में पाचन क्रिया के शिथिल पड़ने पर अजवाइन का सेवन काफी लाभदायक होता है। इससे अपच को दूर किया जा सकता है। अजवाइन मोटापे को कम करने में मदद करती है। अतः रात्रि में एक चम्मच अजवायन एक गिलास पानी में भिगोएं। सुबह छानकर उस पानी में शहद डालकर पीने पर लाभ होता है। मसूड़ों में सूजन होने पर अजवाइन के तेल की कुछ बूंदें पानी में मिलाकर कुल्ला करने से सूजन कम होती है। अजवाइन, काला नमक, सौंठ तीनों को पीसकर चूर्ण बना लें। भोजन के बाद फांकने पर अजीर्ण, अशुद्ध वायु का बनना व ऊपर चढ़ना बंद हो जाएगा। आंतों में कीड़े होने पर अजवाइन के साथ काले नमक का सेवन करने पर काफी लाभ होता है।