रविवार, 12 जनवरी 2014

शिव पार्वती और कामदेव (होली से जुड़ी पौराणिक)

शिव पुराण के अनुसार हिमालय की पुत्री पार्वती शिव से विवाह हेतु कठोर तप कर रही थी
और शिव भी तपस्या में लीन थे। इंद्र का भी शिव-पार्वती विवाह में स्वार्थ छिपा था कि
ताड़कासुर का वध शिव-पार्वती के पुत्र द्वारा होना था। इसी वजह से इंद्र ने कामदेव को
शिव की तपस्या भंग करने भेजा, परंतु शिव ने क्रोधित हो कामदेव को भस्म कर दिया। शिव
की तपस्या भंग होने के बाद देवताओं ने शिव को पार्वती से विवाह के राजी कर लिया। इस
कथा के आधार पर होलीका दहन में काम की भावना को प्रतीकत्मक रूप से जला कर सच्चे प्रेम
पर विजय के रुपमें उत्सव मनाया जाता हैं।

प्रहलाद और होलिका:

पौराणिक मान्यता के अनुशार होलीका उत्सव का प्रारंभ प्रहलाद और होलिका के जीवन से
जुड़ा है। हमारे प्राचिन धर्म ग्रंथो में से एक विष्णु पुराण में प्रहलाद और होलिका की कथा
का उल्लेख मिलता हैं। हिरण्यकश्यप ने तपस्या कर वरदान प्राप्त कर लिया। अब हिरण्यकश्यप
तो अस्त्र-शस्त्र, मानव-पशु उसे पृथ्वी, आकाश, पाताल लोक में मार सकते थे।

वरदान के बल से हिरण्यकश्यपने देव-दानव-मानव आदि लोकों को जीत लिया और भगवान विष्णु
की पूजा-अर्चना बंद करा दी। परंतु हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रहलाद को नारायण की भक्ति
करना बंध नहीं कर सका। जिसके कारण हिरण्यकश्यप ने भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद को
बहुत सी यातनाएँ दीं। पंरतुप्रहलाद ने विष्णु भक्ति नहीं छोड़ी।


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