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रविवार, 11 जुलाई 2021

पुराणों व हिन्दू धर्मग्रंथों में उल्लेखित पर्यावरण ज्ञान

 पुराणों व हिन्दू धर्मग्रंथों में उल्लेखित पर्यावरण ज्ञान



👉 10 कुॅंओं के बराबर एक बावड़ी, 10 बावड़ियों के बराबर एक तालाब, 10 तालाब के बराबर 1 पुत्र एवं 10 पुत्रों के बराबर एक वृक्ष है।
👉 जीवन में लगाए गए वृक्ष अगले जन्म में संतान के रूप में प्राप्त होते हैं। (विष्णु धर्मसूत्र 19/4)
👉 जो व्यक्ति पीपल अथवा नीम अथवा बरगद का एक, चिंचिड़ी (इमली) के 10, कपित्थ अथवा बिल्व अथवा  ऑंवले के तीन और आम के पांच पेड़ लगाता है, वह *सब पापों से मुक्त हो जाता है। ( भविष्य पुराण)
👉 पौधारोपण करने वाले व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
👉 शास्त्रों के अनुसार पीपल का पेड़ लगाने से संतान लाभ होता है।
👉 अशोक वृक्ष लगाने से शोक नहीं होता है।
👉 पाकड़ का वृक्ष लगाने से उत्तम ज्ञान प्राप्त होता है।
👉 बिल्वपत्र का वृक्ष लगाने से व्यक्ति दीर्घायु होता है।
👉 वट वृक्ष लगाने से मोक्ष मिलता है।
👉 आम वृक्ष लगाने से कामना सिद्ध होती है।
👉 कदम्ब का वृक्षारोपण करने से विपुल लक्ष्मी की प्राप्त होती है। प्राचीन भारतीय चिकित्सा- पद्धति के अनुसार पृथ्वी पर ऐसी कोई भी वनस्पति नहीं है, जो औषधि ना हो।

 स्कंद पुराण में एक सुंदर श्लोक है-

अश्वत्थमेकम् पिचुमन्दमेकम्
न्यग्रोधमेकम्  दश चिञ्चिणीकान्।
कपित्थबिल्वाऽऽमलकत्रयञ्च पञ्चाऽऽम्रमुप्त्वा नरकन्न पश्येत्।।

अश्वत्थः         =     पीपल (100% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
पिचुमन्दः      =     नीम (80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
न्यग्रोधः         =     वटवृक्ष(80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
चिञ्चिणी        =      इमली (80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
कपित्थः        =       कविट (80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
बिल्वः           =      बेल (85% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
आमलकः      =     आँवला (74% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
आम्रः            =     आम (70% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
                            (उप्ति = पौधा लगाना)

        अर्थात्- जो कोई इन वृक्षों के पौधों का रोपण करेगा, उनकी देखभाल करेगा उसे नरक के दर्शन नही करना पड़ेंगे।

       इस सीख का अनुसरण न करने के कारण हमें आज इस परिस्थिति के स्वरूप में नरक के दर्शन हो रहे हैं। 
अभी भी कुछ बिगड़ा नही है, हम अभी भी अपनी गलती सुधार सकते हैं।
औऱ
  • गुलमोहर, निलगिरी- जैसे वृक्ष अपने देश के पर्यावरण के लिए घातक हैं।
  • पश्चिमी देशों का अंधानुकरण कर हम ने अपना बड़ा नुकसान कर लिया है।
  • पीपल, बड और नीम जैसे वृक्ष रोपना बंद होने से सूखे की समस्या बढ़ रही है
  • ये सारे वृक्ष वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाते है साथ ही धरती के तापनाम को भी कम करते है।
          हमने इन वृक्षों के पूजने की परंपरा को अन्धविश्वास मानकर  फटाफट संस्कृति के चक्कर में इन वृक्षों से दूरी बनाकर  यूकेलिप्टस (नीलगिरी) के वृक्ष सड़क के दोनों ओर लगाने की शुरूआत की।  यूकेलिप्टस झट से बढ़ते है लेकिन  ये वृक्ष दलदली जमीन को सुखाने के लिए लगाए जाते हैं। इन वृक्षों से धरती का जलस्तर घट जाता है। विगत ४० वर्षों में नीलगिरी के वृक्षों को बहुतायात में लगा कर पर्यावरण की हानि की गई है।

शास्त्रों में पीपल को वृक्षों का राजा कहा गया है। 

मूले ब्रह्मा त्वचा विष्णु शाखा शंकरमेवच।
पत्रे पत्रे सर्वदेवायाम् वृक्ष राज्ञो नमोस्तुते।।

भावार्थ-जिस वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा जी तने पर श्री हरि विष्णु जी एवं शाखाओं पर देव आदि देव महादेव भगवान शंकर जी का निवास है और उस वृक्ष के पत्ते पत्ते पर सभी देवताओं का वास है ऐसे वृक्षों के राजा पीपल को नमस्कार है।।
    
आगामी वर्षों में प्रत्येक ५०० मीटर के अंतर पर यदि एक एक पीपल, बड़ , नीम आदि का वृक्षारोपण किया जाएगा, तभी अपना भारत देश प्रदूषणमुक्त होगा। 

घरों में तुलसी के पौधे लगाना होंगे।

          हम अपने संगठित प्रयासों से ही अपने "भारत" को नैसर्गिक आपदा से बचा सकते है।

        भविष्य में भरपूर मात्रा में नैसर्गिक ऑक्सीजन मिले इसके लिए आज से ही अभियान आरंभ करने की आवश्यकता है।

         आइए हम पीपल, बड़, बेल, नीम, आंवला एवं आम आदि वृक्षों को लगाकर आने वाली पीढ़ी को निरोगी एवं "सुजलां सुफलां पर्यावरण"  देने का प्रयत्न करे।

सोमवार, 6 मार्च 2017

Health is wealth

आदरणीय मित्रो,
           सादर प्रणाम/ नमस्कार!
*आइये जाने भोजन द्वारा स्वास्थ्य लाभ*

केला ::-
        ब्लडप्रेशर नियंत्रित करता है,
        हड्डियों को मजबूत बनाता है,
        हृदय की सुरक्षा करता है,
        अतिसार  में लाभदायक है,
        खांसी में हितकारी है।

जामुन ::- 
        केन्सर की रोक थाम ,
        हृदय की सुरक्षा,
        कब्ज मिटाता है,
        स्मरण शक्ति बढाता है,
        रक्त शर्करा नियंत्रित करता है,
        डायबीटीज में अति लाभदायक।

सेवफ़ल ::-
        हृदय की सुरक्षा करता है,
        दस्त रोकता है,
        कब्ज में फ़ायदेमंद है,
        फ़ेफ़डे की शक्ति बढाता है।

चुकंदर ::-
        वजन घटाता है,
        ब्लडप्रेशर नियंत्रित करता है,
        अस्थिक्छरण रोकता है,
        केंसर के विरुद्ध लडता है,
        हृदय की सुरक्षा करता है।

पत्ता गोभी ::-
       बवासीर में हितकारी है,
       हृदय रोगों में लाभदायक है,
       कब्ज मिटाता है,
       वजन घटाने  में सहायक है,
       केंसर में फ़ायदेमंद है।

गाजर ::-
       नेत्र ज्योति वर्धक है,
       केंसर प्रतिरोधक है,
       वजन घटाने में सहायक है,
       कब्ज मिटाता है,
       हृदय की सुरक्षा करता है।

फूल गोभी ::-
        हड्डियों को मजबूत बनाता है,
        स्तन केंसर से बचाव करता है,
        प्रोस्टेट ग्रंथि के केंसर में भी उपयोगी,
        चोंट, खरोंच ठीक करता है।

लहसुन:
        कोलेस्टरोल घटाती है,
        रक्त चाप घटाती है,
        कीटाणुनाशक है,
        केंसर से लडती है।

शहद ::-
       घाव भरने में उपयोगे है,
       पाचन क्रिया सुधारती है,
       एलर्जी रोगों में उपकारी है,
       अल्सर से मुक्तिकारक है,
       तत्काल स्फ़ूर्ती देती है।

नींबू ::-
       त्वचा को मुलायम बनाता है,
       केंसर अवरोधक है,
       हृदय की सुरक्षा करता है,
       ब्लड प्रेशर नियंत्रित करता है,
       स्कर्वी रोग नाशक है।

अंगूर ::-
        रक्त प्रवाह वर्धक है,
        हृदय की सुरक्षा करता है,
        केंसर से लडता है,
        गुर्दे की पथरी नष्ट करता है,
        नेत्र ज्योति वर्धक है।

आम ::-
        केंसर से बचाव करता है,
        थायराईड रोग में हितकारी है,
        पाचन शक्ति बढाता है,
        याददाश्त की कमजोरी में हितकर।

प्याज ::-
        फ़ंगस रोधी गुण हैं,
        हार्ट अटेक की रिस्क को कम करे,
        जीवाणु नाशक है,
        केंसर विरोधी है,
        खराब कोलेस्टरोल को घटाना।

अलसी के बीज ::-
        मानसिक शक्ति वर्धक है,
        रोग प्रतिकारक शक्ति को ताकत दे,
        डायबीटीज में उपकारी है,
        हृदय की सुरक्षा करता है,
        डायजेशन को ठीक करता है।

संतरा ::-
       हृदय की सुरक्षा करता है,
       रोग प्रतिकारक शक्ति उन्नत होना,
       श्वसन पथ के विकारों में लाभकारी,
       केंसर में हितकारी है।

टमाटर ::-
       कोलेस्टरोल कम करता है,
       प्रोस्टेट ग्रंथि के स्वास्थ्य के लिये उपकारी,
       केंसर से बचाव करता है,
       हृदय की सुरक्षा करता है।

पानी ::-
       गुर्दे की पथरी नाशक है,
       वजन घटाने में सहायक है,
       केंसर के विरुद्ध लडता है,
       त्वचा के चमक बढाता है।

अखरोट ::-
        मूड उन्नत करन में सहायक है,
        मेमोरी  पावर बढाता है,
        केंसर से लड सकता है,
        हृदय रोगों से बचाव करता है,
        कोलेस्टरोल घटाने मेँ मददगार है।

तरबूज ::-
       स्ट्रोक रोकने में उपयोगी है,
       प्रोस्टेट के स्वास्थ्य के लिये हितकारी है,
       रक्तचाप घटाता है,
       वजन कम करने में सहायक है

अंकुरित गेहूं ::-
       बडी आंत की केंसर से लडता है,
       कब्ज प्रतिकारक है,
       स्ट्रोक से रक्षा करता है,
       कोलेस्टरोल कम करता है,
       पाचन सुधारता है।

चावल ::-
       किडनी स्टोन में हितकारी है,
       डायबीटीज में लाभदायक है,
       स्ट्रोक से बचाव करता है,
       केंसर से लडता है,
       हृदय की सुरक्षा करता है।

आलू बुखारा ::-
        हृदय रोगों से बचाव करता है,
        बुढापा जल्द आने से रोकता है,
        याददाश्त बढाता है,
        कोलेस्टरोल घटाता है,
        कब्ज प्रतिकारक है।

पाइनेपल ::-
       अतिसार (दस्त) रोकता है,
       वार्ट्स (मस्से) ठीक करता है,
       सर्दी, ठंड से बचाव करता है,
       अस्थि क्छरण रोकता है ,
       पाचन सुधारता है।

जौ , जई  ::-
        कोलेस्टरोल घटाता है,
        केंसर से लडता है,
        डायबीटीज में उपकारी है,
        कब्ज प्रतिकारक् है ,
        त्वचा पर शाईनिंग लाता है।

अंजीर  ::-
        रक्त चाप नियंत्रित करता है,
        स्ट्रोक्स से बचाता है,
        कोलेस्टरोल कम करता है,
        केंसर से लडता है,
        वजन घटाने में सहायक है।

शकरकंद ::-
       आंखों की रोशनी बढाता है,
       मूड उन्नत करता है,
       हड्डिया बलवान बनाता है,
       केंसर से लडता है ।

सेवक    -[truncated by WhatsApp]

सोमवार, 27 फ़रवरी 2017

*हाथ की पांच उंगलिया*

*हाथ की पांच उंगलिया*

हमारे हाथ की पांचो उंगलिया शरीर के अलग अलग अंगों से जुडी होती है | इसका मतलब आप को दर्द नाशक दवाइयां खाने की बजाए इस आसान और प्रभावशाली  तरीके का इस्तेमाल करना करना चाहिए | आज इस लेख के माध्यम  से हम आपको बतायेगे के शरीर के किसी हिस्से का दर्द सिर्फ हाथ की उंगली को रगड़ने से कैसे दूर होता है |

हमारे हाथ की अलग अलग उंगलिया अलग अलग बिमारिओ और भावनाओं से जुडी होती है | शायद आप को पता न हो, हमारे हाथ की उंगलिया चिंता, डर और चिड़चिड़ापन दूर करने की क्षमता रखती है | उंगलियों पर धीरे से दबाव डालने से शरीर के कई अंगो पर प्रभाव पड़ेगा |

*1. अंगूठा*
*– The Thumb*
हाथ का अंगूठा हमारे फेफड़ो से जुड़ा होता है | अगर आप की दिल की धड़कन तेज है तो हलके हाथो से अंगूठे पर मसाज करे और हल्का सा खिचे | इससे आप को आराम मिलेगा |

*2. तर्जनी*
*– The Index Finger*
ये उंगली आंतों  gastro intestinal tract से जुडी होती है | अगर आप के पेट में दर्द है तो इस उंगली को हल्का सा रगड़े , दर्द गयब हो जायेगा।

*3. बीच की उंगली*
*– The Middle Finger*
ये उंगली परिसंचरण तंत्र तथा circulation system से जुडी होती है | अगर आप को चक्कर या  आपका जी घबरा रहा है तो इस उंगली पर मालिश करने से तुरंत रहत मिलेगी |

*4. तीसरी उंगली*
*– The Ring Finger*
ये उंगली आपकी मनोदशा से जुडी होती है | अगर किसी कर्ण आपका मनोदशा अच्छा नहीं है या शांति चाहते हो तो इस उंगली को हल्का सा मसाज करे और खिचे, आपको जल्द ही इस के अच्छे नतीजे प्राप्त हो जयेगे, आप का मूड खिल उठे गा।

*5. छोटी उंगली*
*– The Little Finger*
छोटी उंगली का किडनी और सिर के साथ सम्बन्ध होता है | अगर आप को सिर में दर्द है तो इस उंगली को हल्का सा दबाये और मसाज करे, आप का सिर दर्द गायब हो जायेगा | इसे मसाज करने से किडनी भी तंदरुस्त रहती  है |

पोस्ट अच्छी लगे तो कम से कम अपने मित्रो और परिचित तक भेजे और स्वस्थ भारत के निर्माण मैं अपना पूर्ण योगदान दे।

🌸 धन्यवाद 🌸

सूखी खांसी दूर करने के घरेलु उपचार

कफ़ एक ऐसी समस्या है जो बहुत common है और हर किसी को कभी भी हो सकती है| मौसम में जरा से बदलाव से हमारे शरीर में सबसे पहले असर होता है, और sardi khasi जैसी बीमारी हमें जकड़ लेती है| सर्दी होने से हमारी नाक गला सभी बंद हो जाता है और हमें सांस लेने तक में कठिनाई होती है| कई बार सर्दी तो ठीक हो जाती है, लेकिन खांसी पीछा नहीं छोड़ती, और ये खांसी बिना कफ के सूखी होती है|

सूखी खांसी होने के कारण (Reason of Dry Cough or Sukhi Khansi) –

1 viral संक्रमण

2 फ्लू

3 सर्दी

4 स्मोकिंग

5 धूल मिटटी के संपर्क में ज्यादा रहना

6 किसी बड़ी बीमारी का होना जैसे TB, अस्थमा, फेफड़ों में कैंसर

इन सभी कारणों से हमें खांसी होने लगती है| खांसी लगातार होने से हमें सीने, सर में दर्द भी होने लगता है| खांसी की वजह से हम अच्छे से खा पी भी नहीं पाते है और किसी पार्टी मीटिंग जाने में भी हमें शर्मिंदगी महसूस होती है| लगातार आती खांसी हमें सब लोगों की नजर में ले आती है और हमारी वजह से दुसरे भी परेशान होने लगते है| sardi khasi सबसे ज्यादा संक्रमण फैलाते है, इसके कीटाणु मुख से निकल कर हवा में मिल जाते है और दुसरे के शरिर में सांस के द्वारा अंदर चले जाते है| जिससे दूसरा व्यक्ति भी इससे संक्रमित हो जाता है| इसलिए लोग खांसी वाले इन्सान के संपर्क में आने से कतराते है| खांसी वाले व्यक्ति को हमेशा अपने साथ एक रुमाल रखना चाहिए, और जब भी खांसी आये रुमाल मुंह पर रखें ताकि कीटाणु किसी और तक ना पहुंचे|

वैसे तो खांसी की बहुत सी दवाइयां बाजार में उपलब्ध है और इनसे हमें आराम भी मिल जाता है, लेकिन अगर इसका इलाज हमें घर पर मुफ्त में मिल जाये तो क्या बात है| आयुर्वेद में हर बीमारी का इलाज है और ये इलाज बहुत असरदार भी होता है| आयुर्वेद में बीमारी धीरे धीरे लेकिन जड़ से मिट जाती है| Sukhi Khansi  दवाई खाने के बाबजूद 1-2 दिन में ठीक नहीं होती है, इसे ठीक होने में 10-15 दिन कई बार तो महीने लग जाते है| ये दवाई कई बार अपना असर भी नहीं दिखाती है| तो चलिए आज हम आपको sookhi khasi दूर करने के घरेलु उपचार बताते है| Dry cough दूर करने के ये घरेलु तरीके  बहुत किफायती और असरदार होते है| जब भी आपको या आपके घर वालों को यह बीमारी हो आपको बस अपने घर में मौजूद सामान के अनुसार इसका इलाज करना है| सूखी खांसी के ये घरेलु नुस्खे आपको इस बीमारी से ठीक करेंगे| ये तरीके आपके किचिन में ही है बस आपको नजर घुमाने की जरुरत है| ये घरेलु उपचार दवाई से ज्यादा टेस्टी और असरदार होते है, जिसे आपके बच्चे भी आसानी से स्वाद ले लेकर खायेंगे|

सूखी खांसी दूर करने के घरेलु उपचार

1  शहद का उपयोग

एक शोध के अनुसार शहद खांसी में किसी दवाई से ज्यादा असरदार होती है| इसमें antibactirial प्रॉपर्टीज होती है जो खांसी के कीटाणु को नष्ट करती है| यह तरीका बच्चे बड़े सभी पर असरदार होता है, और खाने में टेस्टी होने के कारण सब इसे चाट चाट कर खाते है| 1 tbsp शहद को दिन में 3 बार लें इससे आपको जरुर आराम मिलेगा| रात को सोने से तुरत पहले जरुर लें इससे आपको सोते वक्त खांसी नहीं आएगी और आप चैन से सो पाएंगे| बच्चों को 1 tbsp की जगह 1 tsp ही खिलाएं| यह इलाज आप बच्चो के लिए भी अपना सकते है|

2   हल्दी का उपयोग

सूखी खांसी  के लिए हल्दी बहुत अच्छा इलाज है| हल्दी का प्रयोग आयुर्वेद में बहुत समय से होते आ रहा है| हल्दी हमारे सौन्दर्य को निखारने के साथ स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है| ½ कप पानी को उबाल लें, उसमें 1 tsp हल्दी, 1 दालचीनी स्टिक और 1 tsp काली मिर्च मिलाएं| इसे 1-2 min और उबालें फिर इसमें 1 tbsp शहद मिलाएं| अब इसे दिन में 2 बार पियें जब तक आपको आराम न मिल जाए| इसके अलावा 1 कप पानी में 1 चम्मच हल्दी पाउडर और 1 चम्मच अजवाइन डालें| इसे तब तक उबालें जब तक वह आधा ना रह जाये| अब इसमें शहद

3  अदरक का उपयोग

अदरक खांसी के लिए नेचुरल दवाई है| अदरक के कुछ कुछ टुकड़े 1 कप पानी में उबाल लें, फिर इसमें 2 चम्मच शाद मिलाएं और इसे दिन में 2-3 बार पियें| खांसी में जरुर आराम मिलेगा| इसके अलावा आप अदरक कुछ टुकड़े ऐसे ही चबा सकती है|

4  नमक के पानी का उपयोग

कफ में नमक का पानी बहुत असरदार होता है| यह गले के दर्द को दूर कर खांसी से भी आराम देता है| 1 गिलास गुनगुना पानी लें उसमें 1 tbsp नमक मिलाएं| अब इस पानी को मुंह में लेकर 15 तक गरारे करे| इस प्रक्रिया को दुहराते रहें| इसके आपके गले को बहुत आराम मिलेगा|

5  नीबू का उपयोग

नीम्बू में विटामिन c होता है जो कफ के संक्रमण को दूर करता है| 2 tbsp नीम्बू के रस में 1 tbsp शहद मिलाएं | इसे दिन में कई बार पियें, आपकी खांसी कम हो जाएगी|

6 लहसुन का उपयोग

लह्स्सों में antibactirial property होती है जो खांसी दूर करने में सहायक होती है| 1 कप पानी में 2-3 लहसून की कालिया डालकर उबालें| इसे थोडा ठंडा कर इसमें शहद डालें और पी लें|

7 प्याज़ का उपयोग

खांसी के उपचार के लिए ये बहुत आसन तरीका है| ½ tsp प्याज के रस में ½ tsp शहद मिलाएं और इसे दिन में 2-3 बार पियें| इससे आपको जरुर आराम मिलेगा|

8 गरम दूध का उपयोग

गरम दूध से कफ में आराम मिलता है साथ ही ये सीने के दर्द को भी कम करता है| 1 गिलास दूध में 2 चम्मच शाद मिला कर पियें| इसे आप रात को सोने से पहले पियें| इससे खांसी में आराम मिलेगा|

9 कलि मिर्च का उपयोग

काली मिर्च भी कफ में बहुत आराम देती है| इसे पीस कर दूध मिला कर खाएं खांसी में आराम मिलेगा| इसके अलावा इसे पीसकर घी में थोडा भून लें फिर इसे रोज खाएं| खांसी जल्दी ठीक हो जाएगी|

10  चाय का उपयोग

सर्दी खांसी में जी चाहता है बस कुछ गरम गरम पीने का, ऐसे में चाय से अच्छा क्या मिलेगा| आप अपनी रोज की चाय में तुलसी, काली मिर्च और अदरक मिला लें| इससे आपकी खांसी में बहुत जल्द आराम मिलेगा|

11 तुलसी का उपयोग

तुलसी के पत्तों का रस निकाल कर उसमें शहद मिलाएं| फिर इसमें अदरक का रस भी मिलाएं | इसे आप रोज दिन में 2 बार लें आपको खांसी से जरुर आराम मिलेगा|

12 गाजर के जूस का उपयोग

गाजर का जूस निकालें उसमें थोडा पानी भी मिला लें| अब इसमें 1 चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार पियें| आपको आराम मिलेगा|

13  बादाम का उपयोग

बादाम में बहुत से पोषक तत्व होते है जो कफ में आराम देते है| 4-5 बादाम को रात भर पानी में भिगो दें| अगले दिन इसे पीस कर पेस्ट बना लें अब इसमें 1 tsp बटर मिला लें| इसे दिन में 3-4 बार तब तक लें जब तक आपको आराम ना मिल जाये|

ये सभी तरीके नेचुरल है और आप ये तरीके बच्चो के लिए भी उपयोग कर सकते है | इससे किसी को कोई भी नुकसान नहीं होगा| और आपको जरुर बहुत अच्छे परिणाम मिलेगा| लेकिन अगर आपको 2 हफ़्तों में भी आराम नहीं मिला है, तो आप अपने डॉक्टर को जरुर दिखाएँ|

गर्मी में कोल्ड ड्रिंक नहीं, पिएं ये 11 देसी ड्रिंक

गर्मी में डिहाइड्रेशन से बचने के लिए कोल्ड ड्रिंक या सोडा पीने के बजाय नेचुरल चीजों से बने ड्रिंक्स पीने की सलाह डॉक्टर्स भी देते हैं। इसमें डाले जाने वाले अलग-अलग मसालों से न सिर्फ टेस्ट बढ़ता है, बल्कि हेल्थ के लिए भी यह फायदेमंद है। हम बता रहे हैं ऐसे ही 11 देसी ड्रिंक्स के बारे में।

*आम का पना*

कच्चे आम का पना गर्मी में लू से बचने का बेस्ट ऑप्शन है। इसमें विटामिन सी की मात्रा ज्यादा होती है जिससे आपको तुरंत एनर्जी मिलती है।

*कैसे बनाएं*

कच्चे आम (कैरी) को छिलकर उबाल लें। इसमें काला नमक, पुदीना, शक्कर डालकर ब्लेंडर में ब्लेंड कर लें। इसे गिलास में निकालें और बर्फ के टुकड़े डालकर सर्व करें।

*शिकंजी*

गर्मी में शिकंजी पीने से आपको तुरंत एनर्जी मिलती है। शिकंजी इस मौसम में होने वाली डलनेस को दूर करेगी। इसे बनाकर कुछ दिन तक फ्रिज में रखा जा सकता है।

*कैसे बनाएं*

एक जग में पानी लें। उसमें नींबू का रस, जीरा पाउडर, काला नमक और शक्कर मिला लें। अब शिकंजी को छलनी से छालकर गिलास में डालें और बर्फ के टुकड़े मिलाकर सर्व करें।

*मैंगो मिंट लस्सी*

आम और पुदीने से बनी लस्सी गर्मी में आपको फ्रेश रखेगी। इस एनर्जेटिक ड्रिंक को बनाकर तुरंत सर्व करें।

*कैसे बनाएं*

आम, शक्कर, पुदीना, इलायची पाउडर, नींबू का रस और दही को मिलाकर ब्लेंडर में ब्लेंड कर लें। आम के स्मूद हो जाने पर इसे गिलास में निकालें और बर्फ डालकर सर्व करें।

*पुदीने का शर्बत*

पुदीने का शर्बत गर्मी में डिहाइड्रेशन और लू से बचाता है। यह डाइजेस्टिव सिस्टम ठीक रखता है।

*कैसे बनाएं*
ब्लेंडर में पुदीना, शक्कर या गुड़, शहद, काला नमक, कालीमिर्च और जीरा पाउडर मिलाकर पीस लें। इस पेस्ट की कम मात्रा को पानी के साथ मिलाकर गिलास में डालें और बर्फ मिलाकर सर्व करें।

*छाछ*

इसे पीने से पेट की जलन और एसिडिटी दूर होती है। छाछ पीने से वेट लॉस होता है और डाइजेस्टिव सिस्टम ठीक रहता है।

*कैसे बनाएं*

दही में नमक, काला नमक, जीरा पाउडर और हींग मिलाकर ब्लेंडर में ब्लेंड कर लें। इसमें बर्फ मिलाकर गिलास में डालें और सर्व करें।

*गुलाब का शर्बत*

इस शर्बत को पीने से पेट की जलन दूर होती है। यह बॉडी को कूल रखता है।

*कैसे बनाएं*

एक पैन में पानी और शक्कर मिलाकर चाश्नी बना लें। इसमें गुलाब जल, इलायची पाउडर और ताजी गुलाब की पत्तियों का पेस्ट डालें। इसे छानकर फ्रिज में रख दें। सर्व करते समय इस शर्बत को पानी के साथ मिलाकर बर्फ डालें और सर्व करें।

*जलजीरा*

इसे पीने से एसिडिटी और डिहाइड्रेशन दूर होता है। जलजीरा गर्मी से राहत पाने का बेहतर ऑप्शन है।

*कैसे बनाएं*

पानी में जीरा पाउडर, काला नमक, अमचूर पाउडर, नींबू का रस, थोड़ी सी शक्कर और पुदीने की पत्तियों का पेस्ट मिला लें। इसे बर्फ के टुकड़े मिलाकर सर्व करें।

*ऐलोवेरा जूस*

यह जूस गर्मी से होने वाली स्किन टैनिंग को दूर करने में मददगार है। यह डाइजेस्टिव सिस्टम को इंप्रूव करता है। इसे पीने से तुरंत एनर्जी मिलती है और गर्मी में भी स्किन का ग्लो बरकरार रहता है।

*कैसे बनाएं*

एलोवेरा के कांटेदार किनारे हटा दें। इसकी पत्तियों के बीच जमा गूदा निकालें। इसे मिक्सी में डालकर लेमन या ऑरेंज जूस और नमक मिलाकर पीस लें और बर्फ के टुकड़े डालकर सर्व करें।

*बेल का शर्बत*

गर्मी में इसे अमृत के समान माना गया है। यह डायरिया को दूर करने में मददगार है। डाइजेस्टिव सिस्टम को ठीक रखता है और लू से बचाता है।

*कैसे बनाएं*

बेल के फल का गूदा निकालकर अच्छी तरह मैश कर दें। इसमें शक्कर, काला नमक, जीरा पाउडर और चाट मसाला मिलाकर ब्लेंडर में ब्लेंड कर लें। इसे बर्फ मिलाकर सर्व करें।

*इमली का अमलाना*

गर्मी से बचने के लिए इमली से बने इस राजस्थानी ड्रिंक को पीजिए। लू से राहत पाने का यह इफेक्टिव तरीका है।

*कैसे बनाएं*

इमली और पानी मिलाकर दो घंटे के लिए रख दें। मिश्रण को छानकर इसमें शक्कर, कालीमिर्च पाउडर, इलायची पाउडर, काला नमक, सादा नमक, बर्फ और पानी डालकर अच्छी तरह मिला लें। इसे गिलास में डालें और सर्व करें।
Sunil Kushwah: *गुणों से भरपूर है गन्ने का रस, जानिए इसके फायदे*

भारत में सबसे ज्यादा गन्ना उगाया जाता है। गन्ने के रस से ज्यादा पोषक और स्वस्थ रखने वाला कोई और रस नहीं हो सकता। अगर अाप दिर-भर की थकान को दूर करने के लिए एक गिलास गन्ने का रस पीएगें तो आपको स्वाद भरी ताजगी मिल जाएगी।
गन्ने का रस में सेहत के लिए बहुत गुणकारी है। यह रस विटामिन A, C, B1, कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम, और कॉपर से भरपूर होता है। इसे पीने से हड्डियां मजंबूत बनती हैं और दांतों की समस्या भी कम होती है। अाज हम अापको बताएगें कि कैसे गन्ने का रस दूर करता है इन बिमारीयों से।
गन्ने का रस पीने से होंगे ये सब फायदे :
-*कैंसर से बचाव करता है*
गन्ने के रस में कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, आयरन और मैंगनीज जैसे तत्व अच्छी मात्रा में हैं जो शरीर को कैंसर जैसी बिमारी से लड़ने के लिए सहायक होता हैं।
-*मुहांसों से छुटकारा*
गन्ने का रस पीने से त्वचा को अल्फा हाइड्रॉक्सी एसिड मिलता है जो मुहांसे दूर करने और सेहतमंद त्वचा के लिहाज से फायदेमंद है।
-किडनी के लिए फायदेमंद
गन्ने के रस में प्रोटीन अच्छी मात्रा में है। इसमें नींबू और नारियल पानी मिलाकर पीने से किडनी की युरीन इन्फेक्शन, एसटीडी और पत्थर जैसी समस्यामए दूर होती है।
-पाचनतंत्र के लिए फायदेमंद
गन्ने का रस पाचन तंत्र के साथ-साथ पेट की बीमारियों के लिए भी बहुत फायदेमंद है क्योकि इसमें पोटैशियम की मात्रा ज्यादा होती है। इसे पीने से कब्ज की समस्या भी दूर होती है।
-नाखूनों में अाती है चमक
यह रस पीने से नाखूनों पर से सफेद धब्बे हटाते है अौर नाखून चमकदार होते हैं क्योकि इसमें पोषक तत्व हैं जिससे आपके नाखूनों की सेहत की भरपाई हो जाती है।
-दिल के रोगों से कहता है बचाव
गन्ने का रस शरीर में कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लिसराइड के लेवल को गिरता है जिससे धमनियों में फैट नहीं जमता अौर दिल के रोगों जैसी बिमारीयों से बचाव रखता है।
-मोटापा होता है कम
यह रस आपके शरीर में खराब कॉलेस्ट्रोल को कम करके आपको मोटापे से बचाता है।
-शुगर के मरीजों के लिए फायदेमंगद
गन्ने का रस पीने से मधुमेह रोगियों को बहुत फायदा होता है क्योकि यह मीठा और प्राकृतिक शुगर से भरपूर होता है।
-त्वचा में ग्लो अाती है
यह रस त्वचा संबंधित परेशानियों को दूर करता है और स्किन में कसाव लेकर आता है। इस रस को त्वचा पर लगा कर धोने के बाद त्वचा खिली-खिली और साफ नजर आती है

रविवार, 3 जनवरी 2016

पल पल घुटती सांसे

वायु प्रदूषण (Air Pollution in Hindi)

वायु हमारी जिन्दगी का अत्यन्त आवश्यक तत्व है। वायु प्रदूषण को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया जा सकता। वायु कुछ गैसों का और नमी का मिश्रण है। इसमें कुछ अक्रिय (inert) पदार्थ भी हैं।

हम विश्व के किसी भी हिस्से में ‘शुद्ध वायु’ नहीं प्राप्त कर सकते। जब हम सांस लेते हैं तो आक्सीजन के साथ-साथ कुछ अन्य गैसें और पदार्थ हमारे श्वशन तंत्र में प्रवेश करते हैं इससे पहले कि वायु प्रदूषण के बारे में बात करें, यह आवश्यक है कि हम जानें कि शुद्ध वायु में क्या-क्या तत्व होते हैं? शुद्ध वायु की संरचना निम्न तालिका में दर्शायी गयी है।

शुद्ध वायु की संरचना (समुद्री सतह के पास)



क्रम सं.
अवयव
संकेतक¼Symbol½
उपस्थिति प्रतिशत
1
नाइट्रोजन
N2
78.09
2
ऑक्सीजन
O2
20.94
3
ऑर्गन
Ar
0.93
4
कार्बन डाई आक्साइड
CO2
0.0318
5
निआन
Ne
0.0018
6
हीलियम
He
0.00052
7
क्रिप्टन
Kr
0.0001
8
मीथेन
CH4
0.00015
9
हाइड्रोजन
H2
0.00005
10
कार्बन मोनो ऑक्साइड
CO
0.00001
11
नाइट्रस आक्साइड
N2O
0.00025
12
जिनान
Xc
0.000008
13
ओजोन
O3
0.000002
14
सल्फर डाइ आक्साइड
SO2
0.000002
15
अमोनिया
NH3
0.000001
16
नाइट्रोजन डाई आक्साइड
N2O
0.000001
17
जल
H2O
1-3


वायु तत्व वस्तुतः प्राण ही है। ऐतिहासिक रूप से वायु का प्रदूषण अग्नि के आविष्कार के साथ ही शुरू हो गया था। इसके बाद लौह और सोने की प्रोसेसिंग के साथ इसमें वृद्धि होने लगी और कोयले के उपयोग के साथ लगातार वृद्धि हो रही है। 18 वीं शताब्दी के वाष्प इंजन के आविष्कार के साथ और औद्योगिक क्रान्ति के साथ प्रदूषण के एक नये युग का प्रारम्भ हुआ। इस दौरान मोटर वाहनों में वृद्धि के साथ ही इसमें बेतहाशा वृद्धि हुई है। वर्तमान में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू.एच.ओ.) के अनुसार ‘वायु प्रदूषण एक एैसी स्थिति है जिसके अन्तर्गत बाह्य वातावरण में मनुष्य तथा उसके पर्यावरण को हानि पहुचाने वाले तत्व सघन रूप से एकत्रित हो जाते हैं।‘ दूसरे शब्दों में वायु के सामान्य संगठन में मात्रात्मक या गुणातात्मक परिवर्तन, जो जीवन या जीवनोपयोगी अजैविक संघटकों पर दुष्प्रभाव डालता है, वायु प्रदूषण कहलाता है।

वायु मण्डलीय प्रदूषण विश्व की राजनैतिक सीमाओं से परे हैं। यह अपने स्रोतों से दूर के वायुमण्डलों और मानवीय बस्तियों को प्रभावित करता है। मानवीय क्रिया कलापों से उत्पन्न प्रदूषण में विद्युत गृह (विशेषतः कोयले पर आधारित), अम्लीय वर्षा, मोटरवाहन, कीटनाशक, जंगल की आग, कृषि कार्यों द्वारा उत्पन्न कचरा, सिगरेट का धुआं, रसोई का धुआं आदि प्रमुख कारक हैं। इससे पूर्व इन कारकों पर विस्तार से चर्चा करें, वायु प्रदूषण का मनुष्य के स्वास्थ्य एवं जीव-जन्तुओं तथा पेड़-पौधें पर क्या दुष्प्रभाव पडता है इसको देखें-

वायु के प्रमुख प्रदूषक:

1- सल्फर डाई आक्साइड (SO2)
2- नाइट्रोजन आक्साइड (NO)
3- कार्बन मोनो आक्साइड (CO)
4- सालिड पार्टिकुलेट मैटेरियल (Solid Particulate material)
5- लौह कण
6- ओजोन (O3)
7- कार्बन डाई आक्साइड (CO2)
8- हाइड्रोकार्बन्स
9- मीथेन
10- कुछ धातुयें
11- विकिरण।

प्रस्तुत तालिका में वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव को प्रदर्शित किया गया है।

सामान्य वायु प्रदूषक, उनके स्रोत एवं उनका मनुष्यों के स्वास्थ्य पर प्रभाव (Pathological Effects )



क्र.सं.
प्रदूषक
स्रोत
मनुष्य के स्वास्थ्य/शरीर पर प्रभाव
1
एल्डीहाइडस श्वशन
तेलवसाग्लीसराल का तापीय विच्छेदन(Thermal Decomposition)
ऊपरी श्वशन तंत्र और संस्थान में जलन
2
आर्सेनिक पीलिया
कोयला और तेल की भट्ठियां (Glass Manufacturing)
फेफड़ों को नुकसान (फेफड़ों और त्वचा का कैंसर)
3
अमोनिया पीलिया
रासायनिक प्रक्रिया - डाइस का बनना, विस्फोटक, उर्वरक सामग्री
फेफड़ों को नुकसान (फेफड़ों और त्वचा का कैंसर )
4
बैंजीन
तेल शोधक कारखाने, मोटर वाहन (Smellcis)
लम्बे समय तक सम्पर्क से ल्यूकीनिया की संभावना
5
कैडमियम
कोयला और तेल संचालित की भट्ठियां
लम्बे समय तक सम्पर्क से वृक्कों ( kidneys) की खराबी

6
कार्बन मोनोआक्साइड
मोटर वाहनों द्वारा छोड़े जाना वाला धुआं। इस्पात के कारखाने, कोयला और तेल की भट्टियां
फेफड़ों में खराबी, हड्डियों की कमजोरी होना, शरीर में आक्सीजन की कमी, और हृदय पर विपरीत प्रभाव
7
क्लोरीन
रासायनिक कारखाने
श्वसंन संस्थान पर व्यापक दुष्प्रभाव(Mucous)
8
फ्लोराइड आइंस(Ions )
स्टील इस्पात कारखाना
दांतों की क्षति
9
हाइड्रोकार्बन्स
अधजली गैसोलीन वाष्प
श्वसन संस्थान को प्रभावित करते हैं
10
हाइड्रोसायनाइड
Fumigation ब्रास भट्टियांBlast Furnaces; Chemical Manufacturingरासायनिक उद्योग
आंखों पर प्रभाव, गले में खराश,  सिरदर्द, फेफड़ों पर प्रभाव
11
हाइड्रोजन क्लोराइड
Fumigation ब्रास भट्टियांBlast Furnaces; Chemical Manufacturingरासायनिक उद्योग
आंखों पर प्रभाव, गले में खराश,  सिरदर्द, फेफड़ों पर प्रभाव
12
हाइड्रोजन फ्लोराइड
पेट्रोलियम शोधक कारखाने, उर्वरक
त्वचा में जलन, आंखों में जलन
13
हाइड्रोजन सल्फाइड     
रिफाइनरीज तेलशोधक, मल संसोधन ( Sewage Treatment)
आंखों में जलन, मितली, दुर्गंध
14
मैगनीज
स्टील प्लांट ताप विद्युत गृह
अधिक दिनों तक असुरक्षित अवस्था में रहने से पार्किसन बीमारी होने का खतरा
15
निकिल
स्मैल्टर्स, कोयले और तेल की भट्ठियां
फेफड़ों के कैसर की संभावना
16
नाइट्रोजन ऑक्साइड
साफ्ट कोल, मोटर वाहनों का उत्सर्जन
खांसी, दमा इन्फलूएंजा
17
ओजोन
प्रकाश की उपस्थिति में नाइट्रोजन के आक्साइड्स और हाइड्रोंकार्बन्स से प्राप्त
आँखों में जलन,अस्थमा को बढ़ावा
18
फास्जीन
विभिन्न रासायनों औरDye उत्पादन से
खांसी, जलन, फेफड़ों की घातक बीमारी
19
लैड
स्मैल्टर्स मोटर वाहनों का धुआं
मस्तिष्क की खराबी, उच्च रक्तचाप, शारीरिक वृद्धि रोकता है
20
सल्फर डाई आक्साइड
स्मैल्टर्स कोयला और तेल के प्रज्जवलन से
सांस में रुकावट, जलन आदि
21
Suspended solids
विभिन्न उत्पादनरत इकाइयों से हवा में रबर के कण
Emphysema आंखों में जलन, सम्भवतः कैंसर भी ( जैसे धुआं, राख इत्यादि )



वायु प्रदूषण के स्रोत -


प्राकृतिक एवं मानवीय कारणों से वायु के दूषित होने की प्रक्रिया वायु प्रदूषण कहलाती है। अतः वायु प्रदूषण के दो मुख्य स्रोत हैं: प्राकृतिक एवं मानवीय।

प्राकृतिक स्रोत -


प्रकृति में ऐसे कई स्रोत हैं जो वायु मण्डल को दूषित करते हैं। यथा ज्वालामुखी क्रिया, दावाग्नि (वनों की की आग), जैविक अपशिष्ट इत्यादि। ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान उत्सर्जित लावा, चट्टानों के टुकड़े, जल वाष्प, राख, विभिन्न गैसें इत्यादि वायुमण्डल को दूषित करते हैं। दावाग्नि या वनों की आग के कारण राख, धुंआ गैसें इत्यादि वायु को प्रदूषित करतीं है। दलदली क्षेत्रों में जैविक पदार्थो के सड़ने के कारण मीथेन गैस वायुमण्डल को दूषित करती है। इसके अतिरिक्त कोहरा, उल्कापात, सूक्ष्मजीव, परागकण, समुद्री खनिज भी वायु प्रदूषण में अहम भूमिका निभाते हैं। किन्तु प्राकृतिक स्रोतों से होने वाला वायु प्रदूषण अपेक्षाकृत सीमित एवं कम हानिकारक हैं।

मानवीयस्रोत -


मानव (मनुष्य जाति) के विभिन्न क्रिया कलापों द्वारा वायु प्रदूषण निरन्तर बढ़ रहा है। वायु प्रदूषण के प्रमुख मानवीय स्रोत निम्न हैं -

1- वनों का विनाश -


जनसंख्या में निरन्तर वृद्धि के कारण कृषि भूमि, आवासीय भूमि, औद्योगीकरण इत्यादि मानवीय मांगों की पूर्ति बढ़ी है। जिसकी आपूर्ति वनों को काटकर की जा रही है। वनों की उपस्थिति में पर्यावरण पारिस्थितिकी तंत्र संतुलित रहता है वनों के विनाश के कारण यह असंतुलित हो गया है।

2- उद्योग/कल कारखाने (लघु, मध्यम, वृहद) -


वायु प्रदूषण के स्रोतो में उद्योग मुख्य कारक है। औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप सम्पूर्ण विश्व में औद्योगीकरण हुआ परन्तु साथ ही वायु मण्डलीय प्रदूषण जैसी गम्भीर समस्या में बढ़ोत्तरी हुई है। उद्योगों की चिमनियों से निकलने वाली विभिन्न गैसें जैसे कार्बन डाई आक्साइड, सल्फर मोनो आक्साइड, सल्फर के. आक्साइड, हाइड्रोकार्बन्स, धूल के कण, वाष्प कणिकायें, धुंआ इत्यादि वायु प्रदूषण का मुख्य कारक हैं।

3- परिवहन -


परिवहन वायु प्रदूषण का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण कारण है। जनसंख्या वृद्धि के साथ ही परिवहन के साधनों में भी बहुतायत से वृद्धि हुयी है। स्वचालित वाहनों में प्रयुक्त पेट्रोल एवं डीजल के दहन के फलस्वरूप कई वायुप्रदूषकों की उत्पत्ति होती है यथा कार्बन मोनो आक्साइड, नाइट्रोजन एवं सल्फर के आक्साइड, धुंआ, शीशा आदि। एक स्वचालित वाहन द्वारा एक गैलन पेट्रोल के दहन से लगभग 5x20 लाख घनफीट वायु प्रदूषित होती है।

विश्व के सभी देशों में वाहनों की संख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है और उससे उत्पन्न परिणाम समय समय पर (यथा कोहरा बनना) परिलक्षित हो रहे हैं। एक अध्ययन के अनुसार 33 प्रतिशत वायु प्रदूषण वाहनों से निकलने वाले धुंये के कारण होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार देश के बडे शहरों में निर्धारित मानकों से वायु प्रदूषण का स्तर दो-तीन गुना अधिक है। एक अनुमान के अनुसार दिल्ली में 70 लाख वाहन, मुम्ब्ई में दो लाख से ज्यादा आटो रिक्शा, 9 लाख से ज्यादा यात्री कारें, करीब 10000 टैक्सियां और 25 हजार से ज्यादा बसें और 3 लाख से ज्यादा वाणिज्यिक वाहन हैं। लखनऊ में सडक पर मौजूद 10 लाख वाहनों में हर रोज 200 नये वाहन जुड़ जाते है। जयपुर में 15 लाख वाहन बंगलुरू में 31 लाख वाहन हैं।

4- घरेलू कार्यों से -


मनव जीवन के संचालन हेतु ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इनमें घरेलू कार्य, उद्योग, कृषि, परिवहन आदि सम्मिलित हैं। घरेलू कार्यों जैसे भोजन पकाना, पानी गर्म करना आदि में कोयला, लकड़ी, उपले, मिट्टी का तेल, गैसें इत्यादि का प्रयोग ईंधन के रूप में होता है। इन जैविक ईधनों के दहन के फलस्वरूप विभिन्न विषैली गैसों का निर्माण होता है, जो कि वायुमण्डल को प्रदूषित करतीं हैं। इनसे कार्बन डाई आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, सल्फर डाई आक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड, कार्बनिक कण, धुंआ इत्यादि जैसे प्रदूषक निकलते हैं। परम्परागत ईंधन (लकड़ी, कोयला, उपला) की तुलना में रसोई गैस (एलपीजी) गैस अधिक प्रदूषण करती है। आधुनिक घरों में रेफ्रीजरेटर, एअर कण्डीशनरों का प्रयोग एक सामान्य सी बात है। इन विद्युत चालित उपकरणों से निकलने वाली क्लोरो-फ्लोरो कार्बन गैस (सीएफसी) वायुमण्डल में उपस्थित ओजोन परत की विनाश का सबसे अधिक उत्तरदायी कारक है।

5- ताप विद्युत गृह (thermal Power Station) -


जनसंख्या वृद्धि एवं बढ़ते औद्योगीकरण के अनुपात में बिजली की मांग भी बढ़ी है जिसकी पूर्ति कोयला, प्राकृतिक गैसों, खनिज तेलों, रेडियोधर्मी पदार्थां द्वारा की जाती है। ताप बिजलीघरों में कोयले, तेल एवं गैस का ईंधन के रूप में प्रयोग होता है। इनकी चिमनियों से निकलने वाली विभिन्न गैसें, कोयले की राख के कण वायुमण्डलीय प्रदूषण की मुख्य कारक है। 1000 मेगावाट की क्षमता वाले ताप विद्युत गृह को एक वर्ष में दो लाख साठ हजार टन से 104000 टन तक राख निकलती है। भारत में 54 प्रतिशत बिजली का उत्पादन कोयला आधारित विद्युत गृहों (लगभग 80 हजार मेगावाट) से ही होता है।

6- कृषि कार्य -


देश में हरित क्रान्ति के फलस्वरूप कृषि कार्यों में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग बढ़ा है। इसके साथ ही फसलों में विभिन्न कीटनाशकों का उपयोग किया जा रहा है। इन रासायनिक कीटनाशकों के छिड़काव के दौरान ये प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप् से वायुमण्डल में प्रविष्ट होकर शुद्ध वायुमण्डल संघटन को खराब करती हैं। अनेक कीटनाशी रसायनों का स्थायी प्रभाव अधिक खतरनाक है क्योंकि ये अपघटित होने में बहुत लम्बा समय लेते है या अपघटित नहीं होते जैसे सीडीटी, बीएचसी, डिएल्ड्रिन, एण्डोसल्फास आदि।

7 - खनन (Mining)


खनिज गतिविधि के दौरान विभिन्न विस्फोटकों का प्रयोग होता है जो कि वायु मण्डलीय प्रदूषण का कारण है। विभिन्न खनिजों के उत्खनन से उत्पन्न महीन कण भी वायुमण्डल को प्रदूषित करते हैं। भूमिगत खदानों से निकलने वाली हानिकारक गैसें भी वायुमण्डल के लिये हानिकारक हैं। नाभिकीय खनिजों के उत्खनन के समय उनसे निकलने वाले विकिरण विभिन्न व्याधियों का कारण है।

8 - रेडियो धर्मिता (Radio Activity)


रेडियोधर्मी पदार्थों से अल्फा, वीटा तथा गामा विकिरण अनवरत निकलते रहते हैं, जो पृथ्वी पर रहने वाले जीवधारियों के लिये अत्यन्त हानिकारक हैं। आणविक विस्फोटों एवं आणविक हथियारों के परीक्षण के दौरान रेडियोधर्मी पदार्थों से निकलने वाले विकिरण एवं उष्मा वायुमण्डल को दूषित करती है। परमाणु ऊर्जा संयत्रों में तकनीकी एवं मानवीय त्रुटियों में जब कभी रेडियोधर्मी विकिरण बाहर निकलते हैं तो वे वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं।

9- रासायनिक पदार्थों एवं विलायकों द्वारा (Chemical Substances & Solvents)


प्रकृति में पाये जाने वाले या संश्लेषित कुछ ऐसे पदार्थ होते हैं। जिसके भौतिक या रासायनिक होने से भी वायु प्रदूषण होता है। रसायनशालाओं तथा उद्योगों में प्रयुक्त किये जाने वाले अनेक विलायकों द्वारा भी प्रदूषण फैलता है। रसायनों से सम्बधित कुछ उद्योगों से जैसे रबर, पेण्ट, प्लास्टिक आदि के निर्माण के दौरान विषैले उपउत्पाद प्राप्त होते हैं, जो वाष्पीकरण क्रिया के फलस्वरूप वायुमण्डल को प्रदूषित करते हैं।

10 - विकसित देशों की निर्यात सामग्री -


विकाससील देश विकसित राष्ट्रों से जो कि प्रौद्योगिकी एवं आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न होते हैं। अनेक वस्तुओं का आयात करते हैं। विकसित देशों से सस्ते में मशीन एवं अन्य सामग्री घटिया एवं पुरानी होने के कारण प्रदूषण फैलाती हैं। विकसित राष्ट्रों में अनेक प्रतिबंधित घातक रसायन विकासशील राष्ट्रों को सस्ते दामों पर या दान में दिये जाते हैं, जो कि वायु प्रदूषण का मुख्य कारण होते हैं।

11- अन्य -


इसके अतिरिक्त निर्माण कार्यों, आग्नेय अस्त्रों के प्रयोग, आतिशबाजी इत्यादि से भी वायु-प्रदूषण होता है।

वायु प्रदूषण का वनस्पतियों पर प्रभाव -


मानव के साथ ही वनस्पति भी वायु प्रदूषण से उतनी ही प्रभावित हैं। वायु प्रदूषण का प्रभाव वनस्पति पर स्पष्ट रूप् से परिलक्षित होता है। अम्लीय वर्षा, घूप कोहरा, सल्फर डाई आक्साइड, फ्लोराइड्स, ओजोन, कार्बन मोनो आक्साइड इत्यादि पौधों की श्वसन वृद्धि, पुष्पीकरण, फलों का बनना आदि क्रियाओं मां बाधक बनते हैं। सल्फर डाई आक्साइड से पादप वृद्धि रुकती है। पत्तियों में पर्णरहित कम होकर हरित हीनता रोग उत्पन्न होता है। परागकणों के अंकुरण में कमी, बीज व फल बनने में बाधक है। नाइट्रोजन आक्साइड से पत्तियों का छोटा होना इत्यादि समस्यायें उत्पन्न होती हैं। फलोराइड्स से पत्तियों के किनारों एवं शीर्ष कोशिकाओं की क्षति होती है। परआक्सी एसिटाइल नाइट्रेट पत्तियों में स्टार्च की मात्रा को कम करता है। सीसा, पारा, कैडमियम जैसे कणीय पदार्थ पौधों में हरितहीनता रोग उत्पन्न करते हैं एवं वृद्धि को रोकते है। सीमेंट व कोयले क्षेत्र में कलियों का मृत होना भी एक समस्या है।

जन्तुओं पर -


वायु प्रदूषकों का दुष्प्रभाव जीव-जन्तुओं पर भी स्पष्टतः दृष्टिगोचर होता है। फलोराइड यौगिक प्रदूषक घास स्थूलों में जमा होकर खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करके जन्तुओं को प्रभावित करते हैं जिससे पारिस्थितिकी संतुलन बिगड़ता है।

वायुमण्डल पर -


वायु प्रदूषको का सर्वाधिक प्रभाव वायुमण्डल पर पड़ता है। विभिन्न जहरीली गैसें, कणीय पदार्थ इत्यादि वायु प्रदूषकों से वायुमण्डल के आदर्श गैसीय संगठन में कई गड़बड़ियां उत्पन्न हो गयीं हैं।

वायु प्रदूषण नियंत्रण के उपाय


वायु प्रदूषण के घातक प्रभावों को देखते हुये विश्व के विकसित देशों में 1950-60 के दशक के बाद से ही तेजी से वायु प्रदूषण के नियंत्रण के उपाय व विकसित तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। यहां सभी संपर्क क्षेत्रों या नाभिक स्थलीय उद्योगों, विकेन्द्री एवं सम्भावित प्रदूषण क्षेत्रों के निकट अनेक प्रकार के नियंत्रण एवं प्रबंधन सम्बन्धी कार्य प्रारम्भ किये गये हैं। यहां ऐसे सभी स्थानों एवं भीड़ वाली सड़कों के किनारे प्रदूषण मापन यन्त्र लगाये जा चुके हैं। प्रदूषण की सभी दशाओं में अधिकतम सहनशीलता की सीमा भी व्यापक रूप से निशिचित की जा चुकी है। सभी प्रदूषण पैदा करने वाले कारखानों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण एवं प्रबंध हेतु वहां की सरकारों व प्रशासन के द्वारा निर्धारित मापदण्डों के अनुसार उपकरण व विशिष्ट तकनीक का उपयोग भी किया जाने लगा है।

भारत में भी 1970 के दशक से ही प्रदूषण के व्यापक प्रभावों के बारे में विशेष अध्ययन किये गये हैं। वर्तमान में सभी महानगरों एवं औद्योगिक केन्द्रों में प्रदूषण मापन के यन्त्र लगाना प्रशासन ने अनिवार्य कर दिया है। देश की कई संस्थायें इस काम में लगी हुई है। इनमें से नागपुर की (राष्ट्रीय पारिस्थितिकी एवं परिवेश शोध संस्थान), प्रमुख विश्वविद्यालयों के पर्यावरण विभाग, भारतीय टेक्नालाजी संस्थान, भाभा आणविक शोध केन्द्र, बम्बई, पर्यावरण नियोजन एवं समन्वयय की राष्ट्रीय समिति, भारत सरकार का केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं श्रम मंत्रालय आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। इन सभी कार्यों का परिवेश एवं नियोजन एवं समन्वय की राष्ट्रीय समिति से समन्वित कर उनके आधार पर विभिन्न प्रकार के नियम व कानून बनाने की एवं विशेष प्रदूषण नियंत्रण व तकनीक व उपकरण काम में लाने या आयात करने की सलाह दी जाती है। ऐसे सभी कार्यों के समन्वित करने के उद्देश्य से केन्द्रीय व राज्यों में पर्यावरण प्रबंधन संगठन की स्थापना की है।

भारत में वायु प्रदूषण नियंत्रण हेतु विशेष कार्यवाही 1980 के दशक से ही विचारणीय बनी एवं इस बारे में महानगरों में कुछ प्रारम्भिक कार्यवाही भी की जाने लगी है। 2-3 दिसम्बर 1984 को रात में हुयी भोपाल गैस दुर्घटना के बाद इस ओर विशेष प्रयास किये जाने लगे हैं। वायु प्रदूषण नियंत्रण हेतु निम्न प्रयास एवं कार्यवाही की आवश्यकता है।

1- सभी महानगरों (10 लाख या अधिक आबादी वाले) के आवासीय क्षेत्रों में पूर्व स्थापित प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को तत्काल पूर्व निर्धारित स्थानों में (औद्योगिक बस्तियों में) स्थानान्तरित किया जाना चाहिये। इससे उपलब्ध भूमि को बेचने मात्र से ही नवीन स्थान पर उद्योग स्थापित करने से भी कहीं ज्यादा आर्थिक लाभ भी होगा।

2- वायुमण्डल में घूल, नमी एवं धुंआ से उत्पन्न होने वाले घूम-कोहरा पर नियंत्रण हेतु अधिक धुंआ उगलने वाली चिमनियों की उंचाई 80-100 मी. कर दी जाये एवं उन पर धुंये से पुनः ठोस उप उत्पादन पैदा करने के संकेन्द्रण संयन्त्र लगाये जायें। दिल्ली, बम्बई एवं अन्य महानगरों में ऐसे प्रयास किये जाने भी लगे हैं।

3- 25 लाख से अधिक जनसंख्या वाले महानगरों में किसी भी स्थिति में 50 किमी. के घेरे में धुंआ उगलने वाले एवं वायुमण्डल में विशेष प्रदूषण पैदा करने वाले सभी प्रकार के उद्योगों की स्थापना पर राष्ट्रीय स्तर पर कड़ाई से प्रतिबन्ध लागू किया जायें। 10 लाख से 25 लाख जनसंख्या वाले बडे नगरों में भी ऐसी ही व्यवस्था का यथासम्भव पालन किया जाये।

4- जहां की मशीनों महीन कण उगलती हैं वहां उनको वायुमण्डल में फैलाने से रोकने हेतु मशीन-कपड़े या विशेष फिल्टर जालियों द्वारा उन्हें रोककर ऐसे पदार्थों को विशेष प्रक्रिया द्वारा पुनः एकत्रित किया जाये जिससे कि प्रदूषण के बचाव हेतु किये गये खर्चे अलाभकृत नहीं रहें। सीमेंट व पत्थर के पाउडर उद्योग आदि में इसे अनिवार्य किया जाना चाहिये।

5- जिस उद्योग में या निकट परिवेश में यदि प्रदूषण प्राकृतिक व मानवीय सम्मिलित कारणों से बढ जाये तो वहां पर श्रमिकों को विशेष नकाब काम में लाने चाहियें।

6- वाहनों से निकलने वाले धुंए को नियंत्रित करना एवं उनसे होने वाले सभी प्रकार के रिसाव को नियंत्रित करना प्रथम आवश्यकता से भी सभी वाहन निश्चित मापदण्ड से कम धुंआ उगलने वाले होने चाहिये अन्यथा उनमें ऊर्जा परिकरण एवं धुंआ नियंत्रण हेतु विशेष सुधार किये जायें, जिन क्षेत्रों में यातायात संग्रन्थियों पर धुंए का प्रतिशत विशेष बढ जायें वहां फौरन वाहनों के प्रभाव को नियंत्रित किया जाये। ऐसे स्थलों को एक दिशा प्रवाह मार्ग घोषित कर, वहां तत्काल सहायक मार्ग विकसित किये जायें।

7- नहर सडक मार्गो व रेल मार्गों के आसपास हरी पट्टी का अनिवार्यतः विकास किया जाये। पेड़ नियमित रूप से लगाकर उनका पूरा-पूरा रख-रखाव किया जाय और रिकार्ड रखा जाये। भवनों में जहां भी स्थान उपलब्ध हो पेड़ आवश्यक रूप से लगाये जायें।

8 - जहरीली गैस की आण्विक संस्थानों में पूर्णतः मुक्त प्रणाली (Full proof Device) निश्चित की जाये जिससे उसकी व्यवस्था प्रणाली की क्रियाशीलता का एक निर्णायक नियंत्रण बना रहे।

9- आण्विक इकाइयों से निकलने वाले सभी रेडियोधर्मी पदार्थों को विशेष प्रक्रिया द्वारा ठोस ईंटों में बदलकर पोलीथीन में उन्हें बन्द कर, विशेष डिब्बों में बन्द कर, दोहरे कवर वाले विशेष डिब्बों में भण्डारित किया जाये। इन्हें सागर तली में डालने से पूर्व सीमेंट की या कंक्रीट की टंकियों में सील कर समुद्र में डाल दिया जाये जिससे कि वह महासागरीय तलों में भी रेडियोधर्मिता जल्दी नहीं बढ़ सके।