सरकारी दस्तावेज़ देखना आपका अधिकार है |
कुछ मामलों में तो आवेदक से लाखों रुपये मांगे गए. मालूम हो कि पिछले दिनों बिहार के एक आवेदक से सूचना उपलब्ध कराने के बदले कई लाख रुपये जमा कराने को कहा गया था. लेकिन, यह सब कुछ स़िर्फ आवेदक को हतोत्साहित करने के लिए किया जाता है. इसके पीछे सरकारी अधिकारियों की यह मंशा होती है कि ऐसा करने से आवेदक सूचना की मांग नहीं करेगा. लेकिन इससे घबराने की ज़रूरत नहीं है. हालांकि इस मामले में थोडी सी सावधानी की भी ज़रूरत है. सावधानी, आवेदन बनाने और सवाल पूछने के तरीक़ों में. मसलन, अगर किसी ख़ास फाइल में से कुछ ख़ास सूचनाएं ही चाहिए तो आवेदक को पूरी सूचना मांगने के बजाय फाइल निरीक्षण के लिए आवेदन करना चाहिए. बिहार के पूर्णिया ज़िले से राममूर्ति तिवारी ने हमें पत्र के माध्यम से सूचित किया है कि उन्होंने बिहार राज्य भंडार निगम से कुछ सूचनाएं मांगी थीं, लेकिन विभाग ने उन्हें काग़ज़ातों का एक पुलिंदा थमा दिया, जिसमें उनके द्वारा मांगी गई सूचना थी ही नहीं. ज़ाहिर है, इस समस्या से आवेदकों को अक्सर दो-चार होना पड़ता है. इस कॉलम के ज़रिए हम राममूर्ति जी और आरटीआई क़ानून का इस्तेमाल करने वाले सभी आवेदकों को सलाह देना चाहेंगे कि जब कभी उन्हें किसी फाइल से कोई सूचना मांगनी हो तो अपने आरटीआई आवेदन में एक सवाल फाइल निरीक्षण को लेकर भी जोडें. या फिर आप चाहें तो उक्त फाइल के निरीक्षण के लिए भी आप आवेदन कर सकते हैं.
आरटीआई एक्ट की धारा 2 (जे) (1) के तहत आप इसकी मांग कर सकते हैं. इस अंक में हम फाइल निरीक्षण से संबंधित एक आरटीआई आवेदन प्रकाशित कर रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आप ऐसे मामलों के लिए कर सकते हैं. चौथी दुनिया आपकी किसी भी समस्या के समाधान अथवा सुझाव देने के लिए हमेशा आपके साथ है. आप हमसे पत्र, ईमेल या फोन के ज़रिए संपर्क कर सकते हैं.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें