शनिवार, 13 दिसंबर 2014

ज्‍योतिष सीखें - भाग 3


ज्‍योतिष सीखें - भाग 3



पिछली बार हमने प्रत्येक ग्रह की उच्च नीच और स्वग्रह राशि के बारे में जाना था। हमनें पढ़ा था कि राहु और केतु की कोई राशि नहीं होती और राहु-केतु की उच्च एवं नीच राशियां भी सभी ज्योतिषी प्रयोग नहीं करते। लेकिन, फलित ज्योतिष में ग्रहों के मित्र, शत्रु ग्रह के बारे में जानना भी अति आवश्यक है। इसलिए इस बार इनकी जानकारी।


 ग्रहों के नाम                मित्र                           शत्रु                                  सम

सूर्य                  चन्द्र, मंगल, गुरू                शनि, शुक्र                                  बुध
चन्द्रमा                  सूर्य, बुध                       कोई नहीं                                शेष ग्रह
मंगल                   सूर्य, चन्द्र, गुरू                  बुध                                         शेष ग्रह
बुध                        सूर्य, शुक्र                        चंद्र                                           शुक्र, शनि
गुरू                    सुर्य, चंन्द्र, मंगल                शुक्र, बुध                               शनि
शुक्र                     शनि, बुध                        शेष ग्रह                                  गुरू, मंगल
शनि                   बुध, शुक्र                         शेष ग्रह                                    गुरु
राहु, केतु               शुक्र, शनि                  सूर्य, चन्द्र, मंगल                        गुरु, बुध

यह तालिका अति महत्वपूर्ण है और इसे भी कण्ठस्थ् करने की कोशिश करनी चाहिए। यदि यह तालिका बहुत बड़ी लगे तो डरने की कोई जरुरत नहीं। तालिका समय एवं अभ्याकस के साथ खुद खुद याद हो जाती है। मोटे तौर पर वैसे हम ग्रहों को दो भागों में विभाजित कर सकते हैं, जो कि एक दूसरे के शत्रु हैं -

भाग 1 - सूर्य, चंद्र, मंगल और गुरु
भाग 2 - बुध, शुक्र, शनि, राहु, केतु

यह याद रखने का आसान तरीका है परन्तु हर बार सही नहीं है। उपर वाली तालिका कण्ठस्थ हो तो ज्यादा बेहतर है।

मित्र-शत्रु का तात्पर्य यह है कि जो ग्रह अपनी मित्र ग्रहों की राशि में हो एवं मित्र ग्रहों के साथ हो, वह ग्रह अपना शुभ फल देगा। इसके विपरीत कोई ग्रह अपने शत्रु ग्रह की राशि में हो या शत्रु ग्रह के साथ हो तो उसके शुभ फल में कमी जाएगी।

चलिए एक उदाहर लेते हैं। उपर की तालिका से यह देखा जा सकता है कि सूर्य और शनि एक दूसरे के शत्रु ग्रह हैं। अगर सूर्य शनि की राशि मकर या कुंभ में स्थित है या सूर्य शनि के साथ स्थित हो तो सूर्य अपना शुभ फल नहीं दे पाएगा। इसके विपरीत यदि सूर्य अपने मित्र ग्रहों च्ंद्र, मंगल, गुरु की राशि में या उनके सा स्थित हो तो सामान्यत वह अपना शुभ फल देगा

इस सप्ताह के लिए बस इतना ही। आगे जानेंगे कुण्डली का स्वरुप, ग्रह-भाव-राशि का कारकत्वक एवं ज्योतिष में उनका प्रयोग आदि।

1 टिप्पणी:

Learn Numerology Online ने कहा…

Do you want to know the role that the incredibly powerful 'Numbers’ play in our lives? Learn Numerology Online from Acharya Rrachita Gupta and know how you can imbibe their mystical powers in your life to attract phenomenal growth & success!