शनिवार, 13 दिसंबर 2014

ज्‍योतिष सीखें - भाग 2


ज्‍योतिष सीखें - भाग 2

पिछली बार (ज्‍योतिष सीखें भाग-1) हमनें राशि, ग्रह, एवं राशि स्‍वामियों के बारे में जाना। वह अत्‍यन्‍त ही महत्‍वपूर्ण सूचना थी और उसे कण्‍ठस्‍थ करने की कोशिश करें। इस बार हम ग्रह एवं राशियों के कुछ वर्गीकरण को जानेंगे जो कि फलित ज्‍योतिष के लिए अत्‍यन्‍त ही महत्‍वपूर्ण हैं। पहला वर्गीकरण शुभ ग्रह और पाप ग्रह का इस प्रकार है -

शुभ ग्रह: चन्द्रमा, बुध, शुक्र, गुरू हैं

पापी ग्रह: सूर्य, मंगल, शनि, राहु, केतु हैं

साधारणत चन्‍द्र एवं बुध को सदैव ही शुभ नहीं गिना जाता। पूर्ण चन्‍द्र अर्थात पूर्णिमा के पास का चन्‍द्र शुभ एवं अमावस्‍या के पास का चन्‍द्र शुभ नहीं गिना जाता। इसी प्रकार बुध अगर शुभ ग्रह के साथ हो तो शुभ होता है और यदि पापी ग्रह के साथ हो तो पापी हो जाता है।

यह ध्‍यान रखने वाली बात है कि सभी पापी ग्रह सदैव ही बुरा फल नहीं देते। न ही सभी शुभ ग्रह सदैव ही शुभ फल देते हैं। अच्‍छा या बुरा फल कई अन्‍य बातों जैसे ग्रह का स्‍वामित्‍व, ग्रह की राशि स्थिति, दृष्टियों इत्‍यादि पर भी निर्भर करता है जिसकी चर्चा हम आगे करेंगे।

जैसा कि उपर कहा गया एक ग्रह का अच्‍छा या बुरा फल कई अन्‍य बातों पर निर्भर करता है और उनमें से एक है ग्रह की राशि में स्थिति। कोई भी ग्रह सामान्‍यत अपनी उच्‍च राशि, मित्र राशि, एवं खुद की राशि में अच्‍छा फल देते हैं। इसके विपरीत ग्रह अपनी नीच राशि और शत्रु राशि में बुरा फल देते हैं।

ग्रहों की उच्चादि राशि स्थिति इस प्रकार है -

ग्रह
उच्च राशि
नीच राशि
स्वग्रह राशि
1
सूर्य,मेष
तुला
सिंह
2
चन्द्रमावृषभ
वृश्चिक
कर्क
3
मंगल,   मकर
 कर्क
मेष, वृश्चिक
4
बुधकन्या
मीन          
मिथुन, कन्या
5
 गुरू,   कर्क  
मकर 
 धनु, मीन
शुक्र,   मीन        
कन्या 
वृषभ, तुला
7
शनि,  तुला                
मेष 
मकर, कुम्भ
8
 राहुधनु          
मिथुन

9
केतु    मिथुन
धनु



उपर की तालिका में कुछ ध्‍यान देने वाले बिन्‍दु इस प्रकार हैं -
1 ग्रह की उच् राशि और नीच राशि एक दूसरे से सप्तम होती हैं। उदाहरणार्थ सूर्य मेष में उच् का होता है जो कि राशि चक्र की पहली राशि है और तुला में नीच होता है जो कि राशि चक्र की सातवीं राशि है।
2 सूर्य और चन्द्र सिर्फ एक राशि के स्वामी हैं। राहु एवं केतु किसी भी राशि के स्वामी नहीं हैं। अन् ग्रह दो-दो राशियों के स्वामी हैं।
3 राहु एवं केतु की अपनी कोई राशि नहीं होती। राहु-केतु की उच् एवं नीच राशियां भी सभी ज्योतिषी प्रयोग नहीं करते हैं।

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