बुधवार, 24 दिसंबर 2014

ज्योतिष सीखें भाग-7

पिछले अंक में  हमनें राशि के स्वाभाव के बारे में जाना। हमने यह भी जाना कि कारकात् एवं स्वभाव में क्या फर्क होता है। इस बार पहले हम ग्रहों के बारे में जानते हैं। नवग्रह के कारकत् एवं स्वभाव इस प्रकार हैं -  
सूर्य
स्वभाव: चौकौर, छोटा कद, गहरा लाल रंग, पुरुष, क्षत्रिय जाति, पाप ग्रह, सत्वगुण प्रधान, अग्नि तत्व, पित्त प्रकृति है।
कारकत्: राजा, ज्ञानी, पिता, स्वर्ण, तांबा, फलदार वृक्ष, छोटे वृक्ष, गेंहू, हड्डी, सिर, नेत्र, दिमाग़ हृदय पर अपना प्रभाव रखता है।
चन्द्र  –
स्वभाव: गोल, स्त्रीवैश्य जाति, सौम्य ग्रह, सत्वगुण, जल तत्व, वात कफ प्रकृति है।
कारकत्: सफेद रंग, माता, कलाप्रिय, सफेद वृक्ष, चांदी, मिठा, चावल, छाती, थूक, जल, फेंफड़े तथा नेत्र-ज्योति पर अपना प्रभाव रखता है।
मंगल  –
स्वभाव: तंदुरस्  शरीर, चौकौर, क्रूर, आक्रामक, पुरुष, क्षत्रिय, पाप, तमोगुणी, अग्नितत्व, पित्त प्रकृति है।
कारकत्: लाल रंग, भाई बहन, युद्ध, हथियार, चोर, घाव, दाल, पित्त, रक्त, मांसपेशियाँ, ऑपरेशन, कान, नाक आदि का प्रतिनिधि है।
बुध
स्वभाव: दुबला  शरीर, नपुंसक, वैश्य जाति, समग्रह, रजोगुणी, पृथ्वी तत्व त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) प्रकृति है।
कारकत्: हरा रंग, चना, मामा, गणित, व्यापार, वायुरोग, वाक्, जीभ, तालु, स्वर, गुप्त रोग, गूंगापन, आलस्य कोढ़ का प्रतिनिधि है।
बृहस्पति  –
स्वभाव: भारी मोटा शरीर, पुरुष, ब्राह्मण, सौम्य, सत्वगुणी, आकाश तत्व कफ प्रकृति है।
कारकत्: पीला रंग, वेद, धर्म, भक्ति, स्वर्ण, ज्ञानी, गरु, चर्बी, कफ, सूजन, घर, विद्या, पुत्र, पौत्र, विवाह तथा गुर्दे का प्रतिनिधित्व करता है।
शुक्र
स्वभाव: सुन्दर  शरीर, स्त्री, ब्राह्मण, सौम्य, रजोगुणी, जल तत्व कफ प्रकृति है।
कारकत्: सफेद रंग, सुन्दर कपडे, सुन्दरता, पत्नी, प्रेम सम्बन्, वीर्य, काम-शक्ति, वैवाहिक सुख, काव्य, गान शक्ति, आँख स्त्री का प्रतिनिधि है।
शनि
स्वभाव: काला रंग, धसी हुई आंखें, पतला लंबा शरीर, क्रूर, नपुंसक, शूद्रवर्ण, पाप, तमोगुणी, वात कफ प्रकृति वायु तत्व प्रधान है।
कारकत्: काला रंग, चाचा, ईर्ष्या, धूर्तता, चोर, जंगली जानवर, नौकर, आयु, तिल, शारीरिक बल, योगाभ्यास, ऐश्वर्य, वैराग्य, नौकरी, हृदय रोग आदि का प्रतिनिधि है।
राहु  केतु
स्वाभाव: पाप  ग्रह, चाण्डाल, तमोगुणी, वात पित्त प्रकृति नपुंसक हैं।
कारकत्: गहरा धुंए जैसा रंग, पितामह मातामह, धोखा, दुर्घटना, झगडा, चोरी, सर्प, विदेश, चर्म रोग, पैर, भूख उन्नति में बाधा के प्रतिनिधि हैं।
राहु का स्वाभाव शनि की तरह और केतु का स्वाभाव मंगल की तरह होता है।   
 
भाव, ग्रह और राशि की अब आपको पर्याप्त जानकारी हो चुकी है और आप शुरूआती भविष्यफल के लिए तैयार हैं। एक उदाहरण से जानते हैं कि इस जानकारी का प्रयोग भविष्यफल जानने के लिए कैसे किया जाय। अपनी उदाहरण कुण्डली एक बार फिर देखते हैं। माना की हमें कुण्डली वाले के रंग रूप के विषय में जानना है। अब हम जानते हैं कि रंग रूप के लिए विचारणीय भाव प्रथम भाव है। प्रथम भाव, जिसे लग्न भी कहते हैं, का स्वामी शनि है क्योंकि प्रथव भाव में ग्यारह नम्बर की राशि अर्थात कुम्भ राशि पड़ी है और कुम्भ राशि का स्वामी शनि होता है। तो कुण्डली वाले का रूप रंग शनि से प्रभावित रहेगा। शनि सूर्य और बुध के साथ सप्तम भाव में सिंह राशि में स्थित है। सिंह राशि का स्वामी भी सूर्य है अत: रंग रूप पर सूर्य का प्रभाव भी रहेगा। शनि का स्वभाव - काला रंग, धसी हुई आंखें, पतला लंबा शरीर, क्रूर, नपुंसक, शूद्रवर्ण, पाप, तमोगुणी, वात कफ प्रकृति व वायु तत्व प्रधान है। और सूर्य का स्वाभाव - चौकौर, छोटा कद, गहरा लाल रंग, पुरुष, क्षत्रिय जाति, पाप ग्रह, सत्वगुण प्रधान, अग्नि तत्व, पित्त प्रकृति है। अत: जातक पर इन दोनों का मिला जुला स्वाभाव होगा।

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