रविवार, 8 मार्च 2015

सोच समझकर करें अलग होने का फैसला




* अलग होने का फैसला सोच समझकर लें।

* इसके नतीजों पर गौर करना ना भूलें।

* अलग होने से पहले साथी से बात जरूर करें।

* बच्चों को इसके बारे में जरूर बताएं।


रिश्ता कोई भी हो, थोडा-बहुत मनमुटाव होना बड़ी बात नही है लेकिन जब यही मनमुटाव

बढ़ जाए तो रिश्तों को खोखला कर देती है। पति-पत्नी का रिश्ता प्यार और तकरार से

मिलकर ही बनता है लेकिन जब रिश्ते से प्यार की जगह तकरार ले तो समझिए आप दोनों के

बीच का प्यार कहीं खो गया है।

किसी सम्बन्ध को समाप्त करने का फैसला करना न केवल बेहद कठिन है बल्कि चिन्ताएं,

व्या‍कुलता, अलग होने का अहसास और पछतावा आदि अनेकों भावनाओं के अहसास इससे जुड़े हैं।

वैवाहिक जीवन का अंत करना न केवल इसलिए कठिन होता है कि कानूनी कार्यवाहियां आपको

मानसिक रुप से काफी परेशान कर देती है। इससे निबटना और भी जटिल होता है।

अलग होने का फैसला लेना बहुत आसान है लेकिन जल्दबाज़ी में यह निर्णय लेना आप दोनों के लिए

ही ठीर नहीं। अलग होने से पहले इस बारे में अच्छी तरह सोच-विचार कर लीजिए। यह ज़रूरी

नहीं कि अलग होने से आपकी ज़िंदगी में छाए परेशानी के काले बादल छट जाएगे। इसके उलट

अकसर यह देखा गया है कि अलग होने से एक समस्या तो हल हो जाती है, लेकिन उसकी जगह

एक नयी समस्या खड़ी हो जाती है। जो पति-पत्नी रोज की लड़ाई-झगड़ों से तंग आकर अलग

होने का फैसला करते हैं वे सोचते हैं कि इससे उनकी सारी समस्याओं का हल हो जाएगा। लेकिन

यह इतना आसान नहीं है। इसलिए यह जानना ज़रूरी है कि अलग होने या तलाक लेने के

क्या-क्या नतीजे हो सकते हैं और उन्हें ध्यान में रखकर फैसला लेना।


कैसे लें अलग होने का फैसला

break up



साथी से चर्चा करें
किसी सम्बन्ध को समाप्त करना पारस्परिक निर्णय होना चाहिए और आपस में मिल बैठकर बात

कर लेनी चाहिए ताकि किसी प्रकार की गहतफहमी न रहे। हो सकता है कि दोनों के बीच

संवाद का तार टूट चुका हो लेकिन फिर भी कुछ महत्व पूर्ण मसलों पर चर्चा करना फिर भी

ज़रूरी है। यह विचार-विमर्श शांतिपूर्वक और निर्णायक रूप में करें।



दोषारोपण से बचें
इस बारे में कोई फैसला देने से बचें कि किसकी गलती ने सम्बन्ध को खराब कर दिया। चाहे

आपको लगता हो कि पूरी तरह से यह सामने वाले की गलती से ही हुआ है लेकिन अपनी इस राय

को जाहिर न करें। सम्बन्ध का समापन किसी दोषारोपण के साथ नहीं होना चाहिए क्योंरकि

इसमें दोनों की ही कुछ न कुछ भूमिका रही हो सकती है।



बच्चों को जानकारी दें

यदि आप शादीशुदा हैं और तलाक चाहते हैं तो, यदि आपके बच्चे हों, उन्हें अपने फैसले की

जानकारी ज़रूर दें कि क्या बदलाव होने वाला है। बच्चे संवेदनशील होते हैं और बड़ों के मामलों

को गहराई से नहीं समझ सकते लेकिन उनको मोटे तौर पर बताना ज़रूरी है कि क्या होने जा

रहा है।

result of breakup

अलग होने के नतीजे

वित्तीय समस्या
अलग होने से पहले वित्तीय मामलों के बारे में जरूर जानकारी लें क्योंकि अक्सर पत्नी को भयंकर

आर्थिक समस्या से जूझना पड़ता है। यह बात एक अध्ययन में भी सामने आयी जो यूरोप में सात

साल तक किया गया। उस अध्ययन में पता चला कि तलाक के बाद जहां पुरुषों की आमदनी में 11

प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, वहीं स्त्रियों की आमदनी 17 प्रतिशत घट गयी।


दोहरी भूमिका
जो तलाकशुदा माता-पिता अलग-अलग रहते हैं, उन्हें बच्चों की परवरिश करने के लिए दोहरी

भूमिका निभानी पड़ती है। बच्चों के लिए उन्हें उनके माता-पिता दोनों बनना पड़ता है। साथ

ही बच्चों की देखभाल कैसे की जाएगी और उन्हें अनुशासन कैसे दिया जाएगा। उनकी हर जरूरत

को समझना और पूरा करना।


अलग होने का आप पर असर

साथी से अलग होने के बाद एक इंसान कई तरह की भावनाओं से गुज़रता है। एक तरफ आप अपने

पूर्व साथी से अभी भी प्यार करते होंगे, क्योंकि बीते वक्‍त में आप दोनों ने एक साथ कई

प्यार भरे पल बिताए होगें। वहीं दूसरी तरफ आपको उस पर गुस्सा भी आता होगा।



अलग होने का बच्चों पर असर

लोग तलाक तो ले लेते हैं, पर अकसर यह नहीं सोचते कि इसका बच्चों पर क्या असर होगा।

बच्चे आपके इस फैसले को समझ नहीं पाते हैं उन्हें बस यह पता होता है कि उनके माता-पिता

अलग हो रहे हैं। बच्चों के लिए माता या पिता में से किसी एक को चुनना बहुत मुश्किल होता है।

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