मंगलवार, 29 जुलाई 2014

भारत का एक ऐसा रहस्यमयी मंदिर जो कभी दिखता है तो कभी अपने आप गायब हो जाता है

चाइनीज काली मंदिर (कोलकाता): 
कोलकाता के टांगरा में एक 60 साल पुराना चाइनीज काली मंदिर है. इस जगह को चाइनाटाउन भी कहते हैं. इस मंदिर में स्थानीय चीनी लोग पूजा करते हैं. यहीं नहीं दुर्गा पूजा के दौरान प्रवासी चीनी लोग भी इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं. यहां आने वालों में ज्यादातर लोग या तो बौद्ध हैं या फिर ईसाई. इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां आने वाले लोगों को 
प्रसाद में नूडल्स, चावल और सब्जियों से बनी करी परोसी जाती है.





स्तंभेश्वर महादेव मंदिर (कावी, गुजरात): 
आप यह कल्पना नहीं कर सकते लेकिन यह बात सच है कि यह मंदिर पल भर के लिए ओझल हो जाता है और फिर थोड़ी देर बाद अपने उसी जगह वापिस भी जाता है. यह मंदिर अरब सागर के बिल्कुल सामने है और वडोदरा से 40 मील की दूरी पर है. खास बात यह है कि आप इस मंदिर की यात्रा तभी कर सकते हैं जब समुद्र में ज्वार कम हो. ज्वार के समय शिवलिंग पूरी तरह से जलमग्न हो जाता है.





ओम बन्ना मंदिर (जोधपुर, राजस्थान ): 
जोधपुर में ओम बन्ना का मंदिर अन्य सभी मंदिरों से बिल्कुल् ही अलग है. ओम बन्ना मंदिर की विशेषता है कि इसमें पूजा की जाने वाले भगवान की मूर्ति नहीं है बल्कि एक मोटरसाइकिल और उसके साथ ही ओम सिंह राठौर की फोटो रखी हुई है, लोग उन्हीं की पूजा करते हैं. इस मोटरसाइकिल के बारे में कहा जाता है कि इसी मोटरसाइकिल से 1991 में ओम सिंह का एक्सिडेंट हो गया था. एक्सिडेंट में ओम सिंह की तत्काल मौत हो गई. लोकल पुलिस मोटरसाइकिल को पुलिस थाने लेकर चली गई लेकिन दूसरे दिन मोटरसाइकिल वापस एक्सिडेंट वाली जगह पर पहुंच गई.




करनी माता का मंदिर (राजस्थान): 
बिकानेर से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित देशनोक शहर में करनी माता का मंदिर है. यहां पहुंचने पर आपको इंसानों से ज्यादा शायद आपको चूहे नजर आएंगे. मान्यता है कि ये चूहे मंदिर में स्थित करनी माता की संतानें और वंशज हैं. कथाओं के अनुसार करनी माता, देवी दुर्गा की अवतार मानी जाती हैं जो बचपन से ही लोक कल्याण करने लगी थीं इसलिए उनका नाम करनी माता पड़ गया. ऐसी मान्यता है कि करनी माता के सौतेले बेटे की मृत्यु हो जाने पर माता ने यमराज को उनके बेटे को जीवित करने का आदेश दिया. माता के आदेशानुसार उनका बेटा जीवित तो हो गया लेकिन वह चूहा बन गया. माता ने जिस जगह अपना देह त्याग किया वहीं आज करनी माता का मंदिर बना है और मंदिर में हजारों चूहे खुलेआम घूमते नजर आते हैं.


हडिंबा देवी मंदिर (हिमाचल प्रदेश): 
मनाली में हडिंबा देवी मंदिर, भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. इस मंदिर का आकर्षण इसकी संरचना है जिसे जापान की एक शैली ‘पगोडा’ से लिया गया है. यह पूरा मंदिर लकड़ी से बनाया गया है. पुरातत्वविदों की मानें तो इस मंदिर का निर्माण 1553 में किया था.






शिव मंदिर (वाराणसी, उत्तर प्रदेश): 
आपको जानकार हैरानी होगी कि इस मंदिर का निर्माण किसी पहाड़ या समतल जगह पर नहीं किया गया है बल्कि यह मंदिर पानी पर बना है. कहने का अर्थ है कि यह शिव मंदिर आंशिक रूप से नदी के जल में डूबा हुआ है. बगल में ही सिंधिया घाट , जिसे शिन्दे घाट भी कहते हैं, इस मंदिर की शोभा बढ़ाता है. इस मंदिर में आध्यात्मिक कार्य नहीं होते और यह फिलहाल बंद है. इस मंदिर के बारे में जानने के लिए आज भी लोग जिज्ञासा रखते हैं.




यह बताने की जरूरत नहीं है कि भारत एक प्राचीनतम सभ्यता वाला सांस्कृतिक देश हैं. यह विश्व के उन गिने-चुने देशों में से एक है जहां हर वर्ग और समुदाय के लोग शांतिपूर्वक रहते हैं. यहां की भगौलिक स्थिति, जलवायु और विविध संस्कृति को देखने के लिए ही विश्व के कोने-कोने से पर्यटक पहुंचते हैं. वैसे अपनी भारत यात्रा के दौरान पर्यटकों को जो चीज सबसे ज्यादा पसंद आती है तो वह हैं भारत की प्राचीनतम मंदिर. मंदिरों की बनावट, विशेषता, महत्व और इतिहास आदि जानने के लिए ही पर्यटक बार-बार भारत की ओर रुख करते हैं. इनमें से कई मंदिर तो ऐसे भी हैं जो कई हजारों साल पुराने हैं और जिनके बारे में जानना पर्यटकों के लिए कौतुहल का विषय है. आइए ऐसे ही मंदिरों पर प्रकाश ड़ालते हैं:



ब्रह्मा मंदिर (पुष्कर, राजस्थान): 
यह भगवान ब्रह्मा का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसे पूरे विश्व में जाना जाता है. कहा जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब के शासन काल में मंदिरों को नष्ट करने के आदेश के बाद जो एकमात्र मंदिर बचा था वह यही है. इस मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में किया गया था. इसके निर्माण को लेकर कई रोचक कथाएं कही जाती हैं. मंदिर के बगल में ही एक मनोहर झील है जिसे पुष्कर झील के नाम से जाना जाता है. पुष्कर झील हिन्दुओं के एक पवित्र स्थान के रूप में जानी जाती है.


सोमवार, 7 जुलाई 2014

आओ फिर एक नई शुरुवात करे


























मंजिल की तरफ लगातार बढ़ने के लिए जरूरी है कि आपकी सोच सकारात्मक हो। सकारात्मक सोच न सिर्फ आपके व्यक्तित्व में चार चांद लगा देता है, बल्कि ये आपको आत्मविश्वास से भी लबरेज रखता है। वहीं नकारात्मक ख्याल न सिर्फ आपको खुद से दूर कर देती है, बल्कि आगे बढ़ने के मार्ग को भी बंद कर देती है। ये पूरी तरह आपके और आपकी सफलता के बीच रोड़ा बन जाती है।


समाज में ऐसे युवाओं की कमी नहीं, जो अपने व्यक्तित्व व करियर को लेकर हीनभावना से ग्रस्त रहते हैं और जिंदगी से इतने निराश हो जाते हैं, मानो कुदरत ने सबसे ज्यादा परेशानियां उनको ही दी हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ऐसे लोग सिर्फ अपनी कमजोरियों को ही याद रखते हैं। तो क्यों न आने वाले साल में जीवन की नई शुरुआत की जाए ताकि असफलता भी सफलता बन आपके कदम चूमे।
जीवन के सफर में मंजिल की तरफ लगातार बढ़ने के लिए जरूरी है कि आपकी सोच सकारात्मक हो। सकारात्मक सोच न सिर्फ आपके व्यक्तित्व में चार चांद लगा देता है, बल्कि ये आपको आत्मविश्वास से भी लबरेज रखता है। वहीं नकारात्मक ख्याल न सिर्फ आपको खुद से दूर कर देती है,बल्कि आपके आगे बढ़ने के मार्ग को भी बंद कर देता है। ये पूरी तरह आपके और आपकी सफलता के बीच रोड़ा बन जाती है। ऐसे में आप चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते।

जीवन हो रंगमय

सकारात्मक सोच का शोर आज चारों ओर है। इस पर काफी-कुछ कहा-सुना जा रहा है और पढ़ने-देखने और सुनने में अच्छा भी लगता है। लेकिन कितने लोग हैं, जो सचमुच इस पर अमल कर पाते हैं। हम खुद रोजमर्रा की जिंदगी में झांकें तो एक दिन में न जाने कितनी बार खुद को दुखी, निराश, तनावग्रस्त करते हैं छोटी-छोटी बातों के लिए। तो क्यों न इस बार सकारात्मक सोच के साथ जीवन में रंग भरने का संकल्प लेकर देंखे। इंसान की सोच अगर संकीर्ण हो, सिर्फ स्वयं पर या अपने लोगों पर ही केंद्रित हो तो सोच धीरे-धीरे नकारात्मक होती चली जाएगी। प्रगतिशील सोच नहीं बन सकेगी। जीवन को बुद्धिमत्ता, जीवंतता और समाजोपयोगी ढंग से नहीं जिया जाए तो क्या इसे सही जीना कह सकते हैं। एक सपाट बदरंग या बेरंग और बेनूर जिंदगी न आप में और न आपके संपर्क में आने वाले किसी व्यक्ति में उत्साह या उल्लास का संचार कर सकेगी। तो साल की शुरुआत करें सकारात्मक सोच के साथ, बी पाजिटिव।

कर भला तो हो भला

आपने अपने बड़ों को ये कहते अवश्य सुना होगा कि दिन भर में एक काम अच्छा जरूर करो। उस एक अच्छे काम की प्रतीक्षा क्यों? शायद आज जरूरत है थोड़ी सी अलग समझ की। कभी अपने अलावा दूसरों के बारे में सोच कर देखें। निराश व्यक्ति के लिए जीवन बेनूर हो जाता है। जीवन उसे निरर्थक और व्यर्थ लगने लगता है। उत्साह, जोश, उमंग जैसे शब्द उसके व्यवहार से गायब ही हो जाते हैं। दुख व परेशानियों के बोझ को ढोने की शक्ति उसमें होती तो है, पर लगातार हताशा में घिरे रहने से उसे लगता है कि वो शक्ति उसमें नहीं रह गई है। ऐसे निराश व्यक्ति की समस्या का हल निकालने का प्रयास करें। उसमें परेशानियों से लड़ने की क्षमता जगाएं। अगर उसे हंसा सकें तो ये कोई छोटी उपलब्धि नहीं है और इससे प्राप्त खुशी कोई छोटी खुशी नहीं है। जरूरत है इसे उपलब्धि मानना और इस तरह की खुशियों को बटोर कर अपने और दूसरों के जीवन को संवारना। अपने लिए तो सभी जीते हैं, क्यों न थोड़ा सा हम दूसरों के लिए भी जी लें। कुछ लमहों के लिए सही, दूसरे के चेहरे पर मुसकान लाने का प्रयास तो करें। ये काम मुश्किल है, पर नामुमकिन नहीं। अपनी इच्छाओं, तकलीफों, दुख-दर्द और परेशानियों को कहीं ताले में बंद कर दें। अपनी सोच में थोड़ा-सा बदलाव लाकर देखिए।

असफलता से कैसा डर

मनोवैज्ञानिक डा. अरुणा ब्रूटा कहती है कि वैसे तो अमूमन लोग नकारात्मक नहीं सोचते, लेकिन लगातार मिल रही असफलता या बार-बार हो रही आलोचनाओं के चलते नकारात्मक भावनाएं उनके ऊपर हावी हो जाती हैं। इससे उनके व्यक्तित्व पर गहरा असर पड़ता है। कई बार तो लोग भावनात्मक रूप से टूट भी जाते हैं और अंदर ही अंदर आत्महीनता की ग्रंथियां निराशावादी सोच को किस तरह बढ़ावा देती चली जाती हैं कि पता भी नहीं चलता। ऐसी स्थिति से निकलने में लोगों को लंबा वक्त लगता है। नकारात्मक विचार धीरे-धीरे लोगों को अपने चंगुल में कसता है। नकारात्मक ख्याल न सिर्फ आपको खुद से दूर कर देते हैं, बल्कि आपके आगे बढ़ने के मार्ग को भी बंद कर देता है। सकारात्मक सोच आपके व्यक्तित्व में चार चांद लगा देता है। नकारात्मक सोच का एक कारण आत्मविश्वास का कमजोर होना भी है। जब हमारे अंदर आत्मविश्वास की कमी होती है, तो हमें किसी की कोई भी बात जल्द बुरी लगती है। ऐसे में न सिर्फ व्यक्तित्व, बल्कि उनके जीवन पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। पर अगर हम जीवन में मिलने वाली असफलताओं से सीख लें और सफल होने का प्रयास करें तो ये दिन भी जल्द ही बीत जाएंगे।

खूबियों को पहचानें

मनोवैज्ञानिक डा. समीर पारिख कहते हैं कि हर किसी को अपने अंदर झांक कर देखने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि हर किसी के अंदर कुछ खूबियां भी हैं। जैसे कुछ लोग समझते हैं कि वे मोटे हैं, इसलिए अपनी बात को अच्छे तरीके से नहीं रख पाते। कोई समझता है कि उनकी हाइट कम है, इसलिए उनकी बातों का उतना प्रभाव नहीं हो पाता, तो कोई ये मान बैठता है कि उनकी अंग्रेजी कमजोर है, इसलिए आफिस में अपना प्रभाव छोड़ने में नाकामयाब रखते हैं। दरअसल, खुद के साथ ये सरासर नाइंसाफी है। अगर जीवन में आगे बढ़ना है, मंजिल पानी है, तो ऐसे नकारात्मक विचारों से खुद को आजाद करें और सकारात्मकता विचारों के साथ जीवन को समृद्ध बनाएं।

बदलें नजरिया

खुद को नकारात्मक प्रभाव से मुक्त करना मुश्किल नहीं है, बस हमें चीजों को देखने का नजरिया बदलना होगा। हर घटना के दो पहलू होते हैं। हमें अपने आपको ये प्रशिक्षण देना है कि कैसे हम सकारात्मक पहलू को पहले देखें। सकारात्मक नजरिया अपनाते ही नकारात्मक पहलू कमजोर दिखाई देता है और हम नामुमकिन से लगने वाले काम भी आसानी से कर लेते हैं। हमारा नजरिया ही यह तय करता है कि हम असफलता को किस तरह लेते हैं। सकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले लोगों के लिए सफलता की ही तरह एक सीढ़ी है असफलता, इसलिए वे हारकर भी जीतने की कला जानते हैं। इस तरह आप नजरिए में थोड़ा बदलाव कर नकारात्मक सोच से छुटकारा पा सकते हैं।

करें नई शुरुआत

स्नेहा बैडमिंटन की बेहतरीन खिलाड़ी है, लेकिन अपनी सांवली सूरत की वजह से वो खुद को बेहद बदसूरत समझती है। ऐसे में अगर कोई उसकी प्रशंसा कर दे, तो उसे लगता है कि वो उसका मजाक उड़ा रहे हैं। डा. ब्रूटा कहती हैं कि स्नेहा की तरह ऐसे कई लोग हैं, जो अपने व्यक्तित्व को लेकर हीनभावना के शिकार होते हैं। कई लोग करियर को लेकर भी हीनभावना से ग्रस्त होते हैं। ये हमारी स्वाभाविक प्रवृत्ति है कि हमें अपने व्यक्तित्व का नकारात्मक पक्ष जल्दी नजर आता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हम सिर्फ उसे ही देखें। जिंदगी में अगर संघर्ष है, तो कामयाबी भी है। फिर छोटी-छोटी बातों को लेकर उससे शिकवा क्यों किया जाए। इस तरह आप नकारात्मक पक्षों को नकार कर अपना आत्मविश्वास मजबूत कर सकते हैं। तो इस साल से कीजिए नई सुरुात जो आपके भीतरी व्यक्तित्व के साथ आपके अंदरूनी खूबसूरती को भी बढ़ाने में कारगर साबित होगा।

कुछ ऐसा हो जीवन

एक गीत है, दुनिया में कितना गम है, मेरा गम कितना कम है। कहने का तात्पर्य यह है कि आप केवल अपने दोषों को ही नहीं देखें। ऐसे कई लोग हैं, जो आपसे भी बुरी स्थिति में जी रहे हैं। अगर आप महान व्यक्तियों की आत्मकथा पढें, तो पाएंगे कि सारी विषम परिस्थितियों के बावजूद जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है। एपीजे अब्दुल कलाम, बराक ओबामा जैसी तमाम शख्सियतें हैं, जिन्होंने सफलता के पहले संघर्ष का लंबा दौर देखा और बाद में भी कई बार आलोचनाओं के शिकार हुए, लेकिन इन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। इसलिए स्वयं की खूबियों का आंकलन करने के लिए आत्मनिरीक्षण करें और ये देखें कि आप कौन सा कार्य सबसे अच्छे ढंग से कर सकते हैं। अपनी उपलिब्धयों को डायरी में लिखें और जब नकारात्मक विचार आप पर हावी होने लगे, तो डायरी पढ़ें। आप पाएंगे कि आपका तनाव कम हो रहा है।

क्या मैं तुम्हे याद हु



आकर्षण का सिद्धांत……

अगर आप जीवन में सफल होना चाहते हैं, 
तो सबसे पहले आपको इस सिद्धांत का पालन करना ही होगा 

मुझे नहीं पता की आपकी Present स्थिति कैसी हैं | मैं तो केवल इतना जानता हुँ कि आपकी सफलता के लिए आपको इस सिद्धांत का पालन करना ही होगा, इस पर अटूट विश्वास करना ही होगा , तभी आप अपनी Choice की हर वस्तु ,हर मुकाम को पा सकते हो ,ये money हो सकता हैं, ये Popularity हो सकती है और चाहे ये आपका कितना भी मुस्किल Target हो सकता है ,आप उसको प्राप्त कर सकते हो |

आपकी present और past condition कैसी भी हो ,यह matter नहीं करता हैं |matter यह करता हैं कि आप कहाँ जाना चाहते हों , आखिर आप चाहते क्या हो ?

अब हमारें मन में आता हैं कि आखिर यह आकर्षण का सिद्धांत कैसे काम करता है ?
जितना मेनें इसको समझा, मैं आपके साथ वही share कर रहा हुँ…..

The Law of attraction is always working…

आकर्षण का यह सिद्धांत आपको सब कुछ देता हैं ,खुशियाँ, सेहत और दौलत |

हम जो कुछ भी चाहे पा सकते हैं, चाहें वो कितना भी बड़ा क्यों ना हों |
हमें यह पता होना चाहिए कि आखिर हम चाहतें क्या हैं |यह बिलकुल स्पष्ट होना चाहिए ,
बिलकुल clear consious picture हमारें पास होनी चाहिए |
हमें स्पष्ट पता होना चाहिए कि ,हमारी असली चाहत क्या हैं?
हम जो भी सोच रहे होते हैं उसे हम attract कर रहे होते हैं

for example.

अगर मैं अपने आपको एक चुम्बक मान लूँ तो मैं जानता हुँ कि दुसरें चुम्बक मेरी और आकर्षित होगें |
एक बार फिर मैं आपको यह बताना चाहता हुँ कि हमें यह स्पष्ट रूप से मालूम होना चाहिए कि हम क्या चाहते हैं |।
आखिर हमें चाहिए क्या?
जैसा हम सोचते हैं हम वैसे ही बन जाते हैं आपके विचार ही आपकी जिंदगी को बनातें हैं और इसका जवाब छुपा हैं तीन आसान शब्दों में

विचार बनायें जिंदगी

हमेशा उसके बारें में सोचों जो आप पाना चाहते हो ,उसके बारें में नहीं जों आप नहीं चाहतें |

हम हर चीज को अपनी और आकर्षित करते हैं ,चाहें वों कुछ भी हो और कितना भी मुस्किल क्यों ना हों |
अपना हर दिन एक खुशनुमा अहसास के साथ शुरू करें फिर देखिए आपका पुरा दिन कितना खुशनुमा गुजरता हैं |
आपकी हर इच्छा पुरी होती हैं |

ब्रह्माण्ड से अपने भगवान से माँगें जो आप पाना चाहते हैं |

Rule.1     प्रश्न करें माँगें जो आप चाहते हैं |
आखिर आप चाहते क्या हैं ?

आप जो भी चाहते हैं उसे कागज पर लिख डालें |

आपकों लिखना हैं कि आपकी जिंदगी कैसी हो ?
आप जो भी चाहते हैं उसे लिख डालें ,
बिलकुल स्पष्ट लिखें हो सके तो उसको लिख कर अपनी pocket में रखें,
आप जो भी चाहते हो उसकी list बना लिजिए |यहां तक कि इसमें यह भी लिख दें कि आपको यह कब तक चाहिए date लिखें यहाँ तक कि time भी लिख दें |
सृष्टि को अपने menu card की तरह use करें
पहले लिख दें जो भी आप चाहते हो, फिर आदेश दें

Rule.2     विश्वास ………|
विश्वास करें कि जो आप चाहते है ,वो आपको मिल चुका है |
विश्वास अटूट होना चाहिए।
एक फिर दौराना चाहता हुँ ,अटूट विश्वास |
वो कहते हैं ना कि अगर आप कुछ भी किसी को भी पूरी सिद्धत से चाहते है, तो पूरा ब्रह्माण्ड आपको उससे मिलाने कि साजिस करता है |

यह ब्रह्माण्ड सब अपने आप कर देगा |

शक करने की कोशिश ना करें |
अपने शक को अपने अटूट विश्वास में बदल दें|

दोस्त कोशिश ना करना शक करने की !

Rule.3  प्राप्त करना ………|
महसूस करे कि वो आपको मिल चुका है,
महसूस करें जैसा आप उस चीज को पाकर करतें ,
जब हम कल्पना को वास्तविकता में बदलतें हैं ,तो और भी बेहतर कल्पनाएँ जन्म लेती हैं |
जो आप चाहतें है, उसका अहसास जगाएँ |
जो आप चाहते हो ,उसे जाकर देखें ,उसे छु कर देखें |
विश्वास करें कि वो आपकी हो चुकी हैं|

जब अन्तर आत्मा कुछ करने को कहती है तो करियें
विश्वास के पहले पायदान पर चढें ,आपकों पुरी सीढी चढनें की जरूरत नहीं हैं |
सिर्फ पहली सीढी चढें !

सोच समझकर करें अलग होने का फैसला


·         अलग होने का फैसला सोच समझकर लें।
·         इसके नतीजों पर गौर करना ना भूलें।
·         अलग होने से पहले साथी से बात जरूर करें।
·         बच्चों को इसके बारे में जरूर बताएं।

रिश्ता कोई भी हो, थोडा-बहुत मनमुटाव होना बड़ी बात नही है लेकिन जब यही मनमुटाव बढ़ जाए तो रिश्तों को खोखला कर देती है। पति-पत्नी का रिश्ता प्यार और तकरार से मिलकर ही बनता है लेकिन जब रिश्ते से प्यार की जगह तकरार ले तो समझिए आप दोनों के बीच का प्यार कहीं खो गया है।

किसी सम्बन्ध को समाप्त करने का फैसला करना केवल बेहद कठिन है बल्कि चिन्ताएं, व्याकुलता, अलग होने का अहसास और पछतावा आदि अनेकों भावनाओं के अहसास इससे जुड़े हैं। वैवाहिक जीवन का अंत करना केवल इसलिए कठिन होता है कि कानूनी कार्यवाहियां आपको मानसिक रुप से काफी परेशान कर देती है। इससे निबटना और भी जटिल होता है।

अलग होने का फैसला लेना बहुत आसान है लेकिन जल्दबाज़ी में यह निर्णय लेना आप दोनों के लिए ही ठीर नहीं। अलग होने से पहले इस बारे में अच्छी तरह सोच-विचार कर लीजिए। यह ज़रूरी नहीं कि अलग होने से आपकी ज़िंदगी में छाए परेशानी के काले बादल छट जाएगे। इसके उलट अकसर यह देखा गया है कि अलग होने से एक समस्या तो हल हो जाती है, लेकिन उसकी जगह एक नयी समस्या खड़ी हो जाती है। जो पति-पत्नी रोज की लड़ाई-झगड़ों से तंग आकर अलग होने का फैसला करते हैं वे सोचते हैं कि इससे उनकी सारी समस्याओं का हल हो जाएगा। लेकिन यह इतना आसान नहीं है। इसलिए यह जानना ज़रूरी है कि अलग होने या तलाक लेने के क्या-क्या नतीजे हो सकते हैं और उन्हें ध्यान में रखकर फैसला लेना।

कैसे लें अलग होने का फैसला


साथी से चर्चा करें
किसी सम्बन्ध को समाप्त करना पारस्परिक निर्णय होना चाहिए और आपस में मिल बैठकर बात कर लेनी चाहिए ताकि किसी प्रकार की गहतफहमी रहे। हो सकता है कि दोनों के बीच संवाद का तार टूट चुका हो लेकिन फिर भी कुछ महत्व पूर्ण मसलों पर चर्चा करना फिर भी ज़रूरी है। यह विचार-विमर्श शांतिपूर्वक और निर्णायक रूप में करें।
दोषारोपण से बचें

इस बारे में कोई फैसला देने से बचें कि किसकी गलती ने सम्बन्ध को खराब कर दिया। चाहे आपको लगता हो कि पूरी तरह से यह सामने वाले की गलती से ही हुआ है लेकिन अपनी इस राय को जाहिर करें। सम्बन्ध का समापन किसी दोषारोपण के साथ नहीं होना चाहिए क्योंरकि इसमें दोनों की ही कुछ कुछ भूमिका रही हो सकती है।
बच्चों को जानकारी दें
यदि आप शादीशुदा हैं और तलाक चाहते हैं तो, यदि आपके बच्चे हों, उन्हें अपने फैसले की जानकारी ज़रूर दें कि क्या बदलाव होने वाला है। बच्चे संवेदनशील होते हैं और बड़ों के मामलों को गहराई से नहीं समझ सकते लेकिन उनको मोटे तौर पर बताना ज़रूरी है कि क्या होने जा रहा है।
अलग होने के नतीजे  

वित्तीय समस्या
अलग होने से पहले वित्तीय मामलों के बारे में जरूर जानकारी लें क्योंकि अक्सर पत्नी को भयंकर आर्थिक समस्या से जूझना पड़ता है। यह बात एक अध्ययन में भी सामने आयी जो यूरोप में सात साल तक किया गया। उस अध्ययन में पता चला कि तलाक के बाद जहां पुरुषों की आमदनी में 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, वहीं स्त्रियों की आमदनी 17 प्रतिशत घट गयी।
दोहरी भूमिका
जो तलाकशुदा माता-पिता अलग-अलग रहते हैं, उन्हें  बच्चों की परवरिश करने के लिए दोहरी भूमिका निभानी पड़ती है। बच्चों के लिए उन्हें उनके माता-पिता दोनों बनना पड़ता है। साथ ही बच्चों की देखभाल कैसे की जाएगी और उन्हें अनुशासन कैसे दिया जाएगा। उनकी हर जरूरत को समझना और पूरा करना।
अलग होने का आप पर असर
साथी से अलग होने के बाद एक इंसान कई तरह की भावनाओं से गुज़रता है। एक तरफ आप अपने पूर्व साथी से अभी भी प्यार करते होंगे, क्योंकि बीते वक् में आप दोनों ने एक साथ कई प्यार भरे पल बिताए होगें। वहीं दूसरी तरफ आपको उस पर गुस्सा भी आता होगा।
अलग होने का बच्चों पर असर
लोग तलाक तो ले लेते हैं, पर अकसर यह नहीं सोचते कि इसका बच्चों पर क्या असर होगा। बच्चे आपके इस फैसले को समझ नहीं पाते हैं उन्हें बस यह पता होता है कि उनके माता-पिता अलग हो रहे हैं। बच्चों के लिए माता या पिता में से किसी एक को चुनना बहुत मुश्किल होता है।