सोमवार, 27 मार्च 2017

भारतीय नव वर्ष

"अप्रैल फूल" किसी को कहने से पहले
इसकी वास्तविक सत्यता जरुर जान लें कि
पावन महीने की शुरुआत को मूर्खता दिवस कह रहे
हो !!
पता भी है क्यों कहते है अप्रैल फूल (अप्रैल फूल
का अर्थ है -  मूर्खता दिवस).??
ये नाम अंग्रेजों की देन है…
कैसे समझें "अप्रैल फूल" का मतलब बड़े
दिनों से बिना सोचे समझे चल रहा है अप्रैल फूल,
अप्रैल फूल ???
इसका मतलब क्या है.?? दरअसल जब अंग्रेजो
द्वारा हमे 1 जनवरी का नववर्ष थोपा गया तो उस
समय लोग विक्रमी संवत के अनुसार 1 अप्रैल से
अपना नया साल बनाते थे, जो आज भी सच्चे भारतीयों
द्वारा मनाया जाता है,आज भी हमारे बही
खाते और बैंक 31 मार्च को बंद होते है और 1 अप्रैल से शुरू
होते है, पर उस समय जब भारत गुलाम था तो
विक्रमी संवत का नाश करने के लिए साजिश करते
हुए 1 अप्रैल को मूर्खता दिवस "अप्रैल फूल" का नाम
दे दिया ताकि हमारी सभ्यता मूर्खता लगे अब आप
ही सोचो अप्रैल फूल कहने वाले कितने
सही हो
आप.?
याद रखो अप्रैल माह से जुड़े हुए ऐतिहासिक दिन और
त्यौहार
1. हिन्दुओं का पावन महिना इस दिन से शुरू होता है
(शुक्ल प्रतिपदा)
2. भारत के रीति -रिवाज़ सब इस दिन के कलेण्डर
के अनुसार बनाये जाते है।
6. आज का दिन दुनिया को दिशा देने वाला है।
अंग्रेज , सनातन धर्म के विरुद्ध थे इसलिए यहां के
त्योहारों को मूर्खता का दिन कहते थे और हम
भारतीय भी बहुत शान से कह रहे हो.!!
गुलाम मानसिकता का सुबूत ना दो अप्रैल फूल लिख
के.!!
अप्रैल फूल सिर्फ भारतीय सनातन कैलेण्डर, जिसको
पूरा विश्व फॉलो करता था उसको भुलाने और
मजाक उड़ाने के लिए बनाया गया था। 1582 में पोप
ग्रेगोरी ने नया कलेण्डर अपनाने का फरमान
जारी कर दिया जिसमें 1 जनवरी को नया साल का प्रथम दिन बनाया गया।
जिन लोगो ने इसको मानने से इंकार किया, उनको 1
अप्रैल को मजाक उड़ाना शुरू कर दिया और धीरे-
धीरे 1अप्रैल नया साल का नया दिन होने के बजाय मूर्ख दिवस बन गया।आज भारत के सभी लोग अपनी ही संस्कृति का मजाक उड़ाते हुए अप्रैल फूल डे मना रहे है।
जागो भारतीय जागो।।
अपने धर्म को पहचानो।aà
इस जानकारी को इतना फैलाओ कि कोई भी इस आने वाली 1 अप्रैल से मूर्खता का परिचय न दे और और अंग्रेजों द्वारा प्रसिद्ध किया गया ये सनातन धर्म का मजाक बंद हो जाये ।
जय हिन्द।

शुक्रवार, 24 मार्च 2017

Refurbished डिवाइस लेने से पहले जाने ये बात


Refurbished डिवाइस लेने से पहले जाने ये बात

Refurbished devices meaning hindi

Refurbished devices का मतलब होता है ऐसी वाली devices से होता है जो किसी भी वजह से brand को वापिस दे दी गयी और brand के द्वारा उन्हें फिर से मार्किट में उतारा जाता है और brand इस बात का भरोसा जताता है कि उन्होंने उसे ठीक से चेक किया है और वह अब ठीक काम कर रही है या फिर उन्होंने उसमे वांछित सुधार कर दिए है और डिवाइस अब ठीक से फंक्शनल है | brand को डिवाइस वापस दिए जाने के कई कारण हो सकते है जिसमे से कुछ निम्न है और साथ ही कुछ ऐसे रीज़न भी जो किसी डिवाइस को refurbished devices की श्रेणी में लाते है  –
  • यूजर ने किसी छोटी सी खामी की वजह से लौटा दिया गया | बाद में कम्पनी ने यह सुनिश्चित किया हो कि डिवाइस ठीक से काम कर रही है |
  • ऐसी डिवाइस जिन्हें फील्ड में डेमो देने के लिए इस्तेमाल किया गया हो और बाद में उन्हें पोलिश करके बेचने के लिए उपलब्ध करवा दिया जाता है refurbished devices की श्रेणी में आते है |
  • ऐसी डिवाइस जो यूजर ने या खरीदने वाले इस कारण से लौटा दिया हो कि उसकी पैकिंग खराब हो |
  • ऐसी devices जिन्हें यूजर ने खरीदा हो और इस्तेमाल किया हो लेकिन बाद में कम्पनी को लौटा देने के बाद कम्पनी ने उन laptops या mobile को फिर से इस्तेमाल के लायक बना दिया हो और यह सुनिश्चित किया हो कि यह उपकरण अब उपयोग के लायक है उनमे कोई खामी नहीं है |
  • ऐसे वाले उपकरण जो किसी electronic recycling प्रोग्राम का हिस्सा हो और उन्हें फिर से उपयोग करने के लायक बनाया गया हो |
हालाँकि यह कुछ कुछ used product के जैसा होता है लेकिन refurbished devices में और used devices में यह फर्क होता है कि used devices में आप इस बात के लिए सुनिश्चित नहीं होते कि वह डिवाइस ठीक से काम करेगी या नहीं या फिर उसमे कोई खामी होगी या नहीं लेकिन refurbished डिवाइस में चूँकि उस devices के बारे में उसका brand ही यह सुनिश्चित करता है कि उसमे कोई खामी नहीं है और यह उस brand के एक्सपर्ट इस बात की गारंटी आपको देती है इसलिए आप बिना किसी फ़िक्र के उसे ले सकते है | लेकिन यही एक वजह है कि इसलिए यह सामान्य से सस्ते होते है |
Tips for buying refurbished device –  कोई ऐसी डिवाइस जो आपको जरुरत पूरा करती है और यह refurbished है तो आप बिना किसी चिंता के यह ले सकते है क्योंकि brand आपको भरोसा देता है कि इसमें कोई खामी नहीं है लेकिन फिर भी कुछ चीजे है जिस बारे में आपको सोचनी चाहिए | जो है –
  1. अगर कोई डिवाइस आपकी जरुरत को पूरी करती है तो आप इसे ले सकते है |
  2. अगर आपको भविष्य में फिर से अपग्रेड करना नहीं हो तो आप इसे ले सकते है |
  3. लेकिनं अगर आप किसी चीज के लिए सीरियस है और आप चाहते है कि आप उस डिवाइस को कुछ सालों तक बदलना नहीं चाहते है तो आपको नई चीज पर ही पैसे खर्च करने चाहिए क्योंकि refurbished device तुलनात्मक तौर पर सस्ती तो होती है लेकिन फिर भी अगर आप नई डिवाइस लेते है तो आपके पास सपोर्ट के लिए अच्छे विकल्प होती है और वारंटी भी होती है और तय समय तक कोई समस्या होती है तो आपके पास ज्यादा और सटीक विकल्प होता है |
  4. साथ ही एक बार अगर आप पैसे खर्च करते है तो बाद में आपको सालों तक उसे अपग्रेड करने की जरुरत नहीं होती इसलिए अगर सालों बाद आप देखते है तो पाएंगे कि नई डिवाइस लेना ही तुलनात्मक तौर पर सस्ता पड़ता है |

गुरुवार, 23 मार्च 2017

*विश्व जल दिवस (World Water Day)*

*विश्व जल दिवस (World Water Day)*

रियो डि जेनेरियो में 1992 में आयोजित पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCED) विश्व जल दिवस की पहल में की गई। 22 मार्च याने विश्व जल दिवस। पानी बचाने के संकल्प का दिन। पानी के महत्व को जानने का दिन और पानी के संरक्षण के विषय में समय रहते सचेत होने का दिन। आँकड़े बताते हैं कि विश्व के 1.5 अरब लोगों को पीने का शुद्ध पानी नही मिल रहा है। प्रकृति जीवनदायी संपदा जल हमें एक चक्र के रूप में प्रदान करती है, हम भी इस चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। चक्र को गतिमान रखना हमारी ज़िम्मेदारी है, चक्र के थमने का अर्थ है, हमारे जीवन का थम जाना। प्रकृति के ख़ज़ाने से हम जितना पानी लेते हैं, उसे वापस भी हमें ही लौटाना है। हम स्वयं पानी का निर्माण नहीं कर सकते अतः प्राकृतिक संसाधनों को दूषित न होने दें और पानी को व्यर्थ न गँवाएँ यह प्रण लेना आज के दिन बहुत आवश्यक है।

पानी के बारे में एक नहीं, कई चौंकाने वाले तथ्य हैं। विश्व में और विशेष रुप से भारत में पानी किस प्रकार नष्ट होता है इस विषय में जो तथ्य सामने आए हैं उस पर जागरूकता से ध्यान देकर हम पानी के अपव्यय को रोक सकते हैं। अनेक तथ्य ऐसे हैं जो हमें आने वाले ख़तरे से तो सावधान करते ही हैं, दूसरों से प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और पानी के महत्व व इसके अनजाने स्रोतों की जानकारी भी देते हैं।

• मुंबई में रोज़ वाहन धोने में ही 50 लाख लीटर पानी खर्च हो जाता है।

• दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में पाइप लाइनों के वॉल्व की खराबी के कारण रोज़ 17 से 44 प्रतिशत पानी बेकार बह जाता है।

• इज़राइल में औसतन मात्र 10 सेंटी मीटर वर्षा होती है, इस वर्षा से वह इतना अनाज पैदा कर लेता है कि वह उसका निर्यात कर सकता है। दूसरी ओर भारत में औसतन 50 सेंटी मीटर से भी अधिक वर्षा होने के बावजूद अनाज की कमी बनी रहती है।

• पिछले 50 वर्षों में पानी के लिए 37 भीषण हत्याकांड हुए हैं।

• भारतीय नारी पीने के पानी के लिए रोज ही औसतन चार मील पैदल चलती है।

• पानीजन्य रोगों से विश्व में हर वर्ष 22 लाख लोगों की मौत हो जाती है।

• हमारी पृथ्वी पर एक अरब 40 घन किलो लीटर पानी है। इसमें से 97.5 प्रतिशत पानी समुद्र में है, जो खारा है, शेष 1.5 प्रतिशत पानी बर्फ़ के रूप में ध्रुव प्रदेशों में है। इसमें से बचा एक प्रतिशत पानी नदी, सरोवर, कुओं, झरनों और झीलों में है जो पीने के लायक है। इस एक प्रतिशत पानी का 60 वाँ हिस्सा खेती और उद्योग कारखानों में खपत होता है। बाकी का 40 वाँ हिस्सा हम पीने, भोजन बनाने, नहाने, कपड़े धोने एवं साफ़-सफ़ाई में खर्च करते हैं।

• यदि ब्रश करते समय नल खुला रह गया है, तो पाँच मिनट में करीब 25 से 30 लीटर पानी बरबाद होता है।

• बाथ टब में नहाते समय 300 से 500 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामान्य रूप से नहाने में 100 से 150 पानी लीटर खर्च होता है।

• विश्व में प्रति 10 व्यक्तियों में से 2 व्यक्तियों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल पाता है।

• प्रति वर्ष 3 अरब लीटर बोतल पैक पानी मनुष्य द्वारा पीने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।

• नदियाँ पानी का सबसे बड़ा स्रोत हैं। जहाँ एक ओर नदियों में बढ़ते प्रदूषण रोकने के लिए विशेषज्ञ उपाय खोज रहे हैं वहीं कल कारखानों से बहते हुए रसायन उन्हें भारी मात्रा में दूषित कर रहे हैं। ऐसी अवस्था में जब तक कानून में सख्ती नहीं बरती जाती, अधिक से अधिक लोगों को दूषित पानी पीने का समय आ सकता है।

• पृथ्वी पर पैदा होने वाली सभी वनस्पतियाँ से हमें पानी मिलता है।

• आलू में और अनन्नास में 80 प्रतिशत और टमाटर में 15 प्रतिशत पानी है।

• पीने के लिए मानव को प्रतिदिन ३ लीटर और पशुओं को 50 लीटर पानी चाहिए।

• 1 लीटर गाय का दूध प्राप्त करने के लिए 800 लीटर पानी खर्च करना पड़ता है, एक किलो गेहूँ उगाने के लिए 1 हजार लीटर और एक किलो चावल उगाने के लिए 4 हजार लीटर पानी की आवश्यकता होती है। इस प्रकार भारत में 83 प्रतिशत पानी खेती और सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है।

समय आ गया है जब हम वर्षा का पानी अधिक से अधिक बचाने की कोशिश करें। बारिश की एक-एक बूँद कीमती है। इन्हें सहेजना बहुत ही आवश्यक है। यदि अभी पानी नहीं सहेजा गया, तो संभव है पानी केवल हमारी आँखों में ही बच पाएगा। पहले कहा गया था कि हमारा देश वह देश है जिसकी गोदी में हज़ारों नदियाँ खेलती थी, आज वे नदियाँ हज़ारों में से केवल सैकड़ों में ही बची हैं। कहाँ गई वे नदियाँ, कोई नहीं बता सकता। नदियों की बात छोड़ दो, हमारे गाँव-मोहल्लों से तालाब आज गायब हो गए हैं, इनके रख-रखाव और संरक्षण के विषय में बहुत कम कार्य किया गया है।

पानी का महत्व भारत के लिए कितना है यह हम इसी बात से जान सकते हैं कि हमारी भाषा में पानी के कितने अधिक मुहावरे हैं। आज पानी की स्थिति देखकर हमारे चेहरों का पानी तो उतर ही गया है, मरने के लिए भी अब चुल्लू भर पानी भी नहीं बचा, अब तो शर्म से चेहरा भी पानी-पानी नहीं होता, हमने बहुतों को पानी पिलाया, पर अब पानी हमें रुलाएगा, यह तय है। सोचो तो वह रोना कैसा होगा, जब हमारी आँखों में ही पानी नहीं रहेगा? वह दिन दूर नहीं, जब सारा पानी हमारी आँखों के सामने से बह जाएगा और हम कुछ नहीं कर पाएँगे।

लेकिन कहा है ना कि आस का दामन कभी नहीं छूटना चाहिए तो ईश्वर से यही कामना है कि वह दिन कभी न आए जब इंसान को पानी की कमी हो।

लेकिन कहा है ना कि आस का दामन कभी नहीं छूटना चाहिए तो ईश्वर से यही कामना है कि वह दिन कभी न आए जब इंसान को पानी की कमी हो। विज्ञान और पर्यावरण के ज्ञान से मानव ने जो प्रगति की है उसे प्रकृति संरक्षण में लगाना भी ज़रूरी है।

रविवार, 19 मार्च 2017

*योगी आदित्यनाथ* Whatsapp ki Duniya

*योगी आदित्यनाथ*
*एक विस्तृत एवं रोचक रिपोर्ट*

योगी आदित्यनाथ उर्फ़ ठाकुर अजय सिंह एक क्षत्रिय संत,जो रखते हैं एक हाथ में माला योगी आदित्यनाथऔर दूसरे में भाला,
योगी आदित्यनाथ उर्फ़ ठाकुर अजय सिंह जो एक हाथ में माला और दूसरे में भाला रखते हैं------
आदि काल से क्षत्रिय समाज में ऐसे महापुरुष हुए हैं जिन्होंने शस्त्र के साथ साथ शास्त्रों में भी निपुणता हासिल कर विश्व को धर्म का ज्ञान दिया है,जिनमे महर्षि विश्वामित्र,भगवान बुध,महावीर स्वामी,ऋषभदेव,पार्श्वनाथ आदि प्रमुख हैं.भगवान श्रीकृष्ण ने भी क्षत्रिय वर्ण में जन्म लेकर ही विश्व को गीता का ज्ञान दिया है ......
इसी कड़ी को आगे बढाया है पूर्वांचल के शेर कहे जाने वाले गोरखनाथ पीठ के उत्तराधिकारी औरबीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ जी ने..............
( राजपूताना सोच और क्षत्रिय इतिहास)
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-----योगी आदित्यनाथ जी का प्रारंभिक जीवन------
इनका जन्म उतराखण्ड के गढवाल में 05 जून 1972 को एक राजपूत परिवार में हुआ था.इनका वास्तविक नाम अजय सिंह है।उन्होंने गढ़वाल विश्विद्यालय से गणित से बी.एस.सी किया है। B Sc करने के पश्चात् वे गोरखपुर आकर गुरु गोरखनाथ जी पर शोध कर ही रहे थे की गोरक्षनाथ पीठ के महंथ अवैद्यनाथ की दृष्टि इनके ऊपर पड़ी.महंत जी के प्रभाव में आकर अजय सिंह का झुकाव अध्यात्म की और हो गया,जिसके बाद उन्होंने सन्यास गृहण कर लिया.महंत जी की दिव्यदृष्टि अजय सिंह के भीतर छुपी प्रतिभा को पहचान गयी. और उन्होंने अजय सिंह को नया नाम दिया योगी अदियानाथ........
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----------गोरक्षपीठ का इतिहास--------
गोरखपुर गोरक्षनाथ की धरती कही जाती है ये भूमि नेमिनाथ, महंथ दिग्विजय नाथ जैसे तमाम तपस्वी और राष्ट्र भक्तो की तपस्थली रही है,जब देश में सूफियो द्वारा धर्मान्तरण का कुचक्र चलाया जा रहा था उस समय गुरु गोरखनाथ ने पुरे भारत में अलख जगाकर धर्मान्तरण को रोका, इतना ही नहीं महंथ दिग्विजयनाथ जी ने देश की आज़ादी के संघर्ष में केवल सेनापती के सामान काम ही नहीं किया बल्कि हिन्दू समाज को बचाने में महत्व पूर्ण भूमिका निभाई वे हिन्दू महासभा के अध्यक्ष भी चुने गए, इतना ही नहीं कांग्रेसियों ने तो यहाँ तक प्रचार किया की गाधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने महंथ दिग्विज्यनाथ जी की सलाह पर ही नहीं,बल्कि उनकी रिवाल्बर से की.
महंत दिग्विज्यनाथ भी सन्यासी बनने से पहले चितौडगढ़ के राजपूत परिवार में जन्मे थे.......
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---योगी आदित्यनाथ की समाजसेवा और हिंदुत्व---
जब सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा था उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर के पावन परिसर में 15 फरवरी सन् 1994 की शुभ तिथि पर महंत अवेद्यनाथ जी महाराज ने अपने उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया।
अपने पूज्य गुरुदेव के आदेश एवं गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव लड़ा और मात्र 26 वर्ष की आयु में भारतीय संसद के सबसे युवा सांसद बने।जनता के बीच दैनिक उपस्थिति, संसदीय क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले लगभग 1500 ग्रामसभाओं में प्रतिवर्ष भ्रमण तथा हिन्दुत्व और विकास के कार्यक्रमों के कारण गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने आपको लगातार पांच बार रिकॉर्ड मतों से लोकसभा में भेजा...........
जिस प्रकार स्वामी दयानंद के अन्दर देश भक्ति की ज्वाला थी और देश बचाने, हिन्दुओ को बचाने के लिए आर्य समाज की स्थापना की उसी प्रकार योगी जी ने गोरक्ष मंदिर और अपने राजनैतिक कैरियर का उपयोग हिन्दुसमाज को बचाने,धर्मांतरण को रोकने और देश भक्ति की ज्वाला को जलाये रखने में किया.कहा जाता है कि इनके भीतर महंत दिग्विज्यनाथ जी की आत्मा का वास है.......................
इन्होने पूर्वांचल में इसाई मिशनरियों को कभी भी पैर जमाने का मौका नही दिया,
यही नहीं नेपाल के रास्ते देश में पनप रहे जेहादी आतंकवाद का भी डट कर मुकाबला किया,,,,,कई बार उन पर जानलेवा हमला हुआ,पर इससे हिंदुत्व और जनकल्याण की उनकी भावना पर तनिक भी फर्क नही पड़ा.* योगी जी ने 2005 में 5000 से ज्यादा हिन्दू से ईसाई बनाये गए लोगों को वापस हिन्दू बनाया |
> वो हमेशा एक बात कहते हैं "जब तक
भारत को हिन्दू राष्ट्र नही बना देता तब तक
नही रुकुंगा" |
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हिन्दू हितों के रक्षक हैं,पर कट्टर ठाकुरवादी भी हैं--------
कई बार उन पर कुछ विरोधी ठाकुरवाद का भी आरोप लगाते हैं,क्योंकि हिंदुत्व के साथ साथ उन्होंने राजपूत समाज के साथ होने वाले अन्याय का भी पार्टी लाइन से उपर उठकर जम कर विरोध किया.
योगी आदित्यनाथ अकेले ठाकुर नेता थे जो दलगत राजनीती से उपर उठकर प्रतापगढ़ में हुए जिया उल हक हत्याकांड में झूठे फ़साये गये रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के समर्थन में भी खुल कर आगे आए।

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लोकसभा में शेर की दहाड़-----------
अभी कुछ माह पूर्व योगी जी ने लोकसभा सत्र के दौरान देश में समान नागरिक संहिता और सख्त गौहत्या निषेध कानून बनाए जाने की पुरजोर हिमायत की,उनकी मुहिम का ही परिणाम था कि केंद्र सरकार इस दिशा में पहल करने के लिए तैयार हो गयी है.
लोकसभा मे साम्प्रदायिक हिंसा पर हो रही बहस में गोरखपुर से भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ जी ने जिस तरह से अपना पक्ष रखा है,उसने सेकुलरिज्म के नाम पर देशद्रोह की राजनीति करने वालों की धज्जियां उडा कर रख दी।
वाह वाकय् शेर ईसी तरह दहाडते है।
------उनके भाषण के कुछ अंश-------
1-मस्जिद मंदिर पास है केवल मंदिर के
लाउडस्पिकर हटाये गये मस्जिद के
लाउडस्पिकर वही रह गये क्या यही सेकुलरिज्म है?
2-मुसलमानों के खिलाफ जुल्म चाहे म्यांमार में हो या ईराक फिलिस्तीन में लेकिन उसके खिलाफ प्रदर्शन मुंबई और दिल्ली में क्यूँ होते है?
3-मेरठ में बालिका को बंधक बनाकर रेप हुआ लेकिन ये कांग्रेस और बाकि दल चुप रहे
4-ये कांग्रेस वाले आज़ाद मैदान वाले दंगो पर चुप रहते है।
5-असम में अली और कुली का नारा देकर बांग्लादेशियों को किसने बसाया?
6-देश में 12 लाख साधू संत हैं,लेकिन सिर्फ मौलवियो को सरकारी वेतन क्यों?
7-कांग्रेस असम के दंगो पर चुप क्यों हो गयी थी?
8-कब्रिस्तान की दीवार पर 300 करोड़ क्यों?श्मशान घाट की घेराबंदी क्यो नही?
9-मुस्लिम बालिकाओं की शिक्षा के लिए स्पेशल फंड!!क्या हिन्दू बालिकाएं स्कूल नही जाती?
10-सहारनपुर में कोर्ट के आदेश के बावजूद विवादित जमीन पर गुरुद्वारा क्यों नही बनवाया?
11-सहारनपुर दंगे में शामिल कांग्रेस नेताओं पर क्या कार्यवाही की गयी?
12-क्या सेकुलरिज्म के नाम पर पाकिस्तान का अजेंडा लागु किया जा रहा है?
बेहद सटीक सवाल जिनका कोई जवाब कांग्रेस या दुसरे दलों पर नही था।

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इंडिया टीवी पर आपकी अदालत में पूर्वांचल के शेर योगी आदित्यनाथ--------
आप सब ने इंडिया टीवी पर आपकी अदालत में पूर्वांचल के शेर योगी आदित्यनाथ का इंटरव्यू जरुर देखा होगा।
क्या क्या कहा योगी जी ने देखिये----------
* जो जिस भाषा से समझेगा उसको उस भाषा में समझाएगे।
* जिसका मन पाकिस्तान में है.तन भारत में है उसके लिए भारत में कोई जगह नहीं है।
* मुस्लिम की आबादी 10% से ज्यादा है वहीं होते क्यों होते हैं दंगे?
* मुहर्रम के समय एक हिन्दू लड़की को पुलिस के जीप से खीचकर दुर्व्यहार किया था तब हम प्रशासन के भरोसे नहीं बैठेगे।
* इस देश का कांग्रेसी प्रधानमंत्री कहता है कि इस देश के संसाधनों पर पहला हक़ मुस्लिमो का है.तो हिन्दू क्या झक मारे।
* पाकिस्तान में सुन्नी मुस्लमान शियाओ का कत्लेआम और उनकी महिलाओ के साथ रैप,अपहरण कर रहे है...इस पर देवबंद ने क्यों फ़तवा नहीं जारी किया?
* देवबंद के मौलवी इस बात पर क्यों फ़तवा जारी नहीं करते कि हिन्दू लड़के के साथ मुस्लिम लड़की की शादी जायज है।
* जबरदस्ती धर्मान्तरण के लिए उन मौलवियों ,काजी को भी दण्डित करना चाहिए' जो मुस्लिम लडको को फर्जी हिन्दू बनाकर हिन्दू लडकियों के साथ शादी कराके उसका उत्पीडन करते है, उनके साथ भी वैसा व्यवहार करना चाहिए...
* आतंकियों का जब कोई मजहब नहीं है तो उसको ''मिट्टी का तेल ''छिड़कर जला दीजिये।
* ईसाई और मुस्लिम यदि ''हिन्दू''बनता है तो यह ''घर वापसी'''है यह धर्मान्तरण नहीं है।
* UP में 500 दंगे हुए लेकिन मेरे गोरखपुर में एक भी दंगा नहीं हुवा है ,,यही हिंदुत्व है !!"" वन्देमातरम।
* अगर बहुसंख्यक समाज सुरक्षित है तो अल्पसंख्यक समाज अपने आप सुरक्षित हो जाएगा।
* गांधी जी का तरीका की कोई एक गाल पर थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल आगे कर दो,,ये सिधांत मानवो पर चल सकता है दानवो पर नहीं।
* संतों के एक हाथ में अगर माला हैं तो दुसरे हाथ में भाला है जो दानवी शक्तियों को सबक सिखाने और आत्म रक्षा के लिए है।
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माना जा रहा था कि योगी आदित्यनाथ को बीजेपी यूपी में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाएगी। इससे सत्ताधारी दल समेत सभी दलों की नींद उड़ गयी है।
लेकिन बीजेपी में उनके विरोधी इनपर जातिवाद और कट्टरता का आरोप लगाकर उनके रास्ते में अवरोध कर रहे हैं खुद मोदी और अमित शाह भी उनके झांसे में आ गए तो यूपी में बीजेपी की करारी हार होनी निश्चित है।
उनके विकास कार्यों से प्रभावित होकर गोरखपुर और आसपास के मुस्लिम लोग भी योगी जी का सम्मान करते हैं.
तभी तो वहां एक कहावत मशहूर है कि
"गोरखपुर में रहना है तो योगी योगी कहना है".
योगी आदित्यनाथ जी के इन्ही राष्ट्रवादी कार्यों को कुछ लोग सांप्रदायिक कहते है लेकिन यदि देश भक्ति और धर्म रक्षा सांप्रदायिक है तो सांप्रदायिक होना कोई गलत बात नहीं है.
आज ऐसे योगियों की देश को आवश्यकता है और भारत माता रत्नगर्भा है उसे पूरा ही करेगी.

*हिन्द,जय ------------ ससि-*
*जय भारत ,जय गुरु गोरखनाथ*

शनिवार, 18 मार्च 2017

स्वदेशी अपनाये

यह जानकारी सभी तक पहुँचाकर अपने राष्ट्रवादी होने का परिचय दे।
जय हिन्द जय भारत
वन्दे मातरम 

नरेन्द्र मोदी का देश को सन्देश....
यदि भारत के 121 करोड़ लोगों में से सिर्फ 10% लोग प्रतिदिन 10 रुपये का रस पियें तो महीने भर में होता है लगभग " 3600 करोड़ "...!!!!
अगर आप...
कोका कोला या पेप्सी पीते हैं
तो ये " 3600 करोड़ " रुपये
देश के बाहर चले जायेँगे...।
कोका कोला, पेप्सी जैसी कंपनियाँ प्रतिदिन
" 7000 करोड़ " से ज्यादा लूट लेती हैं..।
आपसे अनुरोध है क आप...
गन्ने का जूस/ नारियल पानी/ आम/ फलों के रस आदि को अपनायें और
देश का " 7000 करोड़ " रूपये बचाकर हमारे किसानों को दें...।
" किसान आत्महत्या नहीं करेंगे.."
फलों के रस के धंधे से
" 1 करोड़ " लोगो को रोजगार मिलेगा और 10 रूपये के रस का गिलास 5 रूपये में ही मिलेगा...।
स्वदेशी अपनाओ,
राष्ट्र को शक्तिशाली बनाओ..।
और ये मेसेज तीन लोगों तक जरुर पहुँचाये..
मैसेज रुकना नहीं चाहिए..
Cocacola
Maggi
Fanta
Garnier
Ravlon
Lorial
Huggies
Pampars
MamyPoko
Libro
Levis
Nokia
Macdownalds
Calvin clin
Kit kat
Sprite
Nestle
Pepsi
KFC
ये इसी लिए इन कंपनी के मार्केट भाव भी गिर गए है।

भगवत गीता

भागवत गीता की सही होती बातें​ 

गीता  में लिखी ये 10 भयंकर बातें कलयुग में हो रही हैं सच,...​ 
 
1.ततश्चानुदिनं धर्मः सत्यं शौचं क्षमा दया ।
कालेन बलिना राजन् नङ्‌क्ष्यत्यायुर्बलं स्मृतिः ॥
 
इस श्लोक का अर्थ है कि ​कलयुग में धर्म, स्वच्छता, सत्यवादिता, स्मृति, शारीरक शक्ति, दया भाव और जीवन की अवधि दिन-ब-दिन घटती जाएगी.
 


2.वित्तमेव कलौ नॄणां जन्माचारगुणोदयः ।
धर्मन्याय व्यवस्थायां कारणं बलमेव हि ॥
 
इस गीता के श्लोक का अर्थ है की ​कलयुग में वही व्यक्ति गुणी माना जायेगा जिसके पास ज्यादा धन है. न्याय और कानून सिर्फ एक शक्ति के आधार पे होगा !​   
 
3.  दाम्पत्येऽभिरुचि  र्हेतुः मायैव  व्यावहारिके ।
स्त्रीत्वे  पुंस्त्वे च हि रतिः विप्रत्वे सूत्रमेव हि ॥
 
इस श्लोक का अर्थ है कि ​कलयुग में स्त्री-पुरुष बिना विवाह के केवल रूचि के अनुसार ही रहेंगे.
व्यापार की सफलता के लिए मनुष्य छल करेगा और ब्राह्मण सिर्फ नाम के होंगे.
 


4. लिङ्‌गं एवाश्रमख्यातौ अन्योन्यापत्ति कारणम् ।
अवृत्त्या न्यायदौर्बल्यं पाण्डित्ये चापलं वचः ॥ 
 
इस श्लोक का अर्थ है कि
घूस देने वाले व्यक्ति ही न्याय पा सकेंगे और जो धन नहीं खर्च पायेगा उसे न्याय के लिए दर-दर की ठोकरे खानी होंगी. स्वार्थी और चालाक लोगों को कलयुग में विद्वान माना जायेगा.
 


5. क्षुत्तृड्भ्यां व्याधिभिश्चैव संतप्स्यन्ते च चिन्तया ।
त्रिंशद्विंशति वर्षाणि परमायुः कलौ नृणाम.
  
कलयुग में लोग कई तरह की चिंताओं में घिरे रहेंगे. लोगों को कई तरह की चिंताए सताएंगी और बाद में मनुष्य की उम्र घटकर सिर्फ 20-30 साल की रह जाएगी.


 
6. दूरे वार्ययनं तीर्थं लावण्यं केशधारणम् ।
उदरंभरता स्वार्थः सत्यत्वे धार्ष्ट्यमेव हि॥
 
लोग दूर के नदी-तालाबों और पहाड़ों को तीर्थ स्थान की तरह जायेंगे लेकिन अपनी ही माता पिता का अनादर करेंगे. सर पे बड़े बाल रखना खूबसूरती मानी जाएगी और लोग पेट भरने के लिए हर तरह के बुरे काम करेंगे.
 


7. अनावृष्ट्या  विनङ्‌क्ष्यन्ति दुर्भिक्षकरपीडिताः । शीतवातातपप्रावृड् हिमैरन्योन्यतः  प्रजाः ॥ 
 
इस श्लोक का अर्थ है कि
कलयुग में बारिश नहीं पड़ेगी और हर जगह सूखा होगा.मौसम बहुत विचित्र अंदाज़ ले लेगा. कभी तो भीषण सर्दी होगी तो कभी असहनीय गर्मी. कभी आंधी तो कभी बाढ़ आएगी और इन्ही परिस्तिथियों से लोग परेशान रहेंगे.​ 


 
8. अनाढ्यतैव असाधुत्वे साधुत्वे दंभ एव तु ।
स्वीकार एव चोद्वाहे स्नानमेव प्रसाधनम् ॥ 
 
कलयुग में जिस व्यक्ति के पास धन नहीं होगा उसे लोग अपवित्र, बेकार और अधर्मी मानेंगे. विवाह के नाम पे सिर्फ समझौता होगा और लोग स्नान को ही शरीर का शुद्धिकरण समझेंगे.
 


9. दाक्ष्यं कुटुंबभरणं यशोऽर्थे धर्मसेवनम् ।
एवं प्रजाभिर्दुष्टाभिः आकीर्णे क्षितिमण्डले ॥ 
 
लोग सिर्फ दूसरो के सामने अच्छा दिखने के लिए धर्म-कर्म के काम करेंगे. कलयुग में दिखावा बहुत होगा और पृथ्वी पे भृष्ट लोग भारी मात्रा में होंगे. लोग सत्ता या शक्ति हासिल करने के लिए किसी को मारने से भी पीछे नहीं हटेंगे.
 


10. आच्छिन्नदारद्रविणा यास्यन्ति गिरिकाननम् ।
शाकमूलामिषक्षौद्र फलपुष्पाष्टिभोजनाः ॥ 
 
पृथ्वी के लोग अत्यधिक कर और सूखे के वजह से घर छोड़ पहाड़ों पे रहने के लिए मजबूर हो जायेंगे. कलयुग में ऐसा वक़्त आएगा जब लोग पत्ते, मांस, फूल और जंगली शहद जैसी चीज़ें खाने को मजबूर होंगे.
    
गीता में श्री कृष्णा द्वारा लिखी ये बातें इस कलयुग में सच होती दिखाई दे रही है. आपसे अनुरोध है कि इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर कीजिये ताकि हर भारतीय को पता चले कि हिन्दू धर्म कितना पुराना है.
हमें गर्व है कि श्री कृष्ण जैसे अवतारों ने पृथ्वी पे आकर कलयुग की भविष्यवाणी इतनी पहले ही कर दी थी, लेकिन फिर भी आज का मनुष्य अभी तक कोई सबक नहीं ले पाया.
            ​ जय श्री कृष्ण

माँ बाप अनमोल है

अपने माता पिता का सम्मान करने के 35 तरीके
1. उनकी उपस्थिति में अपने फोन को दूर रखो.
2. वे क्या कह रहे हैं इस पर ध्यान दो.
3. उनकी राय स्वीकारें.
4. उनकी बातचीत में सम्मिलित हों.
5. उन्हें सम्मान के साथ देखें.
6. हमेशा उनकी प्रशंसा करें.
7. उनको अच्छा समाचार जरूर बताएँ.
8. उनके साथ बुरा समाचार साझा करने से बचें.
9. उनके दोस्तों और प्रियजनों से अच्छी तरह से बोलें.
10. उनके द्वारा किये गए अच्छे काम सदैव याद रखें.
11. वे यदि एक ही कहानी दोहरायें तो भी ऐसे सुनें जैसे पहली बार सुन रहे हो.
12. अतीत की दर्दनाक यादों को मत दोहरायें.
13. उनकी उपस्थिति में कानाफ़ूसी न करें.
14. उनके साथ तमीज़ से बैठें.
15. उनके विचारों को न तो घटिया बताये न ही उनकी आलोचना करें.
16. उनकी बात काटने से बचें.
17. उनकी उम्र का सम्मान करें.
18. उनके आसपास उनके पोते/पोतियों को अनुशासित करने अथवा मारने से बचें.
19. उनकी सलाह और निर्देश स्वीकारें.
20. उनका नेतृत्व स्वीकार करें.
21. उनके साथ ऊँची आवाज़ में बात न करें.
22. उनके आगे अथवा सामने से न चलें.
23. उनसे पहले खाने से बचें.
24. उन्हें घूरें नहीं.
25. उन्हें तब भी गौरवान्वित प्रतीत करायें जब कि वे अपने को इसके लायक न समझें.
26. उनके सामने अपने पैर करके या उनकी ओर अपनी पीठ कर के बैठने से बचें.
27. न तो उनकी बुराई करें और न ही किसी अन्य द्वारा की गई उनकी बुराई का वर्णन करें.
28. उन्हें अपनी प्रार्थनाओं में शामिल करें.
29. उनकी उपस्थिति में ऊबने या अपनी थकान का प्रदर्शन न करें.
30. उनकी गलतियों अथवा अनभिज्ञता पर हँसने से बचें.
31. कहने से पहले उनके काम करें.
32. नियमित रूप से उनके पास जायें.
33. उनके साथ वार्तालाप में अपने शब्दों को ध्यान से चुनें.
34. उन्हें उसी सम्बोधन से सम्मानित करें जो वे पसन्द करते हैं.
35. अपने किसी भी विषय की अपेक्षा उन्हें प्राथमिकता दें...!!!

माता – पिता इस दुनिया में सबसे बड़ा खज़ाना हैं..!!​ यह मेसेज हर घर तक पहुंचने मे मदद करे तो बड़ी कृपा होगी मानव जाति का उद्धार संभव हैं, यदि ऊपर लिखी बातों को जीवन में उतार लिया तो। ​सबसे पहले भगवान, गुरु माता पिता ही हैं,​ हर धर्म में इस बात का उल्लेख हे...!!!

सभी के माता पिता को सत् सत् नमन...!!!🙏🙏

प्रेरक प्रसंग

एक संघ प्रचारक श्रीनगर के मशहूर खीर-भवानी मंदिर में दर्शन करने गये. दर्शन के पश्चात् जब वहां से लौट रहे थे तो उन्हें हजरत बल दरगाह की जियारत का विचार मन में आया. (कश्मीर के हजरत बल दरगाह के बारे में यह मान्यता है कि उसके अंदर रसूल साहब के दाढ़ी के बाल रखे हुए हैं) साथ चल रहे कार्यकर्ताओं से जब यह इच्छा व्यक्त कि तो उन्होंने कहा, भाई साहब, अभी कुछ ही दिन हुए हैं जब दरगाह हजरतबल में सैनिक कारवाई हुई है और भारतीय सेना और हिन्दुओं को लेकर उनके मन में काफी रोष है, इसलिए हमारे ख्याल में वहां जाना सुरक्षित नहीं है पर प्रचारक जी नहीं माने और वहां जा पहुंचे, सुरक्षाकर्मियों ने जब वहां तिलक लगाये आदमियों को देखा तो उन्हें वहां से वापस जाने को कहा पर प्रचारक जी ने दरगाह के खादिमों को इतल्ला देने को कहा.

अंततः दरगाह के खादिम बाहर आये, पूछा, आपको क्या चाहिए ?

माथे पर तिलक सजाये संघ प्रचारक जी ने कहा , मैं सनातनी हिन्दू हूँ, मैं न अपना नाम बदलूँगा न अपना पंथ बदलूँगा और न ही मुझे आपकी अरबी, फारसी भाषा आती है पर मैं यहाँ इबादत करना चाहता हूँ, वो भी अपने तरीके से और अपनी भाषा में, तो मेरा प्रश्न है कि क्या मैं यहाँ इबादत कर सकता हूँ?

दरगाह के खादिमों ने उनसे कहा, देखिये पिछले डेढ़-दो सौ सालों में हमारे सामने यह प्रश्न कभी खड़ा नहीं हुआ, इसलिए हम उत्तर दे पाने में सक्षम नहीं हैं और ये भी अभी नहीं कह सकते कि कुरान और हदीस में इसका उत्तर मिलेगा या नहीं .

प्रचारक जी ने कहा, ठीक है कि यह प्रश्न पहले कभी आपके सामने नहीं आया था पर जब आज ये प्रश्न खड़ा हुआ है तो इसका उत्तर तो ढूंढना पड़ेगा.

इस पर दरगाह कमिटी के वहां उपस्थित 28 लोग बैठे, आपस में मशवरा करते रहे पर किसी नतीजे पर नहीं पहुँच पा रहे थे , आखिर संघ प्रचारक उनके पास गए और कहा,

मैं आपके सामने उपस्थित समस्या के समाधान में कुछ मदद करता हूँ .उन्होंने कहा, कुरान में अल्लाह को रब्बुलआलमीन (सारे आलम का रब) कहा गया है यानि वो जो पूरे आलम का रब है, तो अगर वो पूरे आलम का रब है तो मैं उसके आलम में आता हूँ कि नहीं और अगर आता हूँ तो फिर मुझे उसकी जगह पर इबादत करने का हक है कि नहीं? अगर नहीं है तो फिर आपको किताब बदलते हुए लिखना पड़ेगा कि वो रब्बुलआलमीन नहीं है रब्बुलमुसलमीन (सिर्फ मुसलमानों का रब) है, पर अगर किताब बदली तो शैतान और काफिर कहलाओगे और जो आपके अपने मानने वाले हैं वो ही आपको मार देंगे.

मेरा दूसरा प्रश्न ये है कि अल्लाह केवल अरबी, फारसी ही समझता है या बाकी जुबानें भी समझता है? इसलिए मेरी भाषा में की गई मेरी इबादत को अगर वो नहीं समझता तो फिर हम तो उससे बड़े हो जायेंगे क्यूंकि हम वो भाषा जानतें हैं जो भाषा वो नहीं जानता. ईश्वर तो उसकी जुबान भी सुनता और समझता है जो गूंगे हैं, जो बोल नहीं सकते, वो तो पशु-पक्षियों की भी जुबान समझता है तो मेरी अपनी जुबान में की गई इबादत को सुनेगा कि नहीं?

ये सुनकर दरगाह कमिटी के लोग फिर इस विषय पर चर्चा में मशगूल हो गये और थोड़ी देर बाद उनमें से एक ने आकर कहा, देखिये आपकी रूहानी बातों को सुनने के बाद हमें लगता है खुदा हमारी सुने न सुने आपकी जरूर सुनेगा इसलिए आपको बेशक अपने तरीके से और अपनी भाषा में यहाँ इबादत की अनुमति है.

संघ प्रचारक अंदर गये, अपनी भाषा में अपने इष्टों को नमन किया, मन्त्र जाप किया और बाहर आ गये तो उनके सामने पूरी कमिटी खड़ी हो गई और कहा कि हमारे दरगाह शरीफ के अंदर हुज़ूर-पाक के मुबारक दाढ़ियों के बाल रखे हुए हैं, जो जियारत के लिए साल में केवल एक बार खुलता है, लाखों की भीड़ दर्शनार्थ उमड़ती है. आप जो भी हैं पर आप अलग हैं इसलिए हमने तय किया है कि हम आपको इन पवित्र निशानियों के दर्शन करवाएंगे.

प्रचारक जी ने उनसे कहा, मैं तो दर्शन / जियारत कर के चला जाऊंगा पर अगर ये बात लीक हो गई कि आपने सैकड़ों वर्षों की परंपरा को तोड़कर एक काफिर को पवित्र दाढ़ियों के बाल के दर्शन करायें हैं तो आपके लिए समस्या खड़ी हो जायेंगी, हो सकता है कोई मजहबी वहशी आपको मार भी दे और आपकी बीबी-बच्चों को अनाथ और बेसहारा बना दे, इसलिए यह रहने दीजिये. पर दरगाह के खादिम नहीं माने तो प्रचारक जी ने उनसे कहा आप दरवाजे को पूरा न खोले, एक हल्का सा झरोखा बना दें मैं दर्शन कर लूँगा और आपकी बात भी रह जायेगी.

इसके बाद जब इन्द्रेश कुमार बाहर निकले तो इस इंसान के सम्मान में दरगाह कमिटी के लोग पंक्तिबद्ध खड़े थे और यह कहते हुए उनका आभार व्यक्त कर रहे थे कि इस आदमी ने उन्हें आज खुदाई रोशनी दिखाई है.जी हाँ ये संघ प्रचारक और कोई नहीं इन्द्रेश कुमार जी ही थे, जिनके मार्गदर्शन में राष्ट्रवादी मुसलमानों का संगठन राष्ट्रीय मुस्लिम मंच गतिशील है !

इन्द्रेश कुमार का सारा जीवन ऐसे ही अकल्पनीय गाथाओं से गुथा हुआ है. कश्मीर का आतंकवाद, हजरत बल पर हुई सैनिक कारवाई , माथे पर तिलक और पृष्ठभूमि संघ प्रचारक की, मुस्लिम दरगाह पर अपनी रीति और अपनी भाषा में अपने माबूद के इबादत की जिद इन सबको मिलाइए और बताइए कि पूरी दुनिया में पिछले 1437 सालों के इतिहास में किसने मुस्लिमों के बीच जाकर उनसे ऐसे प्रश्न किये हैं ? और उनके बीच से सुरक्षित और ससम्मान लौटा है?
(प्रश्न करने की हिम्मत तो शायद सरमद और मंसूर ने की होगी पर करने के बाद वो जिंदा नहीं बचे)

कहाँ से मिली है उनको यह हिम्मत, हौसला, त्याग, समर्पण, समस्याओं से निकलने का तरीका और व्यापक दृष्टि ? निःसंदेह उत्तर एक ही है – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गढ़ा है उन्हें और न जाने कितने स्वयंसेवकों को, जो अहर्निश इन पंक्तियों को अपने जीवन में चरितार्थ कर रहे हैं –

तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित,

चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं !

यह संतोषजनक तथ्य है कि इन्द्रेश जी के प्रयत्नों से बड़े पैमाने पर अब भारतीय मुस्लिम समाज के बंधू भी इस भावना में रंगने लगे हैं !