सोमवार, 6 मई 2024

मैं अपने स्कूल की वेबसाइट क्यों बनवाऊ मुझे क्या फायदा होगा ??? 




दोस्तों स्कूल के लिए वेबसाइट का महत्व आजकल बढ़ रहा है। आज हम यहाँ जानेगे की "अपने स्कूल की वेबसाइट क्यों बनवाये और इससे क्या फायदा होगा ???"
इस तकनीकी युग में, जहां हर क्षण अद्यतन और डिजिटल हो रहा है, वेबसाइटें एक नए द्वार के रूप में सामाजिक, विश्वासनीय और ज्ञानवर्धक साधन बन चुकी हैं। विशेष रूप से स्कूलों के मामले में, वेबसाइटें उन्हें एक नया प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करती हैं जिसके माध्यम से वे अपने छात्रों, अभिभावकों, और समुदाय के साथ संवाद कर सकते हैं। यहां हम विस्तार से वेबसाइट के महत्व और इसके फायदे पर चर्चा करेंगे।






1. प्रवेश प्रक्रिया ऑनलाइन की जा सकती है


चीजों को आसान बनाने के लिए, यदि वे अभी भी इसे मैन्युअल रूप से कर रहे हैं, तो आपको ऑनलाइन प्रवेश पर स्विच करना चाहिए। यह न केवल आपके स्टाफ के लिए बल्कि आपके छात्रों और अभिभावकों के लिए भी सुविधाजनक है।


 

 


















2. छात्रों और शिक्षकों के बीच संचार आसान हो जाता है

स्कूल की वेबसाइटें विभिन्न तरीकों से शिक्षकों और छात्रों के बीच एक प्रभावी संचार चैनल के रूप में काम कर सकती हैं:
  • शिक्षक घोषणाएँ पोस्ट करने, कक्षा शेड्यूल साझा करने और चल रहे असाइनमेंट पर अपडेट प्रदान करने के लिए स्कूल की वेबसाइट का उपयोग कर सकते हैं।
  • वेबसाइट का उपयोग शैक्षिक सामग्री जैसे व्याख्यान नोट्स, प्रस्तुतियाँ और अन्य संसाधन अपलोड करने के लिए किया जा सकता है जो छात्रों को उनकी पढ़ाई में मदद कर सकते हैं।
  • शिक्षक वेबसाइट पर चर्चा मंच, ऑनलाइन चैट रूम और ईमेल सेवाएं स्थापित कर सकते हैं, जो छात्रों को प्रश्न पूछने, विचार साझा करने और अपने शिक्षकों के साथ अधिक सुविधाजनक तरीके से बातचीत करने की अनुमति दे सकते हैं।

स्कूल की वेबसाइट का महत्व यह है कि वेबसाइट का प्रभावी ढंग से उपयोग करके, शिक्षक अपने छात्रों के साथ अधिक सुव्यवस्थित और प्रभावी संचार चैनल स्थापित कर सकते हैं।


3. वेबसाइटें डिजिटल शिक्षा उपकरण प्रदान कर सकती हैं

स्कूल की वेबसाइट होने का मुख्य लाभ यह है कि आप इसमें डिजिटल शैक्षिक उपकरण शामिल कर सकते हैं। चूँकि COVID-19 ने शैक्षिक जगत को दूरस्थ शिक्षा के लिए विभिन्न प्लेटफार्मों का उपयोग करने के लिए मजबूर किया है, माता-पिता इस सुविधा को अत्यधिक महत्व देते हैं, इसलिए आज, इस प्रकार की तकनीक शिक्षण और सीखने के लिए अभिन्न अंग है।

Google क्लासरूम का उपयोग करना और अपने शिक्षकों और छात्रों के लिए संस्थागत खाते बनाना आपको ऑनलाइन कक्षा सत्रों पर अधिक नियंत्रण दे सकता है।
 
4. समाज का हिस्सा बनना

यदि आप केवल सोशल मीडिया पर निर्भर रहेंगे तो आपके स्कूल की ऑनलाइन पहुंच सीमित होगी। आप एक वेबसाइट की मदद से अपने स्कूल को अलग पहचान दे सकते हैं।
 
5. अपने स्कूल की ब्रांडिंग बढ़ाएँ

आपके स्कूल की ब्रांडिंग को विभिन्न मार्केटिंग रणनीतियों के माध्यम से बढ़ाया जा सकता है, और सबसे अच्छे में से एक वेबसाइट बनाना है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक वेबसाइट होने से आपके स्कूल के लक्षित बाजार में ब्रांड जागरूकता बढ़ेगी।

आप स्कूल की वेबसाइट की मदद से अपने स्कूल की पहचान की छवि को लोगो, रंग और नारे सहित पूरे ऑनलाइन समुदाय में फैलाने में सक्षम होंगे।
 
6. इससे आपके विद्यालय की विश्वसनीयता बढ़ती है

आधुनिक धारणा के अनुसार, आधिकारिक वेबसाइट वाली कंपनी को आजकल विश्वसनीय माना जाता है। हालाँकि, सिर्फ इसलिए कि आपके स्कूल की कोई वेबसाइट नहीं है इसका मतलब यह नहीं है कि यह विश्वसनीय नहीं है। इसलिए, किसी स्कूल की वेबसाइट उसकी विश्वसनीयता बढ़ा सकती है।
 
7. प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त करें

स्कूल की वेबसाइट होने का एक और मुख्य लाभ यह है कि एक अच्छी तरह से डिज़ाइन की गई और जानकारीपूर्ण स्कूल वेबसाइट अन्य स्कूलों पर प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त करने के लिए एक मूल्यवान संपत्ति हो सकती है। अद्वितीय कार्यक्रमों को उजागर करके, छात्र उपलब्धियों को प्रदर्शित करके और घटनाओं और गतिविधियों पर नवीनतम जानकारी प्रदान करके, एक स्कूल वेबसाइट एक मजबूत ब्रांड बनाने और संभावित छात्रों और उनके अभिभावकों को आकर्षित करने में मदद कर सकती है।



स्कूल की वेबसाइट पर कौन से तत्व होने चाहिए?

























आपके स्कूल की वेबसाइट में 13 तत्व शामिल होने चाहिए

  1. · समाचार और घटनाओं की जानकारी
  2. · सभी गतिविधियों की अनुसूची
  3. · माता-पिता और छात्र समीक्षाएँ
  4. · परीक्षा कार्यक्रम और परिणाम
  5. · शैक्षिक कार्यक्रम
  6. · स्थान और संपर्क विवरण
  7. · पूछताद फ़ॉर्म
  8. · प्रवेश फार्म
  9. · ई-पुस्तकें अनुभाग
  10. · ऑनलाइन पाठ्यक्रम की पेशकश
  11. · विद्यालय के बारे में
  12. · चैट समर्थन
  13. · गोपनीयता नीति


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अनिल शर्मा 
ग्राफ़िक्स एंड वेब डिज़ाइनर 
M. 9461229108


शुक्रवार, 17 दिसंबर 2021

5 Franchise Business जिन्हें कम लागत में शुरू कर की जा सकती है अच्छी कमाई

 














युवा आंत्रप्रेन्योर स्टार्टअप बिजनेस को लेकर काफी उत्साहित हैं क्योंकि स्टार्टअप बिजनेस देश की आर्थिक व्यवस्था को मजबूत भी करते हैं और साथ ही रोजगार के अवसर भी उत्पन्न करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं. लेकिन आंत्रप्रेन्योर साथ ही कुछ ऐसे बिजनेस प्लान की तलाश भी करते हैं, जिन्हें कम लागत में शुरू किया जा सके. कम लागत के साथ ही जब अच्छे बिजनेस प्लान की बात होती है तो इनमें सबसे पहले फ्रेंचाइज़ी बिजनेस का नाम भी जरूर आता है.

भारत में ऐसे बहुत से फ्रेंचाइज़ी बिजनेस हैं, जिनकी शुरुआत केवल पांच से सात लाख तक के निवेश के साथ की जा सकती है. चलिए आज के इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे ही फ्रेंचाइज़ी बिजनेस के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी शुरुआत आप कर सकते हैं और कमाई का अच्छा अवसर उत्पन्न कर सकते हैं.

1. लिटिल फ्लोरिस्ट फ्रेंचाइजी बिजनेस (Little Florist)

अगर आप फूलों से जुड़े किसी व्यापार को शुरू करना चाहते हैं तो आपको लिटिल फ्लोरिस्ट फ्रेंचाइज़ी का चुनाव जरूर करना चाहिए. लिटिल फ्लोरिस्ट भी ऐसे व्यापार में से एक है, जो लगातार तरक्की करने वाला व्यापार है और भारत में बड़ी ही तेज़ी से अपना विस्तार कर रहा है. लिटिस्ट फ्लोरिस्ट ऑनलाइन सर्विस भी उपलब्ध कराता है. यही कारण है कि यह बिजनेस काफी तेज़ी के साथ आगे बढ़ रहा है. लिटिल फ्लोरिस्ट की शुरुआत 1998 में हुई थी लेकिन इन्होंने फ्रेंचाइज़ी देने की शुरुआत 2013 में की. आप घर से ही इस व्यापार को शुरू कर सकते हैं. लिटिल फ्लोरिस्ट फ्रेंचाइज़ी को लेने के लिए आपको पांच से सात लाख तक की शुरुआती इनवेस्टमेंट करनी होगी. इसके साथ ही एक लाख तीस हजार रुपये इसकी रोयल्टी फीस निर्धारित की गई है.

2.फूड बिजनेस फ्रेंचाइज़ी (Food Business Franchise)

ऐसे कम ही बिजनेस होते हैं, जो सीजनल बिजनेस की लिस्ट में शुमार होते हैं. फूड बिजनेस ऐसा ही बिजनेस है, जिसका कोई सीजन नहीं होता है और इसे अगर अच्छी रिसर्च के बाद शुरू किया जाए तो इसमें व्यापारी को हमेशा ही मुनाफा होता है. फ्रेंचाइज़ी बिजनेस शुरू करने के लिए भी आपको किसी अच्छे फूड ब्रांड की फ्रेंचाइज़ी का चुनाव करना चाहिए. उदाहरण के तौर पर डोमिनोज़ पिज्ज़ा और बर्गर किंग की फ्रेंचाइज़ी लेकर इस बिजनेस की शुरुआत की जा सकती है. आपको बस संबंधित ब्रांड की साइट पर जाकर रिसर्च करनी होगी और फ्रेंचाइज़ी को लेकर सभी नियमों और शर्तों के बारे में आपको जानकारी प्राप्त करनी होगी.

3. बेक-एंड-शेक फ्रेंचाइज़ी बिजनेस (Bake-N-Shake)

बेकरी प्रोडक्ट्स लोगों की हमेशा ही पहली पसंद होते हैं. अगर आपको बेकरी प्रोडक्ट्स से जुड़ी अच्छी जानकारी है तो आप भी इस व्यापार का फ्रेंचाइज़ी के माध्यम से हिस्सा बन सकते हैं. बेक-एंड-शेक बेकरी प्रोडक्ट्स बनाने वाली एक ऐसी कंपनी है, जो अपने बिजनेस का विस्तार फ्रेंचाइज़ी के जरिए भी कर रही है. आप बेक-एंड-शेक की फ्रेंचाइज़ी को लेकर अपने घर से ही इस व्यापार का हिस्सा बन सकते हैं. भोपाल स्थित इस बेक-एंड-शेक की फ्रेंचाइज़ी लेने के लिए आपको पांच से सात लाख तक की इनवेस्टमेंट करनी पड़ सकती है. बेक-एंड-शेक, केक, पेस्ट्री के साथ ही सभी तरह के शेक्स और फास्ट फूड प्रोडक्ट्स भी उपलब्ध कराती है. इस फ्रेंचाइज़ी बिजनेस की मदद से आप घर बैठे ही अपनी आमदनी को कई गुना कर सकते हैं.

4. ऐजूकेशन बिजनेस फ्रेंचाइज़ी (Education Business Franchise)

ऐजूकेशन, प्राथमिक आवश्यकताओं में से एक है.  कोरोना के समय में जिस तरह से स्कूल और कॉलेज नहीं खुलने के कारण स्टूडेंट्स की पढ़ाई प्रभावित हुई है लेकिन ऑनलाइन ऐजूकेशन ने इस हानि को कम करने का काम भी किया है. आंत्रप्रेन्योर्स ऐजूकेशन बिजनेस की फ्रेंचाइज़ी (Best Franchise Business During Pandemic) लेकर भी अपने बिजनेस की शुरुआत कर सकते हैं. आप किसी भी स्कूल, कोचिंग सेंटर और ट्रेनिंग सेंटर को ओपन कर अपने बिजनेस की शुरुआत कर सकते हैं. ऐसे कई संस्थान है, जिनकी फ्रेंचाइज़ी पांच लाख तक के निवेश में ली जा सकती है. आपको यहाँ पर भी अच्छी रिसर्च का सहारा लेना होगा.

5. रिटेल बिजनेस फ्रेंचाइज़ी (Retail Business Franchise)

रिटेल बिजनेस को भी फ्रेंचाइज़ी बिजनेस का सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है. यह भी ऐसा बिजनेस है, जिसकी शुरुआत सिर्फ पांच लाख तक के निवेश के साथ की जा सकती है. ऐसी बहुत सी एफएमसीजी कंपनियाँ और सुपरमार्केट मौजूद हैं, जो अपने बिजनेस को फ्रेंचाइज़ी के माध्यम से विस्तार देने का काम करती हैं. आप बाजार में रिसर्च कर किसी भी सुपर मार्केट या रिटेल बिजनेस का चुनाव कर फ्रेंचाइज़ी बिजनेस (Franchise Business in India) की शुरुआत कर सकते हैं. उदाहरण के तौर पर आप ईज़ी-डे या डिमार्ट जैसे ब्रांड की फ्रेंचाइज़ी लेकर बिजनेस का शुभारंभ कर सकते हैं.

स्टार्टअप बिजनेस का अगर आप विचार करते हैं तो फ्रेंचाइज़ी बिजनेस एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है. फ्रेंचाइज़ी बिजनेस में आपको ब्रांड की ओर से बिजनेस की सभी रणनीतियाँ और अच्छा प्लान भी मिलता है और साथ ही बिजनेस ट्रेनिंग भी दी जाती है. इसलिए फ्रेंचाइज़ी बिजनेस आपके लिए एक फायदे का बिजनेस है, जिसे आप कम निवेश में शुरू कर सकते हैं.

लेख के बारे में आप अपनी टिप्पणी को कमेंट सेक्शन में कमेंट करके दर्ज करा सकते हैं. इसके अलावा आप अगर एक व्यापारी हैं और अपने व्यापार में किन्ही जटिल और मुश्किल परेशानियों का सामना कर रहे हैं. आप चाहते हैं कि बिजनेस को आगे बढ़ाने में आपको एक पर्सनल बिजनेस कोच का अच्छा मार्गदर्शन मिले तो आपको Business Coaching Program का चुनाव जरूर करना चाहिए. इसके लिए आप अपने बिजनेस में एक अच्छी हैंडहोल्डिंग पा सकते हैं और अपने बिजनेस को चार गुना बढ़ा सकते हैं.


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बुधवार, 21 जुलाई 2021

30 साल की रानी 'अबक्का चौटा'

साल था 1555 जब पुर्तगाली सेना कालीकट, बीजापुर, दमन, मुंबई जीतते हुए गोवा को अपना हेडक्वार्टर बना चुकी थी। टक्कर में कोई ना पाकर उन्होंने पुराने कपिलेश्वर मंदिर को ध्वस्त कर उस पर चर्च स्थापित कर डाली।

मंगलौर का व्यवसायिक बंदरगाह अब उनका अगला निशाना था। उनकी बदकिस्मती थी कि वहाँ से सिर्फ 14 किलोमीटर पर 'उल्लाल' राज्य था जहां की शासक थी 30 साल की रानी 'अबक्का चौटा' (Abbakka Chowta).।

पुर्तगालियों ने रानी को हल्के में लेते हुए केवल कुछ सैनिक उसे पकडने भेजा। लेकिन उनमेंसे कोई वापस नहीं लौटा। क्रोधित पुर्तगालियों ने अब एडमिरल 'डॉम अल्वेरो ड-सिलवीरा' (Dom Álvaro da Silveira) के नेतृत्व में एक बड़ी सेना भेजी। शीघ्र ही जख्मी एडमिरल खाली हाथ वापस आ गया। इसके बाद पुर्तगालियों की तीसरी कोशिश भी बेकार साबित हुई।

चौथी बार में पुर्तगाल सेना ने मंगलौर बंदरगाह जीत लिया। सोच थी कि यहाँ से रानी का किला जीतना आसान होगा, और फिर उन्होंने यही किया। जनरल 'जाओ पिक्सीटो' (João Peixoto) बड़ी सेना के साथ उल्लाल जीतकर रानी को पकड़ने निकला।

लेकिन यह क्या..?? किला खाली था और रानी का कहीं अता-पता भी ना था। पुर्तगाली सेना हर्षोल्लास से बिना लड़े किला फतह समझ बैठी। वे जश्न में डूबे थे कि रानी अबक्का अपने चुनिंदा 200 जवान के साथ उनपर भूखे शेरो की भांति टूट पड़ी।

बिना लड़े जनरल व अधिकतर पुर्तगाली मारे गए। बाकी ने आत्मसमर्पण कर दिया। उसी रात रानी अबक्का ने मंगलौर पोर्ट पर हमला कर दिया जिसमें उसने पुर्तगाली चीफ को मारकर पोर्ट को मुक्त करा लिया।

अब आप अन्त जानने में उत्सुक होंगे..??

रानी अबक्का के देशद्रोही पति ने पुर्तगालियों से धन लेकर उसे पकड़वा दिया और जेल में रानी विद्रोह के दौरान मारी गई।

क्या आपने इस वीर रानी अबक्का चौटा के बारे में पहले कभी सुना या पढ़ा है..??  इस रानी के बारे में जो चार दशकों तक विदेशी आततायियों से वीरता के साथ लड़ती रही, हमारी पाठ्यपुस्तकें चुप हैं। अगर यही रानी अबक्का योरोप या अमेरिका में पैदा हुई होती तो उस पर पूरी की पूरी किताबें लिखी गई होती।

इस कहानी से दो बातें साफ हैं,,

हमें हमारे गौरवपूर्ण इतिहास से जानबूझ कर वन्चित रखा गया है। हमारी 1000 साल की दासता अपने ही देशवासियों (भितरघातियों) के विश्वासघात का नतीजा है। दुर्भाग्य से यह आज भी यथावत है,,,

स्त्रोत:- #Indian_Untold_histrory

रविवार, 11 जुलाई 2021

पुराणों व हिन्दू धर्मग्रंथों में उल्लेखित पर्यावरण ज्ञान

 पुराणों व हिन्दू धर्मग्रंथों में उल्लेखित पर्यावरण ज्ञान



👉 10 कुॅंओं के बराबर एक बावड़ी, 10 बावड़ियों के बराबर एक तालाब, 10 तालाब के बराबर 1 पुत्र एवं 10 पुत्रों के बराबर एक वृक्ष है।
👉 जीवन में लगाए गए वृक्ष अगले जन्म में संतान के रूप में प्राप्त होते हैं। (विष्णु धर्मसूत्र 19/4)
👉 जो व्यक्ति पीपल अथवा नीम अथवा बरगद का एक, चिंचिड़ी (इमली) के 10, कपित्थ अथवा बिल्व अथवा  ऑंवले के तीन और आम के पांच पेड़ लगाता है, वह *सब पापों से मुक्त हो जाता है। ( भविष्य पुराण)
👉 पौधारोपण करने वाले व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
👉 शास्त्रों के अनुसार पीपल का पेड़ लगाने से संतान लाभ होता है।
👉 अशोक वृक्ष लगाने से शोक नहीं होता है।
👉 पाकड़ का वृक्ष लगाने से उत्तम ज्ञान प्राप्त होता है।
👉 बिल्वपत्र का वृक्ष लगाने से व्यक्ति दीर्घायु होता है।
👉 वट वृक्ष लगाने से मोक्ष मिलता है।
👉 आम वृक्ष लगाने से कामना सिद्ध होती है।
👉 कदम्ब का वृक्षारोपण करने से विपुल लक्ष्मी की प्राप्त होती है। प्राचीन भारतीय चिकित्सा- पद्धति के अनुसार पृथ्वी पर ऐसी कोई भी वनस्पति नहीं है, जो औषधि ना हो।

 स्कंद पुराण में एक सुंदर श्लोक है-

अश्वत्थमेकम् पिचुमन्दमेकम्
न्यग्रोधमेकम्  दश चिञ्चिणीकान्।
कपित्थबिल्वाऽऽमलकत्रयञ्च पञ्चाऽऽम्रमुप्त्वा नरकन्न पश्येत्।।

अश्वत्थः         =     पीपल (100% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
पिचुमन्दः      =     नीम (80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
न्यग्रोधः         =     वटवृक्ष(80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
चिञ्चिणी        =      इमली (80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
कपित्थः        =       कविट (80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
बिल्वः           =      बेल (85% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
आमलकः      =     आँवला (74% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
आम्रः            =     आम (70% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है)
                            (उप्ति = पौधा लगाना)

        अर्थात्- जो कोई इन वृक्षों के पौधों का रोपण करेगा, उनकी देखभाल करेगा उसे नरक के दर्शन नही करना पड़ेंगे।

       इस सीख का अनुसरण न करने के कारण हमें आज इस परिस्थिति के स्वरूप में नरक के दर्शन हो रहे हैं। 
अभी भी कुछ बिगड़ा नही है, हम अभी भी अपनी गलती सुधार सकते हैं।
औऱ
  • गुलमोहर, निलगिरी- जैसे वृक्ष अपने देश के पर्यावरण के लिए घातक हैं।
  • पश्चिमी देशों का अंधानुकरण कर हम ने अपना बड़ा नुकसान कर लिया है।
  • पीपल, बड और नीम जैसे वृक्ष रोपना बंद होने से सूखे की समस्या बढ़ रही है
  • ये सारे वृक्ष वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाते है साथ ही धरती के तापनाम को भी कम करते है।
          हमने इन वृक्षों के पूजने की परंपरा को अन्धविश्वास मानकर  फटाफट संस्कृति के चक्कर में इन वृक्षों से दूरी बनाकर  यूकेलिप्टस (नीलगिरी) के वृक्ष सड़क के दोनों ओर लगाने की शुरूआत की।  यूकेलिप्टस झट से बढ़ते है लेकिन  ये वृक्ष दलदली जमीन को सुखाने के लिए लगाए जाते हैं। इन वृक्षों से धरती का जलस्तर घट जाता है। विगत ४० वर्षों में नीलगिरी के वृक्षों को बहुतायात में लगा कर पर्यावरण की हानि की गई है।

शास्त्रों में पीपल को वृक्षों का राजा कहा गया है। 

मूले ब्रह्मा त्वचा विष्णु शाखा शंकरमेवच।
पत्रे पत्रे सर्वदेवायाम् वृक्ष राज्ञो नमोस्तुते।।

भावार्थ-जिस वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा जी तने पर श्री हरि विष्णु जी एवं शाखाओं पर देव आदि देव महादेव भगवान शंकर जी का निवास है और उस वृक्ष के पत्ते पत्ते पर सभी देवताओं का वास है ऐसे वृक्षों के राजा पीपल को नमस्कार है।।
    
आगामी वर्षों में प्रत्येक ५०० मीटर के अंतर पर यदि एक एक पीपल, बड़ , नीम आदि का वृक्षारोपण किया जाएगा, तभी अपना भारत देश प्रदूषणमुक्त होगा। 

घरों में तुलसी के पौधे लगाना होंगे।

          हम अपने संगठित प्रयासों से ही अपने "भारत" को नैसर्गिक आपदा से बचा सकते है।

        भविष्य में भरपूर मात्रा में नैसर्गिक ऑक्सीजन मिले इसके लिए आज से ही अभियान आरंभ करने की आवश्यकता है।

         आइए हम पीपल, बड़, बेल, नीम, आंवला एवं आम आदि वृक्षों को लगाकर आने वाली पीढ़ी को निरोगी एवं "सुजलां सुफलां पर्यावरण"  देने का प्रयत्न करे।